advertisement
शिवसेना (Shivsena) और एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व वाले बागी शिवसेना विधायकों के समूह के बीच तनाव जारी है. मंगलवार 21 जून की शाम शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और बागी नेता एकनाथ शिंदे के बीच फोन पर हुई बातचीत इस तनाव को हल करने में विफल रही. शिवसेना द्वारा उन्हें मनाने के लिए भेजे गए मिलिंद नार्वेकर के प्रयास भी अब तक सफल नहीं हुए हैं.
शिंदे के बारे में यह माना जा रहा है कि वह इस बात पर अड़े हुए हैं कि शिवसेना को बीजेपी के साथ वापस गठबंधन कर लेना चाहिए.
मंगलवार को अपने एक ट्वीट में एकनाथ शिंदे ने लिखा, "हम बालासाहेब ठाकरे के पक्के शिव सैनिक हैं. उन्होंने हमें हिंदुत्व सिखाया है. हम बालासाहेब और धर्मवीर आनंद दिघे के विचारों से प्रेरित हैं और हम सत्ता पाने के लिए कभी धोखा नहीं देंगे."
शिवसेना के बागी विधायकों में इस बात पर स्पष्ट आम सहमति है कि शिवसेना को कोशिश करनी चाहिए और बीजेपी के साथ समझौता करना चाहिए. एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ गठबंधन को फिर से बनाने के लिए "हिंदुत्व" पर जोर दिया है और कई विधायक भी इसी तरह की भावना व्यक्त करते रहे हैं.
हालांकि, यह भी सच है कि कई विधायक एनडीए में वापसी का समर्थन इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे मामते हैं कि ऐसा करने पर ED, इनकम टैक्स और अन्य केंद्रीय एजेंसियों द्वारा नियमित जांच से बचा जा सकता है.
उन्होंने आगे बताया कि, "काम पर ध्यान देने की बजाय हम एक संकट से दूसरे संकट में जाने को मजबूर हैं".
बागी विधायकों का एक गुट पार्टी छोड़ना नहीं चाहता, लेकिन केवल "इसे सही दिशा में रखना चाहता है". उनका कहना है कि वे उद्धव ठाकरे के नेतृत्व का पूरी तरह से समर्थन करते हैं और वह जो भी फैसला करेंगे उसका पालन करेंगे, भले ही वह उनकी मांग के खिलाफ हो.
इनमें से कुछ विधायकों के करीबी सूत्र ने द क्विंट को बताया कि, “हमारा प्रस्ताव राज्य में शिवसेना-एनसीपी की सरकार बनाना है जिसे बीजेपी का समर्थन प्राप्त हो.”
इनमें से कई विधायक मुश्किल में हैं. हो सकता है कि वे एजेंसियों के कुछ दबावों का सामना कर रहे होंगे, लेकिन वे यह भी जानते हैं कि उद्धव ठाकरे और सेना के खिलाफ विद्रोह करने का मतलब होगा कि वे पार्टी नेतृत्व और कार्यकर्ताओं के निशाने पर आ जाएंगे.
ऐसा खासकर मुंबई और कोंकण क्षेत्रों के विधायकों का मानना है, जहां शिवसेना सबसे मजबूत है
आगे उन्होंने कहा था कि, "लेकिन उन्होंने जिम्मेदारी ली और अच्छा काम कर रहे हैं. इसलिए हम उनका समर्थन करते हैं. लेकिन कई लोग अभी भी महसूस करते हैं कि बीजेपी को नाराज करने से मामला मुश्किल हो गया है.
बागी विधायकों का दूसरा गुट भी है जो ठाकरे के नेतृत्व पर भी सवाल उठाने के लिए तैयार है, हालांकि वे इसे खुलकर नहीं कह रहे हैं. शिंदे का ट्वीट इस दिशा में समझ आता है जिसमें उन्होंने ठाणे की राजनीति पर हावी होने वाले उनके गुरु बालासाहेब ठाकरे और धर्मवीर आनंद दिघे के "आदर्शों" का उल्लेख किया है.
जाहिर तौर पर फिलहाल 10-12 विधायक इस प्रयास में शिंदे के साथ हो सकते हैं.
विधायकों के इस वर्ग के एक करीबी सूत्र ने बताया कि एकनाथ शिंदे के सहयोगी बीजेपी-शिवसेना गठबंधन पर बीजेपी से बात कर सकते हैं जिस गठबंधन में बीजेपी का मुख्यमंत्री होगा और शिवसेना से उप मुख्यमंत्री - इसकी पूरी संभावना है कि शिंदे खुद उप सीएम बनना चाहते हैं.
इसका मतलब ये होगा कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से हटना होगा. जाहिर है, विधायकों का यह गुट न केवल कांग्रेस, बल्कि एनसीपी का भी पूरी तरह से विरोध कर रहा है. उनमें से कुछ अपने-अपने क्षेत्रों में इन दोनों पार्टियों के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं और उनसे मुकाबला करने के लिए बीजेपी की मदद चाहते हैं.
बता दें कि फिलहाल महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी के पास 105 सीटें हैं, जबकि शिवसेना के पास 56 और एनसीपी के पास 54 हैं. 288 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी और शिवसेना के पास 161 सीटें हैं, बहुमत के लिए 144 सीटें चाहिए.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)