बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से जनता दल यूनाइटेड के निकलकर महागठबंधन में शामिल हो जाने के बाद दो विधानसभा सीटों गोपालगंज और मोकामा में होने वाला उपचुनाव दोनों गठबंधनों के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगी।
निर्वाचन आयोग द्वारा सोमवार को दोनों सीटों पर उपचुनाव की तिथियों की घोषणा करने के बाद राज्य के राजनीतिक हलकों में सरगर्मी तेज हो गई है।
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार चल रही है, जिसे सात दलों का समर्थन प्राप्त है।
गोपालगंज पर पिछली बार भाजपा और मोकामा पर राजद को जीत मिली थी। गोपालगंज के विधायक सुभाष सिंह का निधन हो गया है जबकि मोकामा के विधायक अनंत सिंह एक मामले में सजायाफ्ता होने के बाद सदस्यता खो दी है।
गोपालगंज भाजपा की परंपरागत सीट रही है। भाजपा जहां गोपालगंज सीट बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेगी वहीं महागठबंधन मोकामा सीट बचाते हुए गोपालगंज सीट जीतकर भाजपा पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने की हर संभव कोशिश करेगी।
इसमें कोई शक नहीं कि जदयू के साथ गठबंधन करने के बाद राजद अभी मजबूत स्थिति में दिख रही है, लेकिन उपचुनाव में गठबंधन में शामिल सभी दलों को संतुष्ट रख पाना आसान नहीं है। मोकामा उपचुनाव में जदयू अपने प्रत्याशी उतारती है कि राजद के हिस्से यह सीट आती है, यह देखने वाली बात होगी। पिछले चुनाव में राजग की ओर से जदयू यहां अपने प्रत्याशी उतारी थी और दूसरे नंबर पर थी।
गोपालगंज सीट से भाजपा के सुभाष सिंह लगातार चार बार से जीत रहे थे। पिछले चुनाव में राजद ने 2020 में इस सीट को कांग्रेस के लिए छोड़ दी थी, और भाजपा यहां से जीत दर्ज की थी।
माना जा रहा है कि भाजपा ने अगर सुभाष के परिवार से किसी को टिकट दिया तो सहानुभूति लहर का लाभ मिल सकता है।
महागठबंधन की ओर से कांग्रेस की दावेदारी प्रबल है, लेकिन सूत्रों का दावा है कि जदयू यहां से अपना प्रत्याशी उतार सकती है। देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस मामले पर कितना पीछे हटती है।
इधर, विधायक अनंत सिंह के मोकामा प्रारंभ से ही आसान सीट रही है। अनंत सिंह यह निर्दलीय, राजद और जदयू से चुनाव जीत चुके है। इधर, इन दोनों सीटों पर होने वाले उपचुनाव में विकासशील इंसान पार्टी भी प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर चुकी है। ऐसे में तय माना जा रहा है कि यह उपचुनाव दिलचस्प होगा।
--आईएएनएस
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