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उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्षी दलों की तरफ से राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को उम्मीदवार बनाया गया है. एक दिन पहले जेपी नड्डा ने भी ऐलान किया कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ एनडीए की तरफ से प्रत्याशी होंगे. राजनीतिक करियर की बात करें तो दोनों उम्मीदवार वकील, केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल रहे हैं. सबसे पहले मार्गरेट अल्वा की बात करते हैं.
कर्नाटक के मंगलौर में जन्मीं मार्गरेट अल्वा 1974 से लगातार 4 बार राज्यसभा के लिए और 1999 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं. 1984 में राजीव गांधी सरकार में संसदीय मामलों का केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया. बाद में मानव संसाधन विकास मंत्रालय में युवा मामले तथा खेल, महिला एवं बाल विकास के प्रभारी मंत्री का दायित्व दिया गया.
अब बात पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ की. राजस्थान के झुंझुनूं में जन्में धनखड़ एक मझे हुए वकील रहे हैं. राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत की है. साल 1989 में जब 9वीं लोकसभा के चुनाव हुए तो वो जनता दल के टिकट पर झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से सांसद बने. 1990 में केंद्रीय मंत्री का पद मिला.
दोनों उम्मीदवारों के राजनीतिक करियर की बात तो हो गई, लेकिन सवाल कि आखिर इन दोनों उम्मीदवारों को ही क्यों चुना गया? सबसे पहले जगदीप धनखड़ की बात कर लेते हैं. ये जाट समुदाय से आते हैं. किसान आंदोलन के बाद जब यूपी में चुनाव था, तब बीजेपी को डर था कि पश्चिम यूपी में जाटों की नाराजगी न झेलनी पड़ जाए. हालांकि पार्टी को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ. लेकिन नाराजगी का डर शायद नहीं गया.
तीसरी वजह है कि राज्यसभा में किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो मुखर वक्ता और कानून का जानकार हो. ऐसे में धनखड़ फिट बैठते हैं. उन्होंने कानून की पढ़ाई की है. सुप्रीम कोर्ट में वकील रहे हैं. मुखर वक्ता होने का उदाहरण उनके बयानों से मिल जाता है, जिसमें वो लगातार ममता बनर्जी की सरकार पर निशाना साधते रहे हैं. उन्होंने जिस तरह से ममता शासन पर सवाल उठाए हैं उसे देखकर उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के लिए उनके नाम को रिवार्ड के तौर पर भी देखा जा रहा है.
अब बात मार्गरेट अल्वा की. अल्वा धर्मांतरण बिल लाने पर बीजेपी सरकार के खिलाफ मुखर रहीं. उन्होंने बीजेपी के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार की जमकर आलोचना की थी. हालांकि विपक्षी दलों ने बीजेपी की लाइन पर ही मास्टर स्ट्रोक खेलने की कोशिश की है. बीजेपी ने आदिवासी समुदाय से आने वाले महिला को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया, वैसे ही कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति पद के लिए महिला उम्मीदवार को आगे किया. अभी तक कोई महिला उप राष्ट्रपति नहीं रही है.
जगदीप धनखड़ की तरह ही मार्गरेट अल्वा ने वकील के तौर पर करियर की शुरुआत की. हालांकि धनखड़ की तुलना में मार्गरेट अल्वा का राजनीतिक करियर ज्यादा रहा है. धनखड़ एक राज्य तो अल्वा 4 राज्यों की राज्यपाल रह चुकी हैं. केंद्रीय मंत्री के तौर पर धनखड़ से ज्यादा मार्गरेट अल्वा का अनुभव रहा है. ऐसे में अब देखना होगा कि उपराष्ट्रपति चुनाव नतीजों में कौन भारी पड़ता है.
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Published: 17 Jul 2022,08:54 PM IST