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अगले साल यानी 2022 की शुरुआत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. जिनमें उत्तराखंड (Uttarakhand Elections) भी शामिल है. उत्तराखंड में अबकी बार मुकाबला काफी ज्यादा दिलचस्प है. क्योंकि सत्ताधारी बीजेपी पहले ही जनता की नाराजगी के चलते तीन मुख्यमंत्री सामने ला चुकी है, उधर कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में आने की कोशिश में जुटी है. लेकिन आम आदमी पार्टी ने इस बार मुकाबला और कड़ा कर दिया. पार्टी ने सभी दलों से पहले ही सीएम उम्मीदवार के तौर पर कर्नल अजय कोठियाल के नाम का ऐलान किया है.
लेकिन अब बीजेपी की तरफ से भी राज्य में सेना के एक पूर्व अधिकारी को अहम पद दिया गया है. चुनाव से ठीक पहले सेना से रिटायर हुए लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह को उत्तराखंड का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है. जिसके बाद राजनीतिक जानकार ये सवाल उठा रहे हैं कि, क्या आम आदमी पार्टी के कर्नल के जवाब में बीजेपी ने जनरल को राज्य में उतारा है?
अब सेना के एक पूर्व अधिकारी को उत्तराखंड जैसे चुनावी राज्य में बड़े पद पर नियुक्ति मिलना भले ही एक संयोग हो, लेकिन इसे कहीं न कहीं प्रयोग के तौर पर भी देखा जा सकता है. क्योंकि राज्य में तेजी से और पिछले कई महीने से प्रचार में जुटी आम आदमी पार्टी बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए खतरे की घंटी है. खासतौर पर बीजेपी के लिए, क्योंकि वो अभी राज्य की सत्ता में काबिज है.
अब आप यही सोच रहे होंगे कि सेना के एक पूर्व अधिकारी से बीजेपी और कांग्रेस जैसे दलों को क्या फर्क पड़ने वाला है? लेकिन ऐसा नहीं है. दरअसल कर्नल अजय कोठियाल अपने यूथ फाउंडेशन के लिए उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में काफी ज्यादा मशहूर हैं. क्योंकि इसके जरिए वो पहाड़ के उन युवाओं को सेना में भर्ती कराने की ट्रेनिंग देते हैं, जो रोजगार की तलाश कर रहे हों. कोठियाल का दावा है कि अब तक करीब 10 हजार से ज्यादा युवाओं को देश की सेना और अर्धसैनिक बलों में भेज चुके हैं. इसके अलावा कोठियाल को केदारनाथ आपदा के राहत बचाव कार्य के लिए भी जाना जाता है. आपदा के दौरान कर्नल कोठियाल की टीम ने रेस्क्यू और पुनर्निर्माण का काम किया था.
अब उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है, जहां लगभग हर परिवार सेना से जुड़ा है. यहां के लगभग हर गांव से हर साल कई फौजी निकलते हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी ने राज्य में कोठियाल के नाम पर दाव खेला है.
अब सवाल ये है कि क्या वाकई में बीजेपी लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह के जरिए जनता की भावनाओं तक पहुंचने की कोशिश कर रही है? इसका जवाब हां में हो सकता है. हालांकि बीजेपी खुलकर राज्यपाल के नाम को जनता के सामने ले, ये मुश्किल है... लेकिन इस नियुक्ति से ही जनता तक ये मैसेज पहुंचाने की कोशिश हो सकती है कि, सेना के अधिकारियों को राज्य में कितनी अहमियत दी जा रही है. इसके अलावा पार्टी नेता ये भी तर्क दे सकते हैं कि, उत्तराखंड की सीमाओं पर चीन से हमेशा खतरा रहा है, ऐसे में लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह की राज्यपाल के तौर पर नियुक्ति सीमा सुरक्षा को और मजबूती देने का काम कर सकती है.
बता दें कि उत्तराखंड में बीजेपी एंटी इनकंबेंसी झेल रही है. हाल ही में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे पुष्कर सिंह धामी के पास इतना वक्त नहीं है कि वो जनता के बीच अपनी बात और योजनाओं को पहुंचा सकें. इसीलिए कांग्रेस और हरीश रावत इसे एक बड़े मौके की तरह देख रहे हैं. कांग्रेस को उम्मीद है कि राज्य की जनता हर बार की तरह इस बार भी सत्ता परिवर्तन करेगी और उन्हें राज करने का मौका मिलेगा. वहीं आम आदमी पार्टी पहली बार चुनाव में उतर रही है, ऐसे में इस छोटे राज्य में अगर समीकरण बिगड़े तो AAP किंगमेकर की भूमिका में आ सकती है.
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Published: 10 Sep 2021,10:50 PM IST