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यूपी के पूर्व सीएम कमला पति त्रिपाठी (Kamlapati Tripathi) के परिवार से संबंध रखने वाले राजेश पति त्रिपाठी और ललितेश पति त्रिपाठी कांग्रेस (Congress) का दामन छोड़कर टीएमसी (TMC) में शामिल हो गए हैं. ललितेश पति त्रिपाठी ने क्विंट से खास बातचीत में कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में शामिल होने के कारणों और आगामी चुनाव की तैयारियों के बारे बातचीत की.
क्या तृणमूल कांग्रेस लड़ेगी UP चुनाव 2022?
देखिए हमलोगों ने जब कांग्रेस पार्टी से त्यागपत्र दिया था, तो उस समय ये निश्चित नहीं था कि भविष्य किस दिशा में ले जाएगा, लेकिन हमारे मन में एक चीज हमेशा से थी कि हम कांग्रेस की विचारधारा के विपरीत दिशा में नहीं जा सकते हैं. मुझे तृणमूल कांग्रेस में ममता बनर्जी जी एक ऐसी नेता दिखी जो उस विचारधारा के साथ राजनीति कर रही हैं और अपनी लड़ाई लड़ रही हैं.
कितना कठिन था कांग्रेस को छोड़ना? ऐसा कौन सा पल आया जब आपको लगा कि अब कांग्रेस के साथ चलना मुमकिन नहीं है?
कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ना मेरे लिए आज तक मेरी जिंदगी का सबसे कठिन फैसला था. लगभग 2-3 सालों से मैं इसके बारे में मंथन कर रहा था और सोच रहा था.
कभी वो हिम्मत नहीं आ सकी या फिर कह सकते हैं कि ये फैसला लेने के लिए मेरे अंदर वो ताकत नहीं आ रही थी. कांग्रेस में रहते हुए धीरे-धीरे मुझे ये दिखने लगा था कि मेरे पास जो पंडित कमला पति त्रिपाठी जी और मेरे बाबा पंडित लोकपति त्रिपाठी जी से जुड़े हुए लोग थे, उनकी लड़ाई लड़ने के लिए मैं कांग्रेस पार्टी में खुद को असमर्थ महसूस कर रहा था. मैंने सोचा कि जब मैं उनके लिए लड़ाई नहीं लड़ पा रहा हूं, तो पद पर और पार्टी में बने रहने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है.
कयास ये लगाए जा रहे हैं कि आपके ज्वाइनिंग के पीछे प्रशांत किशोर की एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका थी या फिर तृणमूण कांग्रेस की ओर से ही आपको प्रपोजल आया था?
देखिए हम लोगों ने प्रशांत किशोर जी के साथ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान साथ काम किया था. उस चुनाव के बाद समय-समय पर उनके साथ मेरी चर्चा होती थी. लेकिन तृणमूल जाने के फैसले में प्रशांत जी की भूमिका कुछ कम थी, उससे ज्यादा हमको लगता है कि हम लोगों के अंदर ये सोच थी कि हम लोग जहां जाएंगे वहां पर कांग्रेस जैसी विचारधारा होनी चाहिए और तृणमूल के अंदर ममता जी का नेतृत्व हमें दिखा कि इन ताकतों से लड़ने के लिए तैयार भी हैं और उनमें इन ताकतों को हराने की क्षमता भी है. इसीलिए हमने फैसला लिया कि तृणमूल में जाना है.
इस समय टीएमसी का उत्तर प्रदेश के लिए फोकस क्या है?
वैसे तो उनसे उत्तर प्रदेश को लेकर बहुत विस्तार से चर्चा नहीं हो पायी है. हमने बिना किसी शर्त के और बिना ये जानते हुए कि यूपी में टीएमसी का क्या हाल है, पार्टी ज्वाइन की. जहां तक सवाल 2022 के चुनाव का है तो आपको मालूम है कि चुनाव तो लगभग शुरू हो गए हैं, चार महीने में यूपी चुनाव का परिणाम भी आ जाएगा. 400 विधानसभाओं का इतना बड़ा प्रदेश है तो उसके लिए अब समय बहुत कम है. जैसे आप जानते हैं कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश जी और ममता जी के संबंध बहुत अच्छे हैं तो मुझे लगता है कि वो चर्चा उन दोनों के बीच होगी. इस संबंध में जो फैसला पार्टी का नेतृत्व लेता है, उस फैसले के साथ हम सब कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष के लिए तैयार हैं.
वो लोग जो आपके रहते हुए कांग्रेस को अपना समर्थन देते हुए आए हैं, क्या उसी तरीके से टीएमसी को भी देंगे?
हम लोगों ने जब ये फैसला लिया था तो मड़िहान और मिर्जापुर के कुछ साथियों से इसकी चर्चा भी की थी, कि हम लोगों को कहां जाना चाहिए. काफी विस्तार से चर्चा हुई. उन्हीं लोगों का सुझाव था कि अगर संभव हो तो हमें ममता बनर्जी के नेतृत्व के साथ जाना चाहिए. ये फैसला अपने साथियों से चर्चा करने के बाद ही हमने लिया था.
हो सकता है कई लोगों को ये फैसला समझ में न आ रहा हो, क्योंकि आप जानते हैं कि तृणमूल कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में उस तरह से जनाधार नहीं है जिस तरह से यहां पर जो स्थापित राजनीतिक दल हैं. लेकिन जो लोग भविष्य को देख रहे हैं वो जानते हैं कि 2024 के चुनाव में उत्तर प्रदेश हर लोकसभा के चुनाव में बहुत अहम होता है. जो आदरणीय ममता बनर्जी की सोच है उसमें यूपी को बहुत महत्व दिया जाएगा. तो हम लोग जानते हैं और ये कल्पना करते हैं कि 2022 का फैसला पार्टी नेतृत्व लेगा और उसके बाद हम लोग 2024 की लड़ाई के लिए खुद को तैयार करेंगे
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Published: 28 Oct 2021,06:04 PM IST