राजस्थान राज्यसभा चुनाव (Rajasthan Rajya Sabha Election) 2022 के 'रण' में सुभाष चंद्रा की निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में एंट्री ने कांग्रेस में हलचल पैदा कर दी थी. जिसका नतीजा था कि कांग्रेस (Congress) को अपने विधायकों को सेफहाउस में रखना पड़ा था. हालांकि, फूट के डर से BJP ने भी अपने विधायकों को सेफ हाउस में रखा था. लेकिन, अब चुनाव परिणाम के नतीजे आ गए हैं. इस हिसाब से राजस्थान (Rajasthan) की 4 राज्यसभा सीटों में से कांग्रेस ने 3 पर जीत हासिल की है. बीजेपी ने एक सीट पर कब्जा जमाया है. जबकि, निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सुभाष चंद्रा (Subhash Chandra) को हार का सामने करना पड़ा है.
राज्यसभा चुनाव में राजस्थान कांग्रेस ने अपने सभी तीन प्रत्याशियों को जीताने में कामयाबी हासिल की है. इसका सारा श्रेय राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कुशल नेतृत्व को दिया जा रहा है. जिन्होंने कांग्रेस, निर्दलीय और दूसरी पार्टियों के विधायकों को भी अपने साथ जोड़कर रखा.
राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रणदीप सुरजेवाला को 43, मुकुल वासनिक को 42 और प्रमोद तिवारी को 41 वोट मिले हैं. वहीं, कांग्रेस खेमे का एक वोट रद्द हुआ है. जबिक, बीजेपी प्रत्याशी घनश्याम तिवाड़ी को 43 वोट मिले हैं. निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा को सिर्फ 30 वोट हासिल हुए हैं.
राज्यसभा चुनाव में खुद एजेंट बन गए थे अशोक गहलोत
राजस्थान में राज्यसभा चुनाव के लिए सुबह 9 बजे से मतदान शुरू हो गया था. सबसे पहले सीएम अशोक गहलोत ने मतदान किया था. इसके बाद दूसरा वोट BSP से कांग्रेस में आए विधायक राजेंद्र गुढ़ा ने डाला था. वोट डालने के बाद अशोक गहलोत और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पोलिंग एजेंट के तौर पर काम कर रहे थे. माना जा रहा है कि क्रॉसवोटिंग के डर से गहलोत ने यह कदम उठाया था. वहीं, कांग्रेस को जिन विधायकों पर सबसे अधिक क्रॉस वोटिंग की आशंका थी, उनसे पहले वोट डलवा लिया गया. BSP से कांग्रेस में आए सभी 6 विधायकों से भी पहले ही मतदान करवा लिया गया.
200 विधानसभा सदस्यों वाले राजस्थान में 4 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हुए. एक सीट के लिए 41 वोटों की जरूरत थी. कांग्रेस ने मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी और रणदीप सुरजेवाला को अपना उम्मीदवार बनाया था. बीजेपी ने घनश्याम तिवाड़ी को अपना प्रत्याशी बनाया था. वहीं, सुभाष चंद्रा ने बीजेपी के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर राजस्थान की राजनीति को दिलचस्प कर दिया था.
राजस्थान में राज्यसभा की 4 सीटों में से 3 सीट जीतने के लिए कांग्रेस को कुल 123 वोटों की जरूरत थी. राजस्थान विधानसभा में पार्टी वाइज बात करें तो कांग्रेस के पास 108 विधायक, बीजेपी के पास 71, निर्दलीय 13, RLP- 3, BTP- 2, माकपा- 2 और RLD के पास एक विधायक हैं. ऐसे में कांग्रेस को तीसरी सीट के लिए 15 और विधायकों की जरूर थी. हालांकि, शुरू से कांग्रेस का दावा रहा कि उसके पास 126 विधायकों का समर्थन है.
परिणाम के पहले ही सुभाष चंद्रा ने मानी ली थी हार
अब बता करते हैं निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा की. सुभाष चंद्रा ने बीजपी के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे थे. बीजेपी के पास 71 MLA हैं. इसमें से घनश्याम तिवाड़ी को 41 वोटों की जरूर थी. बाकी बचे 30 वोट सुभाष चंद्रा को जाने वाले थे. वहीं, RLP ने पहले ही घोषणा कर दिया था कि उसके सभी 3 विधायक निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा को वोट करेंगे. ऐसे में सुभाष चंद्रा के पास कुल 33 वोट थे. उन्हें जीत के लिए 8 विधायकों की और दरकार थी.
राज्यसभा चुनाव का परिणाम आने से पहले ही बीजेपी के समर्थन से मैदान में उतरे निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा ने दिल्ली की राह पकड़ ली थी. क्रॉस वोटिंग पर चंद्रा ने कहा कि जब मैं यही काम करवाना चाह रहा था और दूसरे ने कर दिया तो इसमें क्या शिकायत?
वसुंधरा राजे के करीबी विधायकों ने बिगाड़ा सुभाष चंद्रा और BJP का खेल
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से बीजेपी आलाकमान की अदावत राज्यसभा चुनाव में महंगी पड़ी है. जिसका नतीजा रहा कि जोड़-तोड़ की राजनीति करने वाली बीजेपी, राजस्थान में वसुधरा के दगा से और गहलोत के माइंड-गेम के आगे मात खा गई.
बीजेपी विधायक शोभारानी कुशवाह ने क्रॉस वोटिंग करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद तिवारी को वोट दे दिया. राजस्थान के धौलपुर से विधायक शोभा रानी काफी वक्त से बीजेपी से अलग-थलग देखी जा रही थीं. बीजेपी ने शोभारानी कुशवाहा के वोट को रद्द करने की मांग की थी, लेकिन चुनाव आयोग ने इस वोट को सही मानते हुए कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद तिवारी के खाते में जोड़ा है.
गढ़ी से बीजेपी विधायक कैलाश मीणा पर भी आरोप लगा था कि मीणा ने अपना वोट पार्टी एजेंट की जगह पर किसी और को दिखाया दिया था. कांग्रेस ने इसे लेकर शिकायत दर्ज कराई था और वोट को रद्द करने की मांग की थी. लेकिन, चुनाव आयोग ने कैलाश मीणा को वोट भी रद्द नहीं किया है. दरअसल, दोनों बीजेपी विधायक (शोभारानी कुशवाहा और कैलाश मीणा) वसुंधरा राजे के खेमे के माने जाते हैं. ऐसे में इसे पार्टी के अंदर अंतर्कलह से जोड़कर देखा जा रहा है.
वहीं, बीजेपी विधायक सिद्धि कुमारी ने सुभाष चंद्रा के बजाय बीजेपी प्रत्याशी घनश्याम तिवाड़ी को अपने वोट दे दिया था. सिद्धी कुमारी बीकाने पूर्व से बीजेपी विधायक हैं. दरअसल, बीजेपी ने तय किया था कि सिद्धी कुमारी का वोट निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा को डाला जाए, लेकिन सिद्धि कुमारी ने अपना वोट घनश्याम तिवाड़ी को डाल दिया.
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