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कर्नाटक में फैला सियासी बवाल अब कुछ दिन और चलने वाला है. सुप्रीम कोर्ट ने 16 जुलाई तक फैसला टाल दिया है और कहा है कि तब तक यथास्थिति बनी रहे. सुप्रीम कोर्ट ने 10 बागी विधायकों की याचिका पर दूसरे दिन सुनवाई की. इससे पहले कोर्ट ने विधायकों को स्पीकर के सामने पेश होने और अपने इस्तीफे सौंपने का आदेश दिया था. साथ ही स्पीकर को भी इन इस्तीफों पर फैसला लेने को कहा गया था.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार और बागी विधायकों के वकीलों के बीच जमकर बहस हुई. दोनों तरफ से दलीलें रखी गईं. कर्नाटक के बागी विधायकों की तरफ से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा,
बागी विधायकों की पैरवी कर रहे मुकुल रोहतगी का जवाब देते हुए स्पीकर की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि स्पीकर ने कोर्ट की अवमानना नहीं की है. उन्होंने कहा,
सीएम कुमारस्वामी के वकील भी कोर्ट में दलील रखने के लिए मौजूद थे. उनकी तरफ से एडवोकेट राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट को कहा, इस पूरे केस को सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार ही नहीं किया जाना चाहिए. सरकार ठीक से काम नहीं कर रही या फिर ऐसी किसी बात के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका नहीं दी जा सकती. स्पीकर को संवैधानिक अधिकार है कि वो इस्तीफों पर फैसला कर सकता है कि वो सही हैं या फिर गलत.
धवन ने कोर्ट में किहोतो होलोहन केस का जिक्र करते हुए कहा कि, कोर्ट सिर्फ स्पीकर के फैसले के बाद इसका रिव्यू कर सकता है. लेकिन कोर्ट स्पीकर को फैसला लेने का समय और कैसे काम करना है ये नहीं बता सकता.
कर्नाटक में जारी सियासी घमासान के बीच शुक्रवार से विधानसभा सत्र की भी शुरुआत हो चुकी है. इस विधानसभा सत्र के लिए कांग्रेस-जेडीएस ने सभी विधायकों के लिए व्हिप जारी किया. इसके अलावा बागी विधायकों के घर के बाहर व्हिप की कॉपी चिपकाई गई. वहीं बीजेपी की तरफ से भी सत्र के लिए व्हिप जारी किया गया. विधानसभा सत्र के पहले दिन मुसीबत में घिरे सीएम कुमारस्वामी ने सदन में बहुमत साबित करने के लिए समय मांगा. उन्होंने स्पीकर से कहा कि इस सत्र में सभी घटनाक्रम के बीच मैं आपसे बहुमत साबित करने की इजाजत और समय मांगना चाहता हूं.
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Published: 12 Jul 2019,02:11 PM IST