राजस्थान में सचिन पायलट ने नाराजगी जताते हुए पार्टी से दूरी बना ली, जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें उनके डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस इकाई अध्यक्ष पद से हटा दिया. अब अपने नेता को हटाए जाने के बाद लगातार पायलट के समर्थक नेताओं ने इस्तीफे देने शुरू कर दिए. राजस्थान में फिलहाल इस्तीफों की झड़ी सी लग गई है. अब देखना होगा कि ये आंकड़ा कहां तक पहुंचता है. इन इस्तीफों को देखते हुए कांग्रेस भी डैमेज कंट्रोल में जुट चुकी है.
मंगलवार को कांग्रेस पार्टी ने फैसला किया कि पायलट को उनके पदों से हटाया जा रहा है. इसके बाद देर शाम तक इस्तीफे आने शुरू हो गए. कांग्रेस नेता प्रशांत सहदेव शर्मा और राजेश चौधरी ने पार्टी को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इसके बाद पूरे राजस्थान से इस्तीफों की खबरें आने लगीं. कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया ने भी पायलट के समर्थन में इस्तीफा दे दिया.
पूनिया ने अपने इस्तीफे के साथ ये भी दावा किया कि, युवक कांग्रेस, राष्ट्रीय भारतीय छात्र संघ (एनएसयूआई) और सेवा दल में कई पदों पर रहे लगभग 400 से 500 सदस्यों ने ताजा घटनाक्रम के विरोध में इस्तीफा दे दिया है.
पायलट के विधानसभा क्षेत्र में भी इस्तीफे
पायलट टोंक विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. बताया गया है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र से भी करीब 50 से ज्यादा कांग्रेस नेताओं ने इस्तीफा दिया है. पाली जिला कांग्रेस अध्यक्ष चुन्नीलाल चादवास ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इसके अलावा इस्तीफों का ये दौर लगातार जारी है. पायलट के समर्थक नेता लगातार विरोध में अपना इस्तीफा सौंप रहे हैं. जो कांग्रेस के लिए एक बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है.
पायलट के समर्थन में कई गुर्जर बहुल इलाकों में भी इस्तीफे हुए हैं और कुछ जगहों पर प्रदर्शन की भी खबर है. इसे देखते हुए गुर्जर बहुल दौसा, अजमेर, टोंक, सवाई माधोपुर और भरतपुर में हाईअलर्ट घोषित कर दिया गया है.
हालांकि कई गुर्जर विधायक ऐसे भी हैं, जो अभी भी गहलोत खेमें में शामिल हैं. वो पायलट के समर्थन में नहीं आए. जो गहलोत सरकार के लिए थोड़ी राहत भरी खबर है.
डैमेज कंट्रोल में जुटी कांग्रेस
हालांकि इन इस्तीफों की झड़ी को देखते हुए कांग्रेस ने तुरंत एक्शन लेते हुए प्रदेश की सभी इकाइयों को भंग करने का फैसला किया. प्रदेश इंचार्ज अविनाश पांडे ने कहा कि फिलहाल प्रदेश की सभी कांग्रेस इकाईयां भंग की जा रही हैं और कुछ ही दिनों में इनका पुनर्गठन होगा. ये फैसला इसलिए लिया गया ताकि जो इस्तीफे आ रहे हैं उन्हें स्वीकार ही न किया जाए. फिलहाल लगातार नजर रखी जा रही है और किसी भी नेता को मीडिया से बात करने की इजाजत नहीं है.
इसके अलावा पार्टी ने अब बागी विधायकों को नोटिस जारी करने शुरू कर दिए हैं. पायलट समर्थक विधायकों के घरों के बाहर नोटिस चिपका दिए गए हैं, इसमें पूछा गया है कि वो व्हिप जारी होने के बाद भी विधायक दल की बैठक में क्यों नहीं पहुंचे. बताया गया है कि कुल 19 विधायकों को ये नोटिस जारी किया गया है और दो दिन में जवाब देने को कहा है.
(इनपुट- आईएएनएस से भी)
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