मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019यूपी में प्रियंका गांधी की आंधी, BJP के खिलाफ एकजुट हो विपक्षः संजय राउत

यूपी में प्रियंका गांधी की आंधी, BJP के खिलाफ एकजुट हो विपक्षः संजय राउत

संजय राउत ने कहा है कि हिंदुत्व पर केवल बीजेपी का कॉपी राइट नहीं है.

ऋत्विक भालेकर
पॉलिटिक्स
Updated:
<div class="paragraphs"><p>संजय राउत</p></div>
i

संजय राउत

फोटोः क्विंट हिंदी

advertisement

शिवसेना ने महाराष्ट्र के बाहर पहली लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की है. दादरा-नगर हवेली चुनाव क्षेत्र से सांसद मोहन डेलकर की आत्महत्या के बाद उनकी पत्नी कमलाबेन डेलकर ने शिवसेना के समर्थन से जीत हासिल की है. जिसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का विस्तार करने के लिए शिवसेना (Shiv Sena) के हौसले बुलंद है. इसी जीत के सूत्रधार सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने शिवसेना के विस्तार के बारे में क्विंट हिंदी से बात की है.

1. दादरा-नगर हवेली की जीत शिवसेना के लिए क्या मायने रखती है?

शिवसेना 50 सालों से महाराष्ट्र और देश की राजनीति में है. लेकिन महाराष्ट्र के बाहर शिवसेना को जीत हासिल नहीं हुई थी. हम उस जीत की तलाश में थे. दादरा-नगर हवेली ने हमारे लिए वो जीत का दरवाजा खोल दिया है. ये हमारी पार्टी की जीत है.

2. महाराष्ट्र के बाहर जीत हासिल करने में कुछ ज्यादा समय नहीं लग गया?

हम तीस सालों तक तो मुंबई, ठाणे, पुणे के बाहर नहीं निकले. इसके बाद बालासाहब ने महाराष्ट्र में संगठन का जाल फैलाना शुरू किया. लेकिन बाबरी ढहने के बाद शिवसेना और बालासाहब की देश मे लहर उठी. उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली में लोग शिवसेना का झंडा उठाना चाहते थे. लेकिन देश में हम बीजेपी के साथ गठबंधन में थे. बालासाहब बड़े दिल के इंसान थे. वो कहते थे कि हिंदुओं के मतों का बंटवारा हो ऐसा कोई कदम हम नहीं उठाएंगे.

इसीलिए हम अपने पार्टी का विस्तार नहीं कर पाए और बीजेपी हमारी मदद से बढ़ती गई. लेकिन अब हमने काम फिर से शुरू किया है. हम महाराष्ट्र के बाहर पार्टी का विस्तार गंभीरता से करना चाहते हैं.

बीजेपी हिंदुत्व पर कॉपीराइट जताती है, शिवसेना को सेक्युलर कहा जा रहा है?

बीजेपी के कहने पर राजनीति नहीं चलेगी. अगर बीजेपी इतनी प्रखर हिंदुत्ववादी है तो हिमाचल, पश्चिम बंगाल और दादरा-नगर हवेली में चुनाव क्यों हार गई? हम भी प्रखर हिंदुत्ववादी हैं और रहेंगे.

उपचुनाव के नतीजे मौजूदा राज्य सरकार की जीत दर्शाते हैं या फिर रीजनल पार्टी की बढ़त?

ये चुनाव नतीजे बीजेपी की हार दर्शाते हैं. लोग बीजेपी से ऊब गए हैं. रोज बदलने वाली भूमिका और जनता के प्रति नफरत साफ नजर आ रही है. महंगाई के ऊपर कोई बात नहीं कर रहा. हारने के बाद हिमाचल के मुख्यमंत्री कहते हैं कि महंगाई की वजह से हारे.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

5. लक्ष्य दिल्ली का है, लेकिन दादरा-नगर हवेली के बगल में गुजरात भी आता है.

गुजरात में भी काम चल रहा है. गुजरात के लोग भी चाहते हैं कि शिवसेना भगवा झंडा लेकर वहां आए. गुजरात का रास्ता भी दादरा-नगर हवेली, दमन-दीव से जाता है. हमने वो रास्ता खोल दिया है. वहां कितनी सीटे लड़नी हैं, इसपर चर्चा शुरू है. एनसीपी भी गुजरात मे चुनाव लड़ती है. शरद पवार से भी बात करेंगे. गठबंधन हुआ तो ठीक नहीं तो खुद के दम पर शिवसेना चुनाव लड़ेगी.

6. राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने में शिवसेना कि क्या भूमिका रहेगी?

देश की विपक्षी पार्टियां बीजेपी की घोर विरोधी हैं. यूपी में प्रियंका गांधी की आंधी चल रही है. वहां कांग्रेस फिर से जिंदा हो रही है. वहां के प्रतिद्वंद्वी मायावती और अखिलेश को बीजेपी से नहीं बल्कि कांग्रेस से डर लग रहा है. इसीलिए सभी विरोधी पार्टियों को एक साथ बैठ कर निर्णय लेना चाहिए.

जिस तरह 1978 में कांग्रेस के खिलाफ सभी पॉलिटिकल पार्टियां को इकट्ठा कर जनता पार्टी या वी पी सिंह के नेतृत्व में जो जनता दल बना था. अगर ये नहीं करोगे तो देश मे तानाशाही और लोकतंत्र की हत्या देखनी पड़ेगी.

7. 2024 की लोकसभा चुनाव में शिवसेना UPA का हिस्सा बनते दिखेगी या किसी और महागठबंधन में शामिल होगी?

फिलहाल तो हम NDA का हिस्सा नहीं हैं और दूर-दूर तक वापस होने की संभावना भी नहीं है. महाराष्ट्र में हमारे मुख्यमंत्री के नेतृत्व में ठीक-ठाक सरकार चल रही है. इसे तोड़-मरोड़ के नई व्यवस्था बनाने का सवाल पैदा नही होता.

8. क्या महाराष्ट्र की राजनीति काफी निजी स्तर पर चली गई है?

महाराष्ट्र में कभी ये परंपरा नहीं रही. एक-दूसरे के परिवार तक बदले की राजनीति कभी नहीं पहुंची. लेकिन पिछले 2-4 साल से ये हो रहा है. इसके लिए बीजेपी की घटिया सोच जिम्मेदार है.

महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार नहीं है. इसलिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर महा विकास अघाड़ी सरकार के मंत्री और नेताओं के बीवी-बच्चों के खिलाफ जो मुहिम शुरू है, इसमें नैतिकता का आधार नही हैं. इसीलिए उद्धव ठाकरे हमेशा से आह्वान करते आ रहे हैं कि इस तानाशाही से मुक्ति पानी है तो आपसी मतभेद भुलाकर हमें एक साथ आना होगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 04 Nov 2021,10:25 AM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT