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नीतीश कुमार (NitiSh Kumar) बिहार की राजनीति के वो नेता बन गए हैं, जो कब क्या कर दें, कहा नहीं जा सकता. लेकिन कुर्सी उन्हीं के पास रहेगी, ये डिफिनेट है. पिछले करीब दो दशकों में तो यही साबित हुआ है. वो एनडीए (NDA) के साथ रहे तब भी सीएम थे, महागठबंधन के साथ में भी सीएम हैं. भले ही सीटें किसी की भी ज्यादा हों.
नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ मिलकर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद एनडीए छोड़ने के सवाल पर कहा कि, एनडीए में बीजेपी का व्यवहार और चुनाव में उनका जो अप्रोच था...हमारे दल के सभी लोगों को ये फीलिंग था कि ठीक नहीं है, ठीक नहीं है. हम लोगों के लोगों ने उनको सपोर्ट किया और उनकी तरफ से जेडीयू को हराने की ही सब बात हो गई. तो हम चले गए फिर पुरानी जगह पर ठीक है.
नीतीश कुमार ने कहा कि, हम तो सीएम बनना ही नहीं चाहते थे लेकिन सबने कहकर हमें बना दिया और फिर उसके बाद से जो कुछ हुआ हमारी पार्टी के लोग बताएंगे. आप देख रहे थे ना बाद के दिनों में जो कुछ हो रहा था. और पिछले डेढ़ दो महीने से हम बात कर रहे हैं आप लोगों से क्या-क्या किया गया है.
इसके अलावा जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि,
2013 में जब नरेंद्र मोदी को बीजेपी ने प्रधामंत्री पद का उम्मीदवार बनाया तो नीतीश कुमार इससे सहमत नहीं थे. लिहाजा 17 साल पुराना गठबंधन टूट गया. नीतीश ने बीजेपी कोटे के सारे मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया. लेकिन आरजेडी के सपोर्ट से नीतीश कुमार सीएम बने रहे. 2014 का लोकसभा चुनाव उन्होंने अकेले लड़ा और मात्र 2 सीटें जीत पाये. इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया और इस्तीफा देकर जीतनराम मांझी को सीएम बना दिया. हालांकि कुछ दिन बाद ही नीतीश ने जीतनराम मांझी को हटा दिया. और खुद सीएम बन गए.
2015 में आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन का हिस्सा बनकर नीतीश कुमार ने सरकार बनाई थी. हालांकि उस वक्त भी जेडीयू की सीटें आरजेडी से कम थीं लेकिन सीएम नीतीश कुमार ही बने. लेकिन 2017 तक आते-आते उनका मोहभंग हो गया. नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर इस्तीफा दे दिया और गठबंधन से अलग होकर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. उस वक्त नीतीश कुमार ने कहा था कि वो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर समझौता नहीं करेंगे. दरअसल उस वक्त तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआई ने छापेमारी की थी. और नीतीश कुमार चाहते थे कि तेजस्वी इस्तीफा दे दें लेकिन आरजेडी इसके लिए नहीं मानी, और उन्होंने भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर महागठबंधन को अलविदा कह दिया.
उस वक्त ये भी कहा गया कि आरजेडी की तरफ से सरकार में काफी दखल हो रहा था और नीतीश कुमार को ये पसंद नहीं था. लेकिन नीतीश कुमार ने खुलकर जो कारण बताया था वो तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप थे. अब यहीं से सवाल ये उठता है कि क्या अब वो केस खत्म हो गए या भ्रष्टाचार पर नीतीश कुमार के विचार बदल गए.
यही सवाल बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने भी उठाया है उन्होंने कहा कि,
2020 के चुनाव में जो तेजस्वी यादव ने हलफनामा दाखिल किया था, उसके मुताबिक तेजस्वी यादव 11 मामलों में आरोपी हैं. जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग, भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश रचने के अलावा धोखाधड़ी के केस शामल हैं.
रेलवे टेंडर घोटाला मामले में लालू यादव और राबड़ी देवी के साथ तेजस्वी यादव भी आरोपी हैं. इस केस में अगस्त 2018 में ईडी ने चार्जशीट दाखिल की थी. तब जेडीयू ने तेजस्वी से इस्तीफे की मांग की थी. अभी तक इस केस में फैसला नहीं आया है. इसी केस में सीबीआई ने तेजस्वी यादव से पूछताछ भी की थी. इसी केस में छापेमारी के बाद नीतीश ने गठबंधन तोड़ा था.
मतलब जिन कारणों से 2013 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होकर सरकार गिराई थी. वो कारण अभी मौजूद हैं, जब वो फिर से महागठबंधन के साथ सरकार में आये हैं. इसी पर सुशील मोदी ने भी सवाल किया है. और सवाल उठना लाजिमी भी है कि आपने जो कारण बताकर दोनों से गठबंधन तोड़ा वो दोनों के साथ दोबारा जाते हुए भी मौजूद थे.
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Published: 10 Aug 2022,07:49 PM IST