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Rajya Sabha Election Result: राजस्थान में 1 वोट से पलटा पासा- गहलोत ने मारी बाजी

Rajya Sabha Election Resul: बीजेपी की धौलपुर विधायक शोभारानी कुशवाह ने क्रॉस वोटिंग करते हुए कांग्रेस को वोट दिया

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<div class="paragraphs"><p>Rajya Sabha Election: राजस्थान में 1 वोट से पलटा पासा, कांग्रेस ने जीती 3 सीटें</p></div>
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Rajya Sabha Election: राजस्थान में 1 वोट से पलटा पासा, कांग्रेस ने जीती 3 सीटें

(फोटो:ट्विटर)

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Rajya Sabha Election Result: राजस्थान (Rajasthan) की चार राज्यसभा (Rajya Sabha) सीट के लिए दस दिन तक चले दांव-पेंच के बाद शुक्रवार को आए परिणाम में कांग्रेस ने सभी कयासों को नकारते हुए अपनी ताकत से ज्यादा तीन सीटों पर कब्जा किया है. कांग्रेस को तीसरी सीट अपनी नहीं बल्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राजनीतिक बल से हासिल हुई है. हालांकि, कांग्रेस के तीसरे प्रत्याशी प्रमोद तिवारी को जीत बीजेपी खेमे से हुए क्रॉस वोटिंग से मिल पाई. बीजेपी की धौलपुर विधायक शोभारानी कुशवाह ने तिवारी को वोट दिया. वहीं एक वोट गलत निशान लगाने के कारण खारिज भी कर दिया गया.

शोभारानी कुशवाह के वोट से जीते प्रमोद तिवारी

कुशवाह के वोट की बदौलत कांग्रेस के तीनों प्रत्याशियों को मिलाकर 126 प्रथम वरीयता के वोट मिले. यदि तिवारी को कुशवाह का यह वोट नहीं मिलता तो मामला दूसरी वरीयता के वोट की गणना तक चला जाता. इसके बाद परिणाम क्या होता यह कहा नहीं जा सकता था.

चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद तिवारी से शोभारानी के वोट को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा वे नहीं जानते वह कौन हैं. तिवारी ने कहा कि मैं उनसे कभी मिला भी नहीं हूं. वहीं मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि यह अंतरआत्मा की आवाज पर दिया गया वोट है.

कांग्रेस को वोट डालने पर शोभारानी कुशवाह को बीजेपी से निलंबित कर दिया गया है. कांग्रेस प्रत्याशी रणदीप सिंह सुरजेवाला को 43, मुकुल वासनिक को 42 और प्रमोद तिवारी को प्रथम वरीयता के 41 वोट मिले हैं. वहीं बीजेपी के अधिकृत प्रत्याशी घनश्याम तिवाड़ी भी प्रथम वरीयता के 43 वोट लेकर विजयी रहे. बीजेपी के समर्थित सुभाष चंद्रा चुनाव में कोई कमाल नहीं दिखा सके. चंद्रा को उम्मीद से भी 3 वोट कम मिले.

बीजेपी ने ऐन मौके पर बदली रणनीति

दरअसल, शोभारानी के क्रॉस वोटिंग की जानकारी मिलते ही बीजेपी खेमे में हड़कंप मच गया. बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया सहित अन्य नेताओं ने तुरंत रणनीति बदलते हुए तिवाड़ी को सेफ करने के लिए अपने दो विधायकों को अधिकृत प्रत्याशी को वोट देने के निर्देश दिए. विधायक संजय शर्मा और मंजीत सिंह को पहले सुभाष चंद्रा को वोट डालने को कहा गया था. बाद में उन्होंने तिवाड़ी को वोट डाला.

कांग्रेस ने अपनी रणनीति से सबको किया हैरान

इधर कांग्रेस की रणनीति ने सबको हैरान कर दिया. कांग्रेस ने मुकल वासनिक और रणदीप सुरजेवाला को 43-43 वोट डलवाने की रणनीति बनाई थी, लेकिन वासनिक का एक वोट खारिज होने से उन्हें 42 वोट मिले. लेकिन हैरान करने वाली बात कांग्रेस की रणनीति में यह रही कि प्रमोद तिवारी को 41 वोट का समीकरण बीजेपी के क्रॉसवोट के जरिए किया गया. यानी कांग्रेस के रणनीतिकार को यह पता था कि बीजेपी खेमे में सेंधमारी में वह सफल होंगे. बीजेपी का एक वोट क्रॉस होने के साथ कांग्रेसी खेमे में भी एक वोट खारिज हो गया. जो मुकुल वासनिक के हिस्से का वोट था.

बीजेपी के 71 विधायक और हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के 3 विधायकों को मिलाकर 74 ​वोट थे. घनश्याम ​तिवाड़ी को 43 वोट मिले, जबकि बीजेपी समर्थक निर्दलीय सुभाष चंद्रा को 30 वोट मिले. चंद्रा को जीतने के लिए 11 विधायकों का वोट और चाहिए था. कांग्रेस के पक्ष में 127 विधायकों के वोट पड़े, एक वोट खारिज हो गया. इस तरह तीनों उम्मीदवारों को 126 वोट मिले.

रणदीप सुरजेवाला को 43, मुकुल वासनिक को 42 और प्रमोद तिवारी को 41 वोट मिले. जीत के लिए 41 वोट चाहिए थे. कांग्रेस का एक वोट खारिज होने के बाद भी कांग्रेस के दो उम्मीदवारों को तीन वोट ज्यादा मिले. कांग्रेस के पास अपने 108, आरएलडी के सुभाष गर्ग, सीपीएम और बीटीपी के 2-2 विधायक, 13 निर्दलियों को मिलाकर कुल 126 विधायकों का समर्थन था.

बीजेपी से छीनी तीन सीट

प्रदेश में गहलोत सरकार के सत्ता में आने के समय राजस्थान के दस में से दस राज्यसभा सांसद बीजेपी के थे. 7 जुलाई के बाद यह संख्या 6 कांग्रेस और 4 बीजेपी सांसदों की रह जाएगी. हालांकि, कांग्रेस की तरफ से जीत कर गए छह में पांच सांसद राजस्थान के बाहर के हैं. उनमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के महासचिव वेणुगोपाल शामिल हैं. शुक्रवार को जीते तीनों सांसद भी कांग्रेस के केन्द्रीय नेता हैं. जो राजस्थान से ताल्लुक नहीं रखते हैं.

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1999 में 1 वोट से हारी थी वाजपेयी सरकार

राजस्थान में राज्यसभा चुनाव के परिणामों से साल 1999 में एक वोट से वाजपेयी सरकार गिरने की घटना की यादें ताजा हो गई हैं. हालांकि उस समय संसद में वाजपेयी सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने में हारी थी. वहीं इस बार राजस्थान में बीजेपी को एक वोट भारी पड़ गया है.

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