मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019पेगासस प्रोजेक्ट: सरकार का जांच से इनकार, लेकिन इन 6 सवालों के जवाब की दरकार

पेगासस प्रोजेक्ट: सरकार का जांच से इनकार, लेकिन इन 6 सवालों के जवाब की दरकार

सरकार ने इस बड़े जासूसी कांड के आरोपों की जांच को लेकर अब तक कुछ नहीं कहा

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
Updated:
<div class="paragraphs"><p>Pegasus Project में बड़े खुलासे किए</p></div>
i

Pegasus Project में बड़े खुलासे किए

(फोटो:क्विंट हिंदी)

advertisement

पेगासस जासूसी मामले को लेकर सरकार ने पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया है. तमाम बड़े केंद्रीय मंत्रियों और प्रवक्ताओं ने कहा है कि कोई जासूसी हुई ही नहीं. अगर ऐसा करना होता तो सरकार के पास अपने साधन थे, उसे विदेशी एजेंसी की मदद लेने की जरूरत नहीं है. लेकिन पेगासस प्रोजेक्ट पर आधारित रिपोर्ट में कई पत्रकारों और अन्य लोगों के फोन की फॉरेंसिक जांच की बात भी है, जिसके हवाले से ये दावा किया गया है कि जासूसी हुई थी. सरकार ने कहा है कि उसने जासूसी नहीं की है, लेकिन इस मामले से जुड़ी बातें कुछ सवाल उठाती हैं.

1. सरकार नहीं तो किसने की जासूसी?

ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि पेगासस बनाने वाली इजरायल की कंपनी एनएसओ का साफ कहना है कि वो किसी भी प्राइवेट संस्था या व्यक्ति को अपना सॉफ्टवेयर नहीं बेचती है. इसे अलग-अलग देशों की सरकार या फिर उनकी एजेंसियों को बेचा जाता है. जिसका काम वो आतंकवाद या ऐसी ही गतिविधियों से निपटने के लिए करते हैं.

अगर जैसा कि रिपोर्ट में दावा है कि भारत में जासूसी हुई है, और सरकार सही कह रही है कि उसने नहीं की और अगर NSO भी सच कह रहा है तो क्या कोई दूसरी एजेंसी भारत में जासूसी कर रही है? फिर तो मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का हो जाता है.

2. कर्नाटक में तख्ता पलट से पहले जासूसी?

जो बातें निकलकर सामने आई हैं, उनके मुताबिक चुनावों या फिर सत्ता बदलने के वक्त नेताओं की जासूसी कराई गई. कर्नाटक में जब बीजेपी ने कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिराकर सत्ता पर कब्जा किया था तो उससे ठीक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी, उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया के निजी सचिव संभावित टारगेट में एक थे. यानी इनका नंबर भी जासूसी की लिस्ट में शामिल था.

तो क्या इस जासूसी हुई और उसका संबंध तख्तापलट से था. ऐसा हुआ तो किसका फायदा हुआ. कांग्रेस ने न्यायिक जांच की मांग की है.

तथ्य क्या हैं? तथ्य ये है कि अचानक कांग्रेस-जेडीएस के 17 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और सरकार गिरा दी थी. इसके बाद कुमारस्वामी को इस्तीफा देना पड़ा था और बीजेपी ने राज्य में अपनी सरकार बनाई थी.

3.लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष की जासूसी?

रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का फोन नंबर भी जासूसी की संभावित टारगेट लिस्ट में शामिल था. इस लिस्ट में राहुल का नंबर 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले शामिल किया गया. राहुल गांधी इस चुनाव में सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस का चेहरा थे. राहुल गांधी का फोन फिजिकल जांच के लिए उपलब्ध नहीं है लिहाजा कन्फर्म करना मुश्किल है कि उनके फोन को हैक किया गया या नहीं? लेकिन अगर जासूसी हुई तो किसको फायदा होता?

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

4.''बंगाल चुनाव के समय पीके का फोन हैक''

पश्चिम बंगाल चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. प्रधानमंत्री से लेकर तमाम कैबिनेट मंत्री यहां प्रचार करने पहुंचे. इस दौरान चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर बीजेपी की विरोधी पार्टी टीएमसी के लिए काम कर रहे थे. बंगाल में चुनाव अप्रैल के महीने में हुए, रिपोर्ट में दावा है कि इसी वक्त प्रशांत किशोर का फोन हैक किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है ये बात वो प्रशांत किशोर के फोन की जांच के आधार पर कह रहे हैं.

सवाल ये है कि चुनाव की रणनीति बना रहे प्रशांत किशोर की बातें सुनने से किसको फायदा होता? एक वीडियो सोशल मीडिया पर तैर रहा है कि जिसमें टीएमसी से बीजेपी में गए सुवेंदु अधिकारी कह रहे हैं कि उनके पास ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का कॉल रिकॉर्ड है. अभिषेक बनर्जी भी पेगासस के टारगेट लिस्ट में थे. क्या ये सब महज संयोग है?

5. गोगोई पर आरोप लगाने वाली महिला निशाने पर

पेगासस जासूसी लिस्ट में सुप्रीम कोर्ट में काम करने वाली उस महिला का भी नाम शामिल है, जिसने तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. महिला ही नहीं उनके पति भी टारगेट लिस्ट में थे. अब विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सरकार ने सीजेआई गोगोई से फायदा लेने के लिए महिला की जासूसी करवाने का काम किया. आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने तो ये आरोप लगा दिया कि इधर आरोप लगाने वाली महिला की जासूसी हुई और उधर रंजन गोगोई ने मोदी सरकार को राफेल मामले में क्लीन चिट दे दी. उन्होंने राफेल मामले की सुप्रीम कोर्ट में दोबारा सुनवाई की मांग की है.

6.जांच से परहेज क्यों?

अब सरकार ने भले ही इस मामले से पल्ला झाड़ लिया है और हर मुद्दे की तरह इसे भी राष्ट्रीय सुरक्षा या फिर देश को बदनाम करने की साजिश बताई जा रही है. सोशल मीडिया पर आईटी सेल इसे लेकर एक्टिव है और जासूसी कांड को देश के विरोध में एक एजेंडा बताने की कोशिश हो रही है. लेकिन सवाल ये है कि अगर दस्तावेज हैं, अगर जासूसी की फॉरेंसिक रिपोर्ट है तो सरकार जासूसी से सीधे इनकार कैसे कर सकती है?

सरकार भले ही ये कह सकती है कि जासूसी उसने नहीं करवाई और उसे इसका कोई भी अंदाजा नहीं था, लेकिन इसकी जांच को लेकर अब तक क्यों बात नहीं हुई? सरकार का जांच से दूर भागना क्या उसकी नीयत पर सवाल खड़े नहीं करता? तब भी नहीं, जब लिस्ट में बीजेपी के मौजूदा केंद्रीय मंत्रियों के नाम शामिल हैं? सरकार इजरायल या NSO से एक सवाल भी क्यों नहीं पूछना चाहती?

फ्रांस में आरोप लगते ही सरकार ने बड़ा फैसला लिया और जांच कराने का ऐलान कर दिया. ये जांच मोरक्को की खुफिया एजेंसी को लेकर होगी, जिस पर आरोप है कि उन्होंने स्पाइवेयर पेगासस की मदद से कई फ्रांसीसी पत्रकारों की जासूसी की है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 21 Jul 2021,07:35 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT