महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी हासिल करने के बाद पहली बार उद्धव ठाकरे ने शिवसैनिकों को शिवसेना की परंपरागत दशहरा रैली में खुलकर संबोधित किया. इसीलिए संदेश स्पष्ट और निशाना सटीक था. भाषण में शुरू से लेकर अंत तक उद्धव बीजेपी और केंद्र सरकार पर जमकर बरसे. इतना ही नहीं बल्कि इस बार आरएसएस भी निशाने पर था. कह सकते हैं कि इस ऐतिहासिक मंच से उद्धव का ये आगामी राजनीति की दिशा तय करनेवाली निर्णायक भाषण था.
BJP से पैचअप, अभी मुमकिन नहीं
उद्धव ने केंद्रीय एजंसियों की कार्रवाइयों का हवाला देते हुए बीजेपी को ललकारा. किसी के आड़ से नहीं बल्कि सीधे सीधे वार करने को कहा. बीजेपी पर हमला बोलते हुए उद्धव ने इन कार्रवाइयों के पीछे सूत्रधार को नामर्द भी कहा. मतलब साफ है कि महाविकास अघाड़ी सरकार के मंत्रियों और नेताओं पर ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स के कसते शिकंजे के सामने शिवसेना घुटने टेकने के मूड में नहीं दिख रही. इसी के साथ उद्धव ने फिर से बीजेपी के साथ हाथ मिलाने की चर्चाओं पर फिलहाल तो पूर्ण विराम लगा दिया है.
आरएसएस पर निशाना
उद्धव ने बीजेपी के हिंदुत्व को सत्ता तक पहुंचने की सीढ़ी बताया, जिसपे चढ़कर बीजेपी सत्ता के नशे में चूर-चूर हो गई है. उद्धव ने कहा कि जिन मतदाताओं ने बीजेपी को सत्ता दी आज उन्हीं मतदाताओं को कुचल रही है. इसके सामने उन्होंने शिवसेना के हिंदुत्व का उल्लेख किया. हिंदुत्व के मुद्दे पर उद्धव ने आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत को भी नहीं बक्शा. उद्धव ने पूछा कि क्या मोहन भागवत को लखीमपुर खीरी की बर्बरता नजर नहीं आ रही? आरएसएस के माध्यम से सत्ता तक पहुंचे लोगों को असली हिंदुत्व की याद दिलाने की नसीहत भी उद्धव ने मोहन भागवत को दी.
सीधे आरएसएस पर हमला बोलकर उद्धव ने नया मोर्चा खोला है और बीजेपी से युद्ध के मोर्चे को और तीखा बनाया है. जाहिर है शिवसेना की 'हिंदुत्व' की छत्रछाया में रहना तो चाहती है लेकिन अब कट्टर हिंदुत्ववादी संगठन के इमेज से प्रोग्रेसिव हिंदुत्ववादी सगंठन के रूप में खुद को पेश करना चाहती है.
राज्यों को एकजुट होने की अपील
हिंदू वोटबैंक के साथ अब माइनॉरिटी वोटबैंक में भी स्पेस ढूंढने के प्रयास में शिवसेना दिख रही है. इसके अलावा देश के फेडरल स्ट्रक्चर पर चर्चा करने की मांग को रखते हुए उद्धव ने सभी गैर बीजेपी राज्यों को केंद्र के भेदभाववाले सलूक के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है. इस माध्यम से राष्ट्रव्यापी राजनीति में नेतृत्व करने की मंशा भी उद्धव ने अप्रत्यक्ष रूप से दिखा दी है. इसको आप इससे भी जोड़ कर देख सकते हैं कि उद्धव ने बंगाल का उदाहरण देते हुए ममता दीदी की तारीफ की. ममता की हिम्मत की दाद देते हुए वक्त आने पर महाराष्ट्र में भी ममता की राह पर चलने की शिवसैनिकों को हिदायत दी.
कुल मिलाकर देखा जाए तो एक बात तो तय है कि उद्धव ने अब बीजेपी के खिलाफ खुलेआम जंग छेड़ दी है. राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप, केंद्रीय एजेंसियों का बढ़ता दबाव या फिर हिंदुत्व के कॉपी राइट्स पर बहस..इस सब के बीच उद्धव अब आर-पार की लड़ाई के लिए मैदान में उतर गए हैं.
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