मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Rajasthan: कांग्रेस में 'बगावत' के वो 7 किरदार, जिन्होंने आलाकमान को दी चुनौती

Rajasthan: कांग्रेस में 'बगावत' के वो 7 किरदार, जिन्होंने आलाकमान को दी चुनौती

Rajasthan Crisis: धारीवाल, जोशी, चौधरी, राठौड़, खाचरियावास ने वहीं किया जो पहले से तय था?

पंकज सोनी
पॉलिटिक्स
Updated:
<div class="paragraphs"><p>Rajasthan: कांग्रेस में 'बगावत' के वो 7 किरदार, जिन्होंने आलाकामन को दी चुनौती </p></div>
i

Rajasthan: कांग्रेस में 'बगावत' के वो 7 किरदार, जिन्होंने आलाकामन को दी चुनौती

(फोटो: क्विंट)

advertisement

राजस्थान का 'पॉलिटिकल ड्रामा' (Rajasthan Political Drama) अभी खत्म नहीं हुआ है. मुख्यमंत्री के नाम पर सियासी खींचतान जारी है. गहलोत गुट के विधायकों की बगावत से आलाकमान नाराज है. तो वहीं लोग सवाल पूछ रहे हैं कि कांग्रेस अब क्या करेगी? एक तरफ राजस्थान के मुख्यमंत्री का पेंच फंसा है तो दूसरी तरफ अध्यक्ष को लेकर सस्पेंस बरकरार है. चलिए हम आपको बताते हैं कि ये पूरा ड्राम कब और कैसे रचा गया? साथ ही मिलवाते हैं इस सियासी ड्रामे के सभी किरदारों से.

कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री गहलोत के इस्तीफे की मांग के साथ ही पूरे सियासी ड्रामे की स्क्रिप्ट लिखी गई थी. इसके मुख्य किरदार संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल और मुख्य सचेतक महेश जोशी थे. वहीं सपोर्टिंग रोल में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, उपसचेतक महेंद्र चौधरी, संयम लोढ़ा, आरटीडीसी चैयरमैन धमेंद्र राठौड़ थे. इस पूरे ड्र्रामे में एक किरदार ऐसा भी है जिसका रोल छोटा लेकिन असरदार था. वो हैं विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी. जिनका नाम गहलोत गुट की तरफ से मुख्यमंत्री पद के लिए भी आगे बढ़ाया गया. आइए जानते है कि किस किरदार ने किसी तरह से बगावत के सियासी ड्रामे में अपन रोल प्ले किया.

1. शांति धारीवाल

शांति धारीवाल

(फोटो: क्विंट)

शांति धारीवाल संसदीय कार्यमंत्री हैं. गहलोत के राजनीतिक दुख-सुख के साथी हैं. जब भी गहलोत मुख्यमंत्री बने यह तय होता था कि धारीवाल को अहम विभाग मिलेगा. धारीवाल के घर पर ही यह पूरा सियासी ड्रामा खेला गया. यहां से ही विधायकों को पार्टी आलाकमान के संदेशवाहकों की बैठक से पहले मीटिंग का न्योता मिला. हालांकि, धारीवाल ने इस बात का खंडन किया है. लेकिन उनके घर पर विधायकों के लिए लगाए गए टेंट और भोजन की व्यवस्था से यह साफ है कि बैठक पूरी तैयारी के साथ बुलाई गई थी.

धारीवाल ने विधायकों को इस बात के लिए तैयार किया कि पहले तो गहलोत का हटना मंजूर नहीं. यदि पार्टी आलाकमान हटाता है तो सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकर नहीं किया जाएगा. धारीवाल ने प्रदेश प्रभारी अजय माकन पर भी षड्यंत्र का आरोप लगाया है.

2. महेश जोशी

महेश जोशी

(फोटो: क्विंट)

गहलोत सरकार में महेश जोशी दो-दो महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है. एक तरफ वह मंत्री हैं, दूसरी तरफ मुख्यसचेतक भी हैं. 2020 में पायटल गुट की गहलोत सरकार के खिलाफ बगावती चक्रव्यूह तोड़ने वाले जोशी ने इस बार भी अपना किरदार बेहद खुबसूरती के साथ अदा किया. वे विधायक जो गहलोत गुट के नहीं माने जाते थे, तटस्थ भूमिका में रहते थे, उन्हें भी जोशी ने समझा कर धारीवाल के बंगले पर बुलाया. पायलट की बगावत को याद दिलाकर विधायकों को अपने साथ किया. कहा जाता है कि जोशी के सभी विधायकों से मधुर संबंध हैं.

3. प्रताप सिंह खाचरियावास

प्रताप सिंह खाचरियावास

(फोटो: क्विंट)

खाचरियावास बीजेपी पृष्ठभूमि के नेता रहे हैं. 2018 में पायलट कोटे से उन्हें मंत्री बनाया गया था. 2020 की बगावत के बाद गहलोत गुट में शामिल हो गए. इनाम के तौर पर उनका मंत्री पद कायम रहा. इस बार खाचरियावास फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं.

मीडिया में गहलोत समर्थक विधायकों की कमान इन्होंने ही संभाल रखी है. 25 सितंबर को मुख्यमंत्री गहलोत के साथ तनोट माता के दर्शन करने जैसलमेर भी गए थे. यह वही दिन था जिस दिन गहलोत समर्थक विधायकों ने पार्टी आलाकमान के खिलाफ मोर्चा खोला था.

4. महेंद्र चौधरी

महेंद्र चौधरी

(फोटो: क्विंट)

महेंद्र चौधरी उपसचेतक हैं. उन चंद जाट विधायकों में शुमार हैं जो गहलोत के साथ हमेशा खड़े नजर आते हैं. 2008 में गहलोत को मुख्यमंत्री नहीं बनाने के खिलाफ खड़ी हुई जाट लॉबी से अलग रह कर चौधरी ने गहलोत का समर्थन किया था. इस पूरे मामले में समर्थक विधायकों को जमा करने से लेकर उनके इस्तीफे लेने तक का काम चौधरी की देखरेख में हुआ.

5. धर्मेंद्र राठौड़

धर्मेंद्र राठौड़

(फोटो: क्विंट)

आरटीडीसी चैयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ गहलोत के 'किचन कैबिनेट' के सदस्य हैं. विधायक भी नहीं है, लेकिन गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्रियों से भी ज्यादा पॉवरफुल माने जाते हैं. राठौड़ ने इस पूरे मामले में निर्दलीय को साथ लाने में भूमिका निभाई. राजपूत विधायकों को भी साधने का काम किया. इस पूरे प्रकरण में एक मात्र गैर विधायक जो सक्रिय थे.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

6. संयम लोढ़ा

संयम लोढ़ा

(फोटो: क्विंट)

तेज-तर्रार निर्दलयी विधायक सयंम लोढ़ा पुराने कांग्रेसी हैं. 2018 में पायलट ने टिकट काटा तो निर्दलीय जीत कर आ गए. गहलोत और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के करीब हैं. लोढ़ा लगातार पायलट पर निशाना साधते रहे हैं.

गहलोत के हटने की सुगबुगाहट के बीच सबसे पहले निर्दलीय विधायकों में से बोलने वाले लोढ़ा ही थे. उन्होंने ही गहलोत के समर्थन में सबसे पहले इस्तीफा देने का ऐलान मीडिया में किया था. वे तीन निर्दलीय विधायकों को भी अपने साथ लाए. जिनमें खुशवीर सिंह जोजावर प्रमुख नाम हैं. जोजावर की हाल ही में पायलट के साथ भी नजदीकियां बढ़ी थी.

7. सीपी जोशी

सीपी जोशी

(फोटो: क्विंट)

इस पॉलिटिकल ड्रामे में सीपी जोशी का किरदार साइलेंट, लेकिन असरदार था. अब आगे का पूरा खेल जोशी के ईदगिर्द ही खेला जाएगा. 2020 में पायलट खेमे की बगावत के समय आधी रात को जोशी ने नोटिस जारी करके बागी विधायकों को तलब किया था. अब गहलोत में विश्वास जताने वाले विधायकों के इस्तीफे जोशी की तिजोरी में बंद हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 28 Sep 2022,02:23 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT