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शांति धारीवाल: गहलोत का वह सिपाही, जिसने पायलट तो छोड़िए-सोनिया दूत को चुनौती दी

Shanti Kumar Dhariwal: इससे पहले बगावत के समय भी शांति कुमार धारीवाल, गहलोत के लिए संकट मोचक साबित हुए थे.

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राजस्थान में सियासी पारा लगातार चढ़ता जा रहा है. भारत जोड़ने निकली कांग्रेस को राजस्थान में अपने ही विधायकों के हाथों बगावत (Rajasthan Congress Crisis) का सामना करना पड़ा है. अशोक गहलोत की जगह मुख्यमंत्री पद के लिए सचिन पायलट का नाम आते ही गहलोत खेमे के 90 से अधिक कांग्रेसी विधायकों ने बागी रुख अपना लिया.

आलाकमान का संदेश लेकर जयपुर पहुंचे पर्यवेक्षक अजय माकन ने इसे अनुशासनहीनता की संज्ञा दी है. अब अशोक गहलोत के करीबी और उनकी सरकार में संसदीय कार्यमंत्री शांति कुमार धारीवाल (Shanti Kumar Dhariwal) ने सामने आकर अजय माकन पर खुलकर पलटवार किया है. सवाल है कि राजस्थान कांग्रेस संकट के बीच सुर्खियां बटोर रहे शांति कुमार धारीवाल कौन हैं और उनका सियासी कद क्या है?

कौन हैं शांति कुमार धारीवाल?

कांग्रेस की राजनीति सियासत में पार्टी आलाकमान को चुनौती देने वाले शांति कुमार धारीवाल का नाम चर्चा में है. धारीवाल कट्टर कांग्रेसी होने के साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक माने जाते हैं. गहलोत के लिए धारीवाल की अहमियत इस तथ्य में दिखती है कि गहलोत ने अपनी तीन बार की सरकार में हर बार अपने मंत्रिमण्डल में नंबर दो की हैसियत में रखा. 2020 में सचिन पायलट गुट की बगावत के समय भी शांति कुमार धारीवाल गहलोत के लिए संकट मोचक साबित हुए थे.

शांति कुमार धारीवाल बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले हाड़ौती क्षेत्र में कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं. इनके पिता रिखबचंद धारीवाल भी कांग्रेस सरकार में मंत्री थे. शांति कुमार धारीवाल कोटा से तीन बार विधायक रहे हैं और तीनों बार ही वे गहलोत सरकार में मंत्री रहे हैं. कट्टर कांग्रेसी की छवि रखने वाले धारीवाल अपने तेजतर्राट तर्कों के साथ विधानसभा में कांग्रेस के इक्का माने जाते है.

धारीवाल जैन समुदाय से आते हैं और कांग्रेस के फंड मैनेजर भी माने जाते हैं. अशोक गहलोत के कट्टर समर्थक होने के कारण धारीवाल सचिन पायलट विरोधी रुख अपनाते हैं.
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Rajsthan Congress Crisis: शांति कुमार धारीवाल ने अजय माकन पर क्या कहा?

राजस्थान कांग्रेस संकट के बीच संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने प्रदेश प्रभारी अजय माकन की ओर से अनुशासनहीनता को लेकर दिए गए बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि जो लोग आज अनुशासनहीनता की बात कर रहे हैं, वो उन लोगों पर क्यों नहीं बोलते जिन्होंने पार्टी के साथ गद्दारी की थी और सरकार को संकट में डाल दिया था. हालांकि साथ ही उन्होंने माकन के साथ आए मल्लिकार्जुन खड़गे की तारीफ की. धारीवाल ने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे अच्छे आदमी हैं, हमने अपनी बात उनके सामने रखी उन्होंने हमारी बात को गंभीरता से लिया है.

शांति धारीवाल ने कहा कि साल 2020 में राजस्थान कांग्रेस सरकार पर संकट आया था तब सोनिया गांधी ने निर्देश दिए थे कि हर हालात में कांग्रेसी सरकार को बचाना है. तो 35 दिनों तक लगातार बाड़ेबंदी में रहे. जो लोग उस वक्त सरकार गिराने की साजिश में शामिल थे उन्हें आज तवज्जो दी जा रही है. धारीवाल का निशाना सचिन पायलट की ओर था.

उन्होंने कहा कि आज भी राजस्थान से कांग्रेस को हटाने का षडयंत्र हो रहा हैं. धारीवाल ने कहा कि इस षड्यंत्र में कई और लोग भी शामिल हैं. अगर पार्टी आलाकमान मुझसे सबूत मांगेगा तो मैं सबूत पेश कर दूंगा.

शांति धारीवाल ने अपने आवास पर आयोजित हुई बैठक को लेकर कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बैठक की कोई जानकारी नहीं थी. हमने अपने स्तर पर ही बैठक का आयोजन किया था.

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इससे पहले शांतिकुमार धारीवाल अपने निवास पर विधायकों को एक वीडियो में यह कहते सुनाई दिए कि आज ऐसी क्या बात उठ गई जो कांग्रेस आलाकमान अशोक गहलोत का इस्तीफा मांगने के लिए तैयार हो रही है. यह सारा षड़यंत्र है. जिस षड़यंत्र के कारण पंजाब खो दिया, वही राजस्थान में भी किया जा रहा. यही आप सब विधायक समझ जाएं, तब तो राजस्थान बचेगा. वरना राजस्थान भी हाथ से जाएगा.

शांतिकुमार धारीवाल को अपने बयानों से कितना फायदा-कितना घाटा?

बागी विधायकों की साफ शब्दों में मांग है कि या तो अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने रहे या फिर उनके ही किसी समर्थक को मुख्यमंत्री पद दिया जाए. अशोक गहलोत खेमे के बड़े नाम धारीवाल का नाम संभावित उम्मीदवार में शामिल है.

धारीवाल पहले भी इस तरह के बयान दे चुके हैं. उन्होंने यहां तक कहा है कि राजस्थान में अशोक गहलोत ही आलाकमान है. ऐसे में यह भी सवाल है कि क्या अपने इन बयानों से उन्होंने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है. ध्यान रहे कि दिल्ली दरबार में भी धारीवाल की पकड़ मजबूत मानी जाती है. दूसरा गहलोत पूरी तरह से उनके साथ खड़े हैं. इसलिए इस बयान का उनके राजनीति भविष्य पर कोई असर होगा, इसके आसार कम हैं.

(इनपुट- पंकज सोनी)

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