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अगर कुछ महीने पहले आपसे पूछा जाता कि विपक्ष बीजेपी (BJP) से लड़ने के लिए क्या कर रहा है तो शायद आपका जवाब होता...कुछ नहीं, लेकिन आज की डेट में ऐसा जवाब नहीं आएगा. क्योंकि विपक्ष ने अब केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ तीन फ्रंट खोल दिए हैं. राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा (Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra) पर निकल पड़े हैं. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) दिल्ली में विपक्षी नेताओं से मिल रहे हैं और अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ‘मेक इंडिया नंबर-1’ कैंपेन शुरू कर चुके हैं.
राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकल पड़े हैं. कन्याकुमारी से शुरू हुई इस यात्रा में राहुल गांधी 3570 किमी पैदल चलेंगे और 150 दिन में 12 राज्यों के साथ दो केंद्रशासित प्रदेशों को कवर करेंगे. इस यात्रा में राहुल गांधी का आखिरी पड़ाव कश्मीर होगा. कांग्रेस ने इस यात्रा के उद्देश्य बताए हैं. जिसमें धर्मनिर्पेक्ष भावना के लिए देश के लोगों को जोड़ना, करोड़ों भारतीयों जोड़ना और देश मौजूदा वक्त में जिन समस्याओं से जूझ रहा है, उनके बारे में जनता से बात करना शामिल है.
नीतीश कुमार दिल्ली में विपक्ष के तमाम नेताओं से मिल रहे हैं और विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं. उन्होंने पिछले तीन दिन में राहुल गांधी से मिलने के बाद अरविंद दिल्ली के सीएम केजरीवाल, सीताराम येचुरी, एचडी कुमारस्वामी, डी राजा, ओपी चौटाला और शरद पवार से मुलाकात की है. और लगभग सभी नेताओं ने नीतीश कुमार से मिलने के बाद विपक्षी एकता की बात को दोहराया है.
आजादी की 75वीं सालगिरह के मौके पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मे इंडिया नंबर-1 कैंपेन शुरू किया. कोरोना के वक्त से जो बीजेपी और आप के बीच थोड़ी शांति दिख रही थी, वो भंग हुई और अब दोनों पार्टियां एक-दूसरे के सामने खड़ी हैं. डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर सीबीआई के छापों के बाद से आम आदमी पार्टी और भी ज्यादा आक्रामक नजर आ रही है. बुधवार 7 सितंबर को संजय सिंह ने दिल्ली के एलजी द्वारा भेजा गया मानहानि नोटिस फाड़ दिया. अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा में जाकर भी मेक इंडिया नंबर वन कैंपेन लॉन्च किया.
विपक्ष ने सत्ता पक्ष के खिलाफ जो सक्रियता अब दिखाई है और आक्रामकता के साथ जमीन पर प्रयास किये जा रहे हैं वो बीजेपी को चुनौती देने में तो सफल हो सकते हैं लेकिन शायद हरा पाना आसान ना हो. इन प्रयासों में जो दिक्कत नजर आती है वो यही है कि ये अलग-अलग हो रहे हैं. जिसका रिजल्ट हम 2019 में देख चुके हैं. 2019 में चंद्रबाबू नायडू ने विपक्ष को एक साथ लाने की काफी कोशिश की थी लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हुई थी.
हालांकि यूपी में माया और अखिलेश मिलकर लड़े, कांग्रेस कई और छोटे दलों के साथ मिलकर लड़ी, ममता ने अखिलेश-माया का साथ दिया और अखिलेश ने ममता का. लेकिन सब बेकार साबित हुआ. कुछ दिन पहले ममता बनर्जी ने एक बार फिर फ्रंट खोला था लेकिन बहुत सार्थक वो भी साबित नहीं हुआ. लिहाजा विपक्ष को अगर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व बीजेपी को मात देनी है तो इन प्रयासों को एकजुट होकर करना होगा.
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