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राजस्थान में पिछले चार दिनों से सियासी ड्रामा जारी है. पहले सचिन पायलट की तरफ से 30 विधायकों के समर्थन की बात, फिर सीएम गहलोत की तरफ से 107 विधायकों के हस्ताक्षर की बात कही गई. लेकिन पिक्चर अभी तक साफ नहीं हो पाई है. अब सीएम गहलोत वो हर मुमकिन तरीका अपना रहे हैं, जिससे सरकार टिकी रहे. इन्हीं में से एक बागी विधायकों की अयोग्यता का मामला भी है. अगर बागी विधायक अयोग्य घोषित हो जाते हैं तो ये गहलोत सरकार के लिए एक जीत जैसा होगा.
गहलोत सरकार ने इस पर काम करना भी शुरू कर दिया है. सभी बागी विधायकों के घरों के बाहर नोटिस चिपका दिए गए हैं. जिसमें उनसे पूछा गया है कि आखिर व्हिप जारी होने के बाद भी वो विधायक दल की बैठक का हिस्सा क्यों नहीं बने.
अब अगर बागियों को व्हिप का पालन नहीं करने और पार्टी के खिलाफ जाने को लेकर अयोग्य घोषित किया जाता है तो राजस्थान के समीकरण पूरी तरह से बदल जाएंगे. साथ ही ये बदले हुए समीकरण गहलोत सरकार के लिए काफी मददगार साबित हो सकते हैं. अगर मान लें कि विधानसभा स्पीकर पार्टी व्हिप की अवहेलना को आधार बनाकर 19 में से 15 विधायकों को अयोग्य घोषित करते हैं तो विधानसभा की सीटें कम हो जाएंगीं.
वहीं इस समीकरण में बीजेपी का गेम पूरी तरह से खराब हो जाएगा. अगर बीजेपी सरकार बनाना चाहती है तो उसे इन बागी विधायकों का भी समर्थन चाहिए. बिना इनके समर्थन के सरकार बनाने का दावा मुमकिन नहीं है.
हालांकि अगर विधायकों पर कार्रवाई होती है तो वो इस फैसले के खिलाफ कोर्ट भी जा सकते हैं. कर्नाटक में जब सरकार गिरने जा रही थी तो विधानसभा स्पीकर ने कई विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था. जिसके बाद ये नाटक कई दिन तक चला और विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया. हालांकि कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के पास इतने विधायक नहीं बचे थे कि वो बहुमत साबित कर पाएं. इसीलिए वहां सरकार गिर गई.
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