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उत्तराखंड (Uttarakhand) की दो विधानसभा सीटों- बद्रीनाथ और मंगलौर में बुधवार, 10 जुलाई को उपचुनाव के लिए वोटिंग हुई. मंगलौर विधानसभा क्षेत्र में वोटिंग के दौरान मुस्लिम मतदाताओं से कथित मारपीट का मामला सामने आया है.
स्थानीय लोगों ने आरोप है कि सुबह करीब 8:30 बजे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कार्यकर्ताओं ने मतदान में बाधा डालने और मुस्लिम मतदाताओं को वोटिंग से रोकने की कोशिश करते हुए लाठियों से पीटा. मामला लिब्बरहेड़ी गांव के बूथ 53-54 का बताया जा रहा है.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि जब मुस्लिम और दलित समुदाय के करीब 15 लोग सुबह वोट डालने गए तो सड़क के दूसरी तरफ चार बीजेपी कार्यकर्ता कट्टा (देशी पिस्तौल) लेकर आ गए.
घटनास्थल पर मौजूद मंगलौर निवासी कादिर खान ने द क्विंट को बताया, "उन्होंने लाठी-डंडों से चार मुसलमानों को घायल कर दिया, बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उन्हें और अन्य लोगों को वोट नहीं देने दिया. वे पुलिस की मौजूदगी में कतार में खड़े लोगों पर चिल्ला रहे थे."
खान ने आरोप लगाया कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने करीब 13 राउंड हवाई फायरिंग की. कांग्रेस उम्मीदवार काजी निजामुद्दीन के भाई हुसैन अली ने भी इसकी पुष्टि की है.
लाठियों के हमले में गंभीर रूप से घायल चार लोगों को रुड़की के सरकारी अस्पताल ले जाया गया.
इस बीच हुसैन अली ने कहा कि मुख्य आरोपी सुधीर प्रधान, जो बीजेपी का सहयोगी है, हिंसा के बाद भी अपने हाथ में पिस्तौल लेकर घूमता देखा गया.
अली के मुताबिक, उन लोगों ने कहा, "वोट डालोगे तो ऐसे ही मारेंगे."
बहुजन समाज पार्टी के विधायक सरवत करीम अंसारी के निधन के कारण मंगलौर सीट पर उपचुनाव हुआ है. पिछले साल अक्टूबर महीने में उनका निधन हो गया था.
इस सीट पर बीजेपी की तरफ से करतार सिंह भड़ाना चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि कांग्रेस की तरफ से काजी निजामुद्दीन चुनाव मैदान में हैं, जबकि बीएसपी ने उबेदुर रहमान को उतारा है.
क्विंट द्वारा प्राप्त वीडियो में कांग्रेस उम्मीदवार निजामुद्दीन को यह कहते हुए सुना जा सकता है:
"मैं एक घंटे बाद ही पहुंच पाया. उनकी हालत देखिए (घायल लोगों को दिखाते हुए). चार-पांच लोगों ने उन्हें पीटा है. कोई उन्हें अस्पताल ले जाने तक नहीं आया. अब पुलिस मेरे खिलाफ जो भी जांच करना चाहे कर सकती है, मैं सबसे पहले इन खून से लथपथ लोगों को अस्पताल ले जाऊंगा."
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने मौके पर कोई मदद या कार्रवाई नहीं की.
उन्होंने फेसबुक पर स्थानीय मतदाताओं द्वारा घटना का वर्णन करते हुए एक वीडियो भी पोस्ट किया है.
वीडियो में स्थानीय लोगों को यह कहते हुए सुना जा सकता है, "पुलिस बाद में आई. हमारे दो लोग गंभीर रूप से घायल हैं. गरीब लोग वोट नहीं दे पाएंगे तो क्या करेंगे? गरीब लोग जवाब देना जानते हैं."
घटनास्थल पर मौजूद कादिर ने बताया कि पुलिस बाद में पहुंची और मुख्य आरोपी प्रधान को वहां से भगा दिया ताकि मतदान शांतिपूर्ण ढंग से शुरू हो सके.
मंगलौर सीओ विवेक कुमार ने क्विंट से बात करते हुए कहा, "पुलिस समय से मौके पर पहुंची और हमने भीड़ को तितर-बितर किया. अब शांति बहाल हो गई है."
मतदाताओं को दबाने और बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा मारपीट के आरोपों पर उन्होंने कहा, "हम इसकी जांच कर रहे हैं."
दरअसल, हिंसा के कुछ घंटों बाद उत्तराखंड पुलिस ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
"मंगलौर विधानसभा उपचुनाव के दौरान ग्राम लिब्बरहेड़ी में बूथ के बाहर दो पक्षों के बीच मतदान को लेकर बहस और मारपीट में घायल हुए लोगों का इलाज अस्पताल में जारी है. बूथ पर फायरिंग की सूचना पूर्ण रूप से तथ्यहीन है. मौके पर पर्याप्त पुलिस बल मौजूद है. मतदान सुचारू और शांतिपूर्वक चल रहा है."
चुनाव आयोग ने भी फायरिंग की बात को खारिज कर दिया है. उत्तराखंड मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर लिखा, "मंगलौर फायरिंग प्रकरण में जिला प्रशासन हरिद्वार द्वारा पुष्टि की गई है कि मंगलौर उपचुनाव के दौरान मतदेय स्थल पर फायरिंग की सूचना पूर्ण रूप से तथ्यहीन है."
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