ADVERTISEMENTREMOVE AD

Nitish Kumar गांव जाने पर पत्नी की समाधि पर बिताते हैं वक्त, दहेज लौटा दिया था

Nitish kumar: 7 दिन के सीएम से लेकर 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री तक का सफर

Updated
कुंजी
9 min read
छोटा
मध्यम
बड़ा

Bihar Political Crisis: बिहार का राजनीतिक महौल इस समय काफी गर्म है. बीजेपी से गठबंधन तोड़ते हुए नीतीश कुमार ने एक बार फिर पलटी मार दी है. महज 7 दिन के सीएम बनने वाले सुशासन बाबू 7 बार सीएम की शपथ ले चुके हैं, और आठवीं पर शपथ लेने की तैयारी है. जानते हैं एक इंजीनियर के सुशासन बाबू बनने की कहानी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पटना में हुआ नीतीश का जन्म

नीतीश का जन्म 1 मार्च 1951 को पटना से 50 किमी दूर बख्तियारपुर में हुआ था. नीतीश कुर्मी समुदाय से आते हैं. नीतीश के पिता का नाम कविराज राम लखन सिंह वैद्य (आयुर्वेद के डॉक्टर) थे, मां का नाम परमेश्वरी देवी था. नीतीश कुमार के घर का नाम 'मुन्ना' है. आज भी उनके पैतृक गांव बख्तियारपुर में कई लोग उन्हें इसी नाम से बुलाते हैं.

नीतीश की शुरुआती पढ़ाई श्रीगणेश हाई स्कूल बख्तियारपुर से हुई थी, इसके बाद उन्होंने बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग (अब एनआईटी पटना) में ग्रेजुएशन किया था. कुछ समय तक उन्होंने बिहार स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में काम भी किया. हालांकि, बाद में नौकरी छोड़कर पूरी तरह राजनीति में सक्रिय हो गए. 23 फरवरी 1973 को वो मंजू कुमारी के साथ शादी के बंधन में बंधे. उनके बेटे का नाम निशांत कुमार है. नीतीश की पत्नी मंजू का 2007 में निधन हो गया था.

दहेज लौटाकर कोर्ट मैरिज किया

नीतीश युवावस्था से ही कुरीतियों पर प्रहार करते रहे हैं. उनकी शादी के समय उन्हें दहेज के तौर पर 22,000 रुपए मिले थे, जब यह बात नीतीश को पता चली तो वे काफी नाराज हुए थे और ससुरालवालों को दहेज लौटाकर कोर्ट मैरिज की थी.

Nitish kumar: 7 दिन के सीएम से लेकर 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री तक का सफर

पत्नी मंजू के साथ नीतीश कुमार 

(सौजन्य- जनसत्ता)

नीतीश कुमार का बचपन कल्याण बिगहा गांव के जिस घर में गुजरा उन्‍हें वो घर आज भी अच्‍छा लगता है. नीतीश कुमार को वहां वक्त बिताना सबसे अधिक पसंद है. इस गांव में एक प्राचीन मंदिर भी है, नीतीश कुमार गांव पहुंचने के बाद सबसे पहले यहां आना पसंद करते हैं और यहीं से उनकी आगे की यात्रा शुरू होती है. इसके अलावा नीतीश कुमार को अपने माता-पिता और पत्‍नी की समाधि के पास शांति से बैठकर वक्त बिताना पसंद है. वह यहां आने के बाद हमेशा अकेले में वक्त बिताना पसंद करते हैं.

बचपन जहां पटरी क्रॉस करते हुए बचे, वहीं बनवाया फुटओवर ब्रिज

नीतीश कुमार को स्कूल के दिनाें में एक रेलवे लाइन क्रॉस करके जाना हाेता था, जहां घंटों तक मालगाड़ी खड़ी रहती थी. मालगाड़ी खड़ी थी उसके नीचे से क्रॉस कर रहे थे तभी अचानक गाड़ी चल पड़ी, यही से वे रोज पटरी क्रॉस करके जाते थे लेकिन उस दिन गाड़ी खड़ी थी. हालांकि किसी तरह वे सुरक्षित बाहर निकल गए थे. उनके एक दोस्त सरोज ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान इस घटना का जिक्र करते हुए बताया था कि जब नीतीश रेल मंत्री बने तो उसी जगह पर उन्होंने फुट ओवर ब्रिज बनवाया ताकि किसी और को इस तरह रेलवे लाइन पार न करना पड़े.

0

राजनीति में कैसे बढ़ा रुझान, बचपन में सुलझा देते थे दोस्तों के झगड़े 

सोशल इंजीनियरिंग के जादूगर माने जाने वाले नीतीश का बचपन से ही राजनीति की ओर रुझान रहा है. नीतीश ने राजनीति के गुण जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर और जॉर्ज फर्नाडीज से सीखे थे. नीतीश के पिता वैद्य होने के साथ साथ कांग्रेस के नेता भी थे, इसके अलावा वे बिहार के दिग्गज नेता अनुग्रह नारायण सिंह के बेहद करीबी भी थे. अनुग्रह नारायण सिंह जब कभी भी उनके गांव आते थे, तो नीतीश उन्हें बेहद गौर से सुना करते थे. नीतीश के शिक्षकों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि बेहद कम उम्र से ही सुशासन बाबू का झुकाव राजनीति की ओर हो गया था.

Nitish kumar: 7 दिन के सीएम से लेकर 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री तक का सफर

जेपी के साथ छात्र नेता नीतीश कुमार

फोटो : @HeritageTimesIN (संपूरन क्रांति)

जब नीतीश ने रेडियो पर देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के निधन की खबर सुनी थी ताे वह रात के 3 बजे ही अपने शिक्षक को यह जानकारी देने चले गए थे. बचपन में जब दोस्तों में झगड़ा होता, तब नीतीश सभी दाेस्ताें काे बुलाकार पंचायत बैठाते और खुद पंच बनकर फैसला सुनाते थे. नीतीश को बचपन से देखने वाले सीताराम ने एक इंटरव्यू में बताया था कि खेल-कूद के दौरान अगर झगड़े की स्थिति बनती थी तो नीतीश दोस्तों को समझा-बुझाकर मामला शांत करा देते थे.

बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार का नाम जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में हुए छात्र आंदोलन से उछला था. नीतीश कुमार ने 1974 से 1977 तक चले जेपी आंदोलन में बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी निभाई थी. 1990 में लालू प्रसाद यादव जब बिहार के मुख्यमंत्री बने तब नीतीश कुमार उनके अहम सहयोगी थी. लेकिन जार्ज फर्नांडीस के साथ उन्होंने 1994 में समता पार्टी बना ली.

दो बार हार मिलने के बाद, राजनीति से दूर होना चाहते थे

नीतीश कुमार ने 26 साल की उम्र में 1977 के विधानसभा चुनाव में पहली बार हरनौत सीट से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वे हार गए थे. हरनौत से ही 1980 में जनता पार्टी (सेक्युलर) के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन दूसरी बार भी जीत नसीब नहीं हुई. लगातार दो हार का स्वाद चखने के बाद उन्होंने राजनीति छोड़ने का मन बना लिया था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. हरनौत सीट से उन्होंने 1985 में तीसरी बार फिर हुंकार भरी, इस बार लोक दल के प्रत्याशी के तौर पर मैदान में आए थे, इस बार उन्होंने पहली बार जीत का मुंह देखा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
Nitish kumar: 7 दिन के सीएम से लेकर 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री तक का सफर

रेल बजट के पहले नीतीश कुमार

(सौजन्य- जनसत्ता)

  • 1985 में हरनौत से नीतीश कुमार ने जीत दर्ज की और पहली बार विधायक बने.

  • 1987 में नीतीश कुमार ने युवा लोक दल के अध्यक्ष का पद संभाला.

  • 1989 में नीतीश कुमार पहली बार बाढ़ से सांसद बने.

  • 1991 में दोबारा नीतीश कुमार दोबारा बाढ़ से सांसद चुने गए.

  • इसके बाद 1996 और 1998 में भी सांसद बने.

  • अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 1998 में नीतीश कुमार को केंद्रीय रेल मंत्री बनाया गया. हालांकि किशनगंज के पास हुए भीषण रेल दुर्घटना के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था. वे भूतल परिवहन मंत्री भी बनाए गए थे.

  • 1999 में नीतीश कुमार 5वीं बार लोकसभा चुनाव जीते. इस बार उन्हें केंद्र सरकार ने कृषि मंत्री बनाया. बाद में फिर रेल मंत्री (2001 से 2004) रहे.

  • 2004 में छठवीं और आखिरी बार नीतीश कुमार सांसद बने. उस चुनाव में नीतीश बाढ़ और नालंदा दो जगहों से खड़े हुए थे. बाढ़ सीट से वो हार गए और नालंदा से जीत गए थे.

7 दिन के सीएम लेकर सबसे लंबे समय तक बने रहे बिहार के मुखिया

नीतीश कुमार पहली बार 3 मार्च 2000 को बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन वह 7 दिनों तक मुख्यमंत्री रह पाए थे. बहुमत नहीं होने के कारण उन्हें 7 दिन में इस्तीफा देना पड़ा था और राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनी थीं.

  • 2005 में नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ सरकार बनाई. 24 नवंबर 2005 को उन्होंने दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और अपना कार्यकाल पूरा करते हुए 24 नवंबर 2010 तक मुख्यमंत्री रहे.

  • 26 नवंबर 2010 को नीतीश कुमार तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. इन चुनावों में एनडीए ने भारी बहुमत हासिल करते हुए 243 में से 206 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

  • 2014 में बीजेपी से अलग होकर नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ सरकार बनाई. लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन करने के बाद इस्तीफा दे दिया था और जीतन राम मांझी को सीएम बनाया गया. लेकिन मांझी को बाद में हटा दिया गया और 22 फरवरी 2015 को नीतीश कुमार ने सीएम पद की शपथ ली और 19 नवंबर 2015 तक अपने पद पर बने रहे.

  • 2015 में नीतीश ने आरजेडी के साथ चुनाव लड़ा और जीत दर्ज करते हुए 20 नवंबर 2015 को उन्होंने पांचवी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

  • नीतीश कुमार ने आरजेडी से मतभेद के बाद 26 जुलाई 2017 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और 27 जुलाई 2017 को बीजेपी के साथ मिलकर छठवीं बार सीएम पद की शपथ ली.

  • 16 नवंबर 2020 को नीतीश कुमार ने सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. पहली बार ऐसा मौका आया कि बिहार विधानसभा चुनावों में जेडीयू को बीजेपी से कम सीटें मिलीं. हालांकि कम सीटों के बावजूद सीएम कुर्सी नीतीश को ही मिली.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

1995 में नीतीश कुमार की समता पार्टी ने पहली बार लालू प्रसाद यादव के राज (पहली बार) को मुद्दा बनाया था, तब पटना हाईकोर्ट ने राज्य में बढ़ते अपहरण और फिरौती के मामलों पर टिप्पणी करते हुए राज्य की व्यवस्था को जंगलराज बताया था.

हमेशा चौंकाते हैं नीतीश कुमार

नीतीश कुमार के दिमाग में क्या चल रहा है. यह तो कोई नहीं बता सकता है. नीतीश ने कई बार अपने फैसले से सबको चौंकाया है. पिछले 22 साल में दो बार नीतीश कुमार बीजेपी का साथ छोड़ चुके हैं. इससे पहले 2014 में नीतीश कुमार ने बीजेपी का दामन छोड़ दिया था. नीतीश ने 2012 में भी सबको चौंकाया था. तब वह NDA में थे, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी को वोट दिया था. 2015 से 2017 तक वे आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन में शामिल थे. 2017 में वे फिर एनडीए के साथ आ गए थे.

  • 2014 में जब नीतीश कुमार को लोकसभा चुनाव में केवल 2 सीट मिला तब मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना कर सबको चौंका दिया था.

  • पंचायत चुनावों में नीतीश कुमार ने महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया. बिहार ऐसा करने वाला पूरे देश में पहला राज्य था. इस कदम को बेहद क्रांतिकारी माना गया.

  • पूरे बिहार में शराबबंदी की घोषणा. एक अप्रैल 2016 को बिहार में शराबबंदी कानून लागू किया.

  • विधानसभा में बीजेपी के खिलाफ यहां तक बयान दिया था कि मिट्टी में मिल जाएंगे, लेकिन बीजेपी के साथ अब नहीं जाएंगे लेकिन फिर अपना ही बयान को झूठा साबित कर दिया और बीजेपी के साथ सरकार बना ली.

  • जातिगत जनगणना को लेकर नीतीश मुखर रहे हैं. बिहार में विपक्षी नेता तेजस्वी यादव भी जातीय जनगणना कराने को लेकर नीतीश कुमार के साथ हैं.

  • पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के विदाई समारोह में नहीं गए.

  • नए राष्ट्रपति के स्वागत समारोह में शिरकत नहीं की.

  • गृहमंत्री की तिरंगा बैठक में नहीं पहुंचे.

  • नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

नीतीश की पसंद

नीतीश कुमार को तांगे की सवारी पसंद है, जब भी वे अपनी पसंदीदा जगह राजगीर जाते हैं तो तांगे की सवारी करना नहीं भूलते हैं. जिस तांगे पर बैठकर वे राजगीर की वादियों की सैर करते हैं उसका नाम राजधानी तांगा है. जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री भी नहीं बने थे, तभी से इस तांगे की सवारी कर रहे हैं.

Nitish kumar: 7 दिन के सीएम से लेकर 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री तक का सफर

तांगा की सवारी करते हुए नीतीश कुमार

(यूट्यूब स्क्रीनग्रैब)

आउटलुक की रिपोर्ट के अनुसार नीतीश कुमार को रोटी और अरहर की दाल, बैंगन का झाड़िया (झोंगा), भिंडी की भुजिया, आलू का भर्ता (चोखा) खास पसंद है. खाने के पहले सलाद लेना कतई नहीं भूलते. दोपहर के भोजन में तीन रोटी और दो-तीन चम्‍मच चावल लेते हैं. चुनाव होता है तो दही चूड़ा सुबह-सुबह खाकर निकलते हैं. वे आम भी खूब पसंद करते हैं, लेकिन खास बात यह है कि उन्हें खाने से अधिक खिलाने में आनंद आता है. मेहमाननवाजी करना कोई उनसे सीखे. नीतीश पूछ-पूछ कर मेहमानों को खिलाते हैं, हर एक मेहमान का खयाल रखते हैं.

सात नंबर नीतीश कुमार का पसंदीदा नंबर है. वे 7 सर्कुलर रोड स्थित बंगले में रहते हैं. 7 सर्कुलर रोड बंगला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पसंदीदा बंगला है, इसी बंगला में रहते हुए फिर से उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली थी और 2015 के विधानसभा चुनाव में भी प्रचंड बहुमत से जीत कर मुख्यमंत्री बने थे.

कौन दोस्त और कौन दुश्मन?

Nitish kumar: 7 दिन के सीएम से लेकर 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री तक का सफर

लालू-नीतीश की जोड़ी

(फोटो: द क्‍विंट)

जिस तरह से नीतीश कुमार पाला बलदते हैं उसको देख कोई यह नहीं कह सकता कि कौन उनका दोस्त है और कौन दुश्मन. राजनीति में अभी तक कोई भी उनका स्थायी दोस्त या दुश्मन देखने को नहीं मिला है. यहां एक-दूसरे को कोसने बाद फिर घुल-मिल जाते हैं.

लालू यादव और नीतीश कुमार की पार्टियां अलग-अलग हैं. लेकिन दोनों के बीच दोस्ती काफी गहरी है. ये दोस्ती 1975 से है, राजनीति में दोनों एक दूसरे पर हमले करते रहते हैं. पर दोस्त काफी गहरे हैं. लालू यादव के बच्चे नीतीश कुमार को चाचा कहते हैं. लेकिन बीच-बीच में तकरार देखने को मिली है.

2017 में जब नीतीश ने आरजेडी से नाता तोड़कर बीजेपी से गठबंधन किया था, तब लालू यादव ने ट्वीट किया था कि 'नीतीश सांप है जैसे सांप केंचुल छोड़ता है, वैसे ही नीतीश भी केंचुल छोड़ता है और हर 2 साल में सांप की तरह नया चमड़ा धारण कर लेता है. किसी को शक?'

इससे पहले साल 1994 में नीतीश कुमार ने अपने पुराने सहयोगी लालू प्रसाद यादव का साथ छोड़कर सबको हैरान कर दिया था. उन्होंने जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर समता पार्टी का गठन किया था. बीजेपी और समता पार्टी के बीच 17 साल तक दोस्ती चली. 2003 में समता पार्टी बदलकर जेडीयू बन गई थी.

2014 में लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार के लिए आगे बढ़ाने पर नीतीश खफा हो गए और बीजेपी के साथ करीब 17 साल की उनकी दोस्ती टूट गई थी. इसके बाद 2015 से 2017 तक महागठबंधन में रहे. अब लगभग दो साल बाद फिर नए दोस्त बना रहे हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×