मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019जमानत जब्त के 'राज',अजान से क्यों नाराज? हार से तंग आ पहुंचे हनुमान जी के द्वार?

जमानत जब्त के 'राज',अजान से क्यों नाराज? हार से तंग आ पहुंचे हनुमान जी के द्वार?

Raj Thackeray की पार्टी MNS से कोई सांसद नहीं, सिर्फ 1 MLA

विकास कुमार
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>Raj Thackeray Loudspeaker Controversy</p></div>
i

Raj Thackeray Loudspeaker Controversy

null

advertisement

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) चीफ राज ठाकरे (Raj Thackeray) राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए लाउडस्पीकर का सहारा ले रहे हैं. उन्होंने हिंदुत्व का कार्ड खेलते हुए कहा, मैं सभी हिंदुओं से अपील करता हूं कि लाउडस्पीकरों (Loudspeaker Controversy) से अजान सुनते हैं तो इसका जवाब लाउडस्पीकरों पर हनुमान चालीसा बजाकर दें. हिंदुओं को गिरफ्तार करने के लिए इतनी जेलें नहीं हैं. वहीं काउंटर अटैक में महाराष्ट्र के सीएम ने पुलिस को पूरी छूट देते हुए कहा, राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को कंट्रोल करने के लिए किसी के आदेश का इंतजार न करें. सब मिलाकर राज ठाकरे राज्य में अपनी आवाज 'लाउड' कर डूबते राजनीतिक करियर को नया जीवन देना चाहते हैं. ऐसे में समझते हैं कि आखिर राज ठाकरे और उनकी पार्टी (MNS History) की राजनीतिक स्थिति क्या है?

राज के पास 'ठाकरे' परिवार का टैग, लेकिन नहीं मिली लेगेसी

राज ठाकरे के पास ठाकरे परिवार का टैग है. वो शिवसेना के पूर्व प्रमुख बाल ठाकरे के भतीजे और सीएम उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई है. इन सबके बावजूद उन्हें ठाकरे परिवार की लेगेसी नहीं मिली. इसकी शुरुआत 2003 में हुई, जब पार्टी सम्मेलन में उद्धव ठाकरे को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया. अगले ही साल 2004 में विधानसभा चुनाव था, जिसमें उद्धव ने राज की दावेदारी को खारिज कर दिया था. उन्हें किसी अहम भूमिका से वंचित रखा.

धीरे-धीरे उद्धव से टकराव बढ़ता गया और मार्च 2006 में राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नव निर्माण सेना नाम की नई पार्टी की घोषणा कर दी. ऐलान से एक साल पहले दिसंबर में उन्होंने शिवसेना छोड़ने की घोषणा कर दी थी. सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. उद्धव ठाकरे की शिकायत करते हुए कहा था कि पिछले दस सालों से पार्टी में उनकी उपेक्षा हो रही है. तब बाल ठाकरे की उम्र करीब 80 साल थी. वह बुजुर्ग हो चुके थे. नई पार्टी के ऐलान के साथ राज ने सोचा कि शिवसेना की आत्मा को फिर से जिंदा करेंगे. लेकिन चुनाव दर चुनाव पार्टी का ग्राफ गिरता चला गया.

साल-दर-साल वोट प्रतिशत घटता चला गया

2006 के बाद महाराष्ट्र में विधानसभा के तीन चुनाव हुए. साल 2009 में MNS को 5.7% वोट मिले थे. लेकिन 2014 में घटकर 3.2% पहुंच गया. पांच साल बाद 2019 में तो 2.3% से ही संतोष करना पड़ा.

महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं. 2009 में राज ठाकरे ने 143 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन सिर्फ 13 ही जीत सके.92 की जमानत ही जब्त हो गई. साल 2014 में 219 सीटों पर चुनाव लड़े, लेकिन सिर्फ 1 उम्मीदवार जीत सका. 209 की जमानत जब्त हो गई. 2019 में भी 101 में से सिर्फ एक उम्मीदवार को जीत मिली. 3.7% वोटों के मार्जिन से कल्याण रुरल से प्रमोद रतन पाटिल जीते थे.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

लोकसभा चुनावों में एक भी उम्मीदवार नहीं जीता

लोकसभा चुनावों में भी MNS की स्थिति जान लीजिए. साल 2009 में पार्टी ने 11 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन एक भी उम्मीदवार नहीं जीता. 9 तो तीसरे नंबर पर रहे. 1 की जमानत जब्त हो गई. कुल 0.4% वोट मिले. वहीं साल 2014 में 10 उम्मीदवार उतारे, लेकिन कोई जीत नहीं सका. सभी की जमानत जब्त हो गई. प्रमोद रतन पाटिल को 15% वोट मिले, उन्हें छोड़कर बाकी के उम्मीदवारों को 10% से भी कम वोट मिले. 2019 में MNS लोकसभा चुनाव नहीं लड़ी

राज ठाकरे-MNS का नासिक-मुंबई के बाहर प्रभाव कम

राज ठाकरे की पार्टी का प्रभाव मुंबई तक ही सीमित है. उनकी पकड़ मुंबई और नासिक में है. ऐसे में राज के सामने चुनौती है कि वह पूरे राज्य में अपनी पार्टी को खड़ा कर सके, इसके लिए उन्हें ऐसे मुद्दे की तलाश थी, जिससे वो शिवसेना से आगे निकल सके. लाउडस्पीकर के जरिए हिंदुत्व की राजनीति चमकाने की कोशिश कर रहे हैं.

महाराष्ट्र में 'हिंदुत्व की राजनीति' का वैक्यूम!

साल 2019 में बीजेपी से अलग होने और कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ सरकार गठन के बाद से लगातार कहा जा रहा है कि शिवसेना ने सॉफ्ट हिंदुत्व का रास्ता अपना लिया है. राज ने इसी मौके का फायदा उठाने की कोशिश की है. महाराष्ट्र में 'हिंदुत्व की राजनीति' का वैक्यूम पैदा होने का जो नैरेटिव सेट हुआ है उसमें वो MNS को फिट करना चाहते हैं. इसके जरिए उन्हें पूरे राज्य में स्थापित होने में आसानी होगी.

राज ठाकरे की एक्टिविटी देखकर लगता है कि अब वो हिंदुत्व की राजनीति चमकाकर महाराष्ट्र में शिवसेना की जगह बीजेपी का जूनियर पार्टनर बनना चाहते हैं. लेकिन उद्धव, बाल ठाकरे की सियासत की विरासत को समझते हैं. इसलिए वो भी हिंदुत्व के मुद्दे पर दावेदारी से पीछे नहीं हट रहे. राज के साथ दिक्कत ये है कि अगर वो हिंदुत्व के मुद्दे पर ही मुख्य दांव लगाते हैं उनकी चाल बीजेपी से हमेशा छोटी ही पड़ेगी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT