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उत्तरप्रदेश में बीएसपी और एसपी ने आरएलडी के साथ मिलकर सारी सीटें बांट ली हैं लेकिन कांग्रेस से पूछा तक नहीं. कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सरकार बनाकर शानदार वापसी की है लेकिन उत्तर प्रदेश की दोनों पार्टियां उसे भाव देने को तैयार नहीं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी और आरएलडी गठबंधन ने आपस में सीटों का फॉर्मूला बना लिया है. लेकिन इस गठबंधन में कांग्रेस को जगह नहीं मिली है.
रिपोर्ट्स की मानें तो 15 जनवरी को बीएसपी चीफ मायावती के जन्मदिन के मौके पर गठबंधन का औपचारिक ऐलान हो सकता है.
एसपी-बीएसपी और कांग्रेस पूरी तरह गठबंधन के मूड में थे. लेकिन अब तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत ने हालात थोड़ा बदल दिए हैं. पहले कांग्रेस को दीन-हीन माना जा रहा था लेकिन अब वो मोल-भाव करने की स्थिति में आ गई है.
यूपी की तीन लोकसभा सीटों गोरखपुर, फूलपुर और कैराना उपचुनाव एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन ने जीते. कैराना लोकसभा सीट में आरएलडी और बाकी दोनों लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी की जीत हुई. बीएसपी ने सभी जगह अपने दोनों सहयोगियों को मदद की. उपचुनावों में बीजेपी की हार के बाद एसपी-बीएसपी बहुत नजदीक आ गए.
उपचुनावों में जीत से एसपी-बीएसपी के टूट रहे मनोबल को मजबूती मिली और एक-दूसरे के जानी दुश्मन, बीजेपी को खदेड़ने के लिए साथ लड़ने का संकेत देने लगे. इस मिशन में एसपी-बीएसपी के साथ आरएलडी भी थी, कांग्रेस को भी इसमें शामिल किया गया, लेकिन बड़े ही बेचारेपन से. उस वक्त लोकसभा चुनावों के लिए मोटे तौर पर सामने आए फॉर्मूले के हिसाब से-
तीनों राज्यों में कांग्रेस को अगर जीत न मिलती, तो शायद पुराने समझौते में उसे जो मिल रहा था, वही काफी होता. लेकिन अब सूरत पूरी तरह बदल गई है. तीनों राज्यों में कांग्रेस की जीत ने उसकी बारगेनिंग पावर बढ़ा दी है. और यही वजह है कि एसपी-बीएसपी ने जो नया फॉर्मूला तैयार किया है, उसमें कांग्रेस को जगह नहीं दी गई है.
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में बीएसपी-एसपी और कांग्रेस के अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरने से ही साफ हो गया था कि कांग्रेस की राह आसान होने वाली नहीं है. अखिलेश और मायावती दोनों की ही जरूरत भले ही दोनों को साथ ले आई हो, लेकिन उन्हें पता है कि कांग्रेस को साथ लाने से सूबे में उनका कोई खास फायदा होने वाला नहीं हैं.
तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत के बाद मायावती की पार्टी बीएसपी ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए समर्थन दिया. हालांकि, वह शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुईं. कांग्रेस की जीत पर बीएसपी चीफ मायावती ने जो कहा, उस पर गौर कीजिए:
मायावती का बयान हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के तुरंत बाद आया था. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीजेपी को हराने वाली कांग्रेस की जीत से बीएसपी कितनी खुश है!
हालही में डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने 2019 के लोकसभा चुनावों में विपक्षी गठबंधन के पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नाम का प्रस्ताव आगे बढ़ाया. हालांकि, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव असहमत हैं.
अखिलेश यादव से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसा जरूरी नहीं है कि गठबंधन की भी ऐसी ही राय हो. अखिलेश ने कहा,
अखिलेश और मायावती दोनों ही कांग्रेस को लगातार नजरअंदाज कर उस पर दवाब बनाते रहे हैं, ताकि वह किसी भी तरह की कोई मोल-भाव न कर सके.
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Published: 19 Dec 2018,11:46 AM IST