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बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में एक बार फिर उथल-पुथल है. नीतीश कुमार (Nitish kumar) एनडीए (NDA) छोड़कर अलग हो गए हैं और सीएम पद से इस्तीफा देकर आरजेडी के साथ सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि कौन सा छोटा दल किसके साथ जाएगा. क्योंकि बीजेपी, आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस की स्थिति लगभग साफ है लेकिन छोटे दलों पर भी काफी दारोमदार है.
आरजेडी, कांग्रेस और वाम दल बिहार में पहले से ही महागठबंधन का हिस्सा हैं. आरजेडी के पास फिलहाल 79 विधायक हैं. कांग्रेस के 19 और सीपीआई (माले) के 12 विधायक हैं. इसका मतलब है कि महागठबंधन की सरकार का कुनबा बड़ा रहने वाला है. क्योंकि नीतीश कुमार अब महागठबंधन में आ गए हैं और हम के साथ मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी भी नीतीश कुमार के साथ है. फिलहाल जीतनराम मांझी की हम के पास 4 विधायक हैं और वीआईपी के पास भी 4 ही विधायक हैं.
इसके अलावा सीपीआईएम के पास 2 और सीपीआई के पास भी 2 ही विधायक हैं. जो महागठबंधन का हिस्सा हैं.
अभी की स्थिति ये है कि एनडीए का सबसे बड़ा साझेदार जेडीयू उससे अलग हो चुका है, अब बीजेपी के साथ पशुपति पारस और चिराग पासवान बचे हैं. दोनों ने एनडीए में बने रहने की बात कही है. लेकिन ये चाचा-भतीजे की जोड़ी कैसे अपने पुराने विवाद भुलाकर एनडीए के साथ रहेगी, ये देखने वाली बात होगी. हालांकि एलजेपी के पास एक ही विधायक है तो कोई खास फर्क इनकी मौजूदगी से नहीं पड़ेगा.
इसके अलावा AIMIM के पास भी अब एक विधायक बचा है. बाकी चार आरजेडी में चले गए हैं. लेकिन उन्होंने अभी किसी के साथ जाने का फैसला नहीं किया है. लेकिन वो बीजेपी के साथ तो नहीं ही जाएंगे.
जेडीयू एक बार फिर बिहार में महागठबंधन में शामिल हो सकती है. इसको लेकर जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सीएम नीतीश को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश आप आगे बढ़िये...देश आपका इंतजार कर रहा है. उनके इस ट्वीट को अगले लोकसभा चुनाव में विपक्ष के पीएम कैंडिडेट के रूप में देखा जा रहा है.
चलिए अब बिहार का ताजा सियासी समीकरण समझ लेते हैं. बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं. लेकिन आरजेडी के अनंत सिह के विधायक नहीं रहने से वर्तमान में 242 विधायक हैं. इनमें सबसे ज्यादा 79 विधायक आरजेडी के पास हैं. बीजेपी के पास 77 विधायक हैं. जेडीयू के 45, कांग्रेस के 19, सीपीआई (ML) के 12 और जीतन राम मांझी के 4 विधायक हैं. इनके अलावा सीपीएम 2, सीपीआई 2, AIMIM के पास एक और निर्दलीय एक विधायक है. सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों का बहुमत होना चाहिए.
अगर नीतीश कुमार NDA छोड़ महागठबंधन के साथ आ गए हैं तो आसानी से सरकार बन जाएगी. RJD के 79, जेडीयू के 45, कांग्रेस के 19, सीपीआई (ML) के 12, सीपीएम के 2, सीपीआई 2, AIMIM के एक विधायकों को मिलाकर कुल 160 विधायक हो जाएंगे. जो बहुमत के आंकड़े से करीब 38 ज्यादा है.
इससे पहले नीतीश कुमार 2014 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी का साथ छोड़कर महागठबंधन में शामिल हुए थे. हालांकि, 2015 में सरकार बनने के बाद 2 साल बाद ही वे वापस एनडीए में आ गए. अब एक बार फिर कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार बीजेपी का साथ छोड़ने का मन बना चुके हैं.
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Published: 09 Aug 2022,06:28 PM IST