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चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर यानी 'पीके' ने गुरुवार 05 मई 2022 को अपने नए अभियान पर जारी सस्पेंस से पर्दा उठा दिया है. बिहार (Bihar) की राजधानी पटना के ज्ञान भवन में प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने अपनी राजनीतिक रणनीति का ऐलान किया है. प्रशांत किशोर ने अपने 'जन सुराज' के बारे में बताते हुए कहा कि मैं बता दूं कि मैं कोई भी राजनीतिक दल नहीं बनाने जा रहा हूं, कोई भी नई पार्टी नहीं बनाने जा रहा.
हालांकि प्रशांत किशोर ने कहा कि अगले तीन महीने में हम उन 17000 लोगों से संवाद करेंगे जो बिहार को बदलने की सोच रखते हैं और उनसे समझने के बाद हम फैसला करेंगे कि राजनीतिक दल बनाने की जरूरत है या नहीं. जरूरत हुई तो हम नई पार्टी बनाएंगे, वो सिर्फ प्रशांत किशोर की नहीं सबकी पार्टी होगी. बिहार के लोगों को जन सुराज के बारे में बताएंगे. बिहार की तरक्की के लिए नई सोच की जरूरत है.
प्रशांत किशोर ने कहा कि अगले 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती से वो चंपारण से 3000 किलोमीटर की पद यात्रा करेंगे और लोगों से मिलेंगे.
प्रशांत किशोर ने कहा, "विकास के मानकों में बिहार पीछे, विकास के लिए रास्ता बदलना होगा. चुनाव की कोई परिकल्पना मेरे मन में नहीं। मेरा पूरा फोकस बिहार के लोगों से जाकर मिलना और उनकी बात समझना है."
प्रशांत ने किशोर ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीन प्वाइंट रखे हैं. उन्होंने कहा-
अगले तीन से चार महीनों के अंदर 18 हजार लोगों के साथ संवाद स्थापित करना. जन सुराज की परिकल्पना के बारे में चर्चा करना मेरा पहला लक्ष्य है.
अगर इनमें से एक बड़ा वर्ग एक साथ आए. एक प्लेटफॉर्म के तहत जुड़कर आते हैं और मिलकर तय करते हैं कि किसी पार्टी की जरूरत है तो उस समय पार्टी की घोषणा की जाएगी. अगर पार्टी बनती भी है तो प्रशांत किशोर की पार्टी होगी ऐसी बात नहीं है. वह उन लोगों की पार्टी होगी जो उससे जुड़े होंगे. अगस्त या सितंबर तक ये काम कर लिया जाएगा.
बिहार के लोगों तक पहुंचना मुख्य काम है. इसके लिए मैं 2 अक्टूबर से मैं खुद पश्चिमी चंपारण गांधी आश्रम से तीन हजार किमी. की पदयात्रा शुरू करूंगा. जब तक बिहार के सारे गांव, गली मोहल्ले तक पहुंचने का काम पूरा न कर लिया जाए. बिहार के हर उस व्यक्ति के घर जाएंगे, जो हमसे जुड़ना चाहता है.
प्रशांत किशोर ने आगे पत्रकारों के सवाल जवाब में कहा, "मैं बिहार की जनता से कहना चाहता हूं जो कुछ भी मेरे पास है वह पूरी तरह से बिहार की बेहतरी के लिए समर्पित कर रहा हूं. कोई सवाल नहीं है बीच में इसे छोड़ने का. कोई सवाल नहीं है कि कोई बाधा आए तो इसे छोड़ने का. कुछ लोगों के मन में सवाल है कि आपने बिहार की घोषणा की और वापस एक महीने के बाद बिहार नहीं आए. 'बात बिहार की' घोषणा फरवरी 2020 में की गई थी. मार्च 2020 में कोविड की वजह हर जगह लॉकडाउन और पूरा जीवन अस्तव्यस्त रहा. कुछ लोग कह सकते हैं कि कोविड में पश्चिम बंगाल में काम कर सकते हैं तो बिहार में क्यों नहीं. वो इसलिए बंगाल में किसी बनी बनाई व्यवस्था के साथ काम करना था. बिहार में एक नई व्यवस्था बनानी है. यहां दो साल तीन साल चार साल काम करना पड़ेगा. कब चुनाव लड़ेंगे किसके साथ लड़ेंगे अभी इसकी कोई परिकल्पना मेरे मन में नहीं है. मेरा पूरा फोकस अभी बिहार के लोगों से मिलना और उनकी बात को समझना है. मेरे पास कोई मंच नहीं है. कोई पार्टी नहीं है. बस एक सोच है."
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Published: 05 May 2022,11:23 AM IST