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बात जून 1996 की है लोकसभा में अटल जी की सरकार गिर चुकी थी. देवेगौड़ा की मिलीजुली सरकार बनी थी और लोकसभा में विश्वास मत पर वोटिंग होने वाली थी. बीजेपी की तरफ से जसवंत सिंह भाषण खत्म कर चुके थे और अब बारी थी ऐसे वक्ता की जो देवेगौड़ा सरकार में शामिल सभी दलों को घेरने वाली थी.
लोकसभा में करीब 26 मिनट तक सुषमा स्वराज का भाषण चला. इस दौरान उन्होंने देवेगौड़ा के नेतृत्व में जोड़तोड़ कर बनाई गई सरकार पर जोरदार हमला बोला.
पूरी लोकसभा ठसाठस भरी हुई थी. ऐसा लग रहा था कि नियति ने ये तय किया है कि सुषमा अपने जीवन का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक भाषण देने वाली हैं.
सुषमा स्वराज ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि उन पर (बीजेपी पर) हमेशा साम्प्रदायिक होने का आरोप लगता है. इसके बाद सुषमा ने बीजेपी के साम्प्रदायिक होने की परिभाषा बताई. जैसे ही सुषमा ने कहा कि हां हम साम्प्रदायिक हैं वैसे ही पूरे सदन में हल्ला मचने लगा, वामपंथी और जनता दल वाले धड़े की तरफ से मखौल उड़ाया गया. लेकिन सुषमा का आत्मविश्वास नहीं डगमगाया. उन्होंने बताया कि वो क्यों कहतीं हैं कि वो सांप्रदायिक हैं.
सुषमा ने देवेगौड़ा सरकार के सेकुलरिज्म पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए अपना भाषण जारी रखा. सुषमा ने कांग्रेस पर हमला करते हुए पूछा, ‘‘क्या दिल्ली की सड़कों पर सिखों का कत्लेआम करने वाली कांग्रेस सेक्युलर है?’’ इसके बाद स्पीकर नीतीश कुमार से मुखातिब होकर सुषमा ने पूछा कि ‘‘आप बिहार के साक्षी हैं. क्या मुस्लिम और यादव का MY समीकरण बनाकर राजनीति करने वाले ये जनता दल के नेता सेक्युलर हैं?’’
इसी बीच कांग्रेस और जनता दल के नेता भड़क उठे और हंगामा करने लगे. फिर खड़े हुए चन्द्रशेखर.
इसके बाद सुषमा ने अपना प्रहार जारी रखते हुए कहा, ‘‘अपने वोटबैंक के लिए रामभक्तों पर गोलियां चलाने वाले ये समाजवादी पार्टी वाले सेक्युलर हैं. चकमा शरणार्थियों को भगाने वाले और बांग्लादेशी मुसलमानों को बसाने वाले ये वामपंथी सेक्युलर हैं.’’
सुषमा स्वराज अपने साम्प्रदायिक होने की परिभाषा बता चुकी थीं. अब पलड़ा बैलेंस करने की बारी थी.
डीएमके के नेता मुरासोली मारन ने बीजेपी के लिए एक टिपण्णी की थी, जिसका जिक्र कर सुषमा ने भारतीयता का मतलब बताया. डीएमके नेता मारन ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा था:
इसके जवाब में सुषमा ने कहा, ‘‘अध्यक्ष जी ! आज से पहले तक तो सिर्फ हिंदुत्व पर प्रश्न चिह्न लगाया जाता था. हमसे हिंदुत्व शब्द के मायने पूछे जाते थे. लेकिन पिछले विश्वास मत पर चर्चा सुनते समय मेरी आंखें तब डबडबा गईं, जब इस सदन में भारतीयता शब्द पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया गया. कहा गया "You are different, We are different...पूछा गया, आप कौन सी संस्कृति की बात कर रहे हैं? पूछा गया, भारतीयता क्या होती है?’’
आगे सुषमा कहतीं हैं, ‘‘अध्यक्ष जी, मैं मुरासोली मारन जी से बहुत अदब से ये कहना चाहूंगी, कि भारतीयता के मायने जानने के लिए कहीं जाने की जरुरत नहीं है, किसी शब्दकोष में ढूंढने की जरुरत नहीं है. मैं यहीं बताती हूं, क्या होती है भारतीयता.’’
इस भाषण के अंत में सुषमा स्वराज ने शरद पवार को ललिता पवार कहा था जिसपर पूरा सदन हंसने लगा था, हंसने वालों में खुद पवार भी थे. चंद्रशेखर एक बार फिर खड़े हुए और कहा कि हो सकता है कि सुषमा जी का अनुभव ऐसा ही रहा हो, इसलिए वो ऐसा कह रही हैं.
सुषमा स्वराज का वो ऐतिहासिक भाषण आज भी यूट्यूब पर मौजूद है. उस दौर के कई नेता आज भी हैं और कई नहीं हैं. जो नहीं हैं उनमें से एक खुद सुषमा स्वराज भी हैं.
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Published: 07 Aug 2019,07:57 PM IST