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देश के कई राज्य हैं जो इस समय कर्ज संकट से जूझ रहे हैं. पंजाब (Punjab) इनमें से एक है. राज्य की भगवंत मान (Bhagwant Mann) सरकार ने पिछले 1.5 साल में 47 हजार करोड़ का कर्ज लेकर राज्य का कुल कर्ज 3 लाख करोड़ के पार पहुंचा दिया है. फिलहाल पंजाब का कर्ज राज्य की जीडीपी का 50% है.
पंजाब के सीएम भगवंत मान और राज्य के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के बीच पत्रों का आदान प्रदान चल रहा है. दरअसल राज्यपाल ने पिछले महीने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में पूछा था कि वे कर्ज का किस तरह से इस्तेमाल कर रहे हैं?
मोराटोरियम का मतलब ये होता है जब एक समय सीमा तक कर्ज ना चुकाना पड़े. पंजाब सरकार यही चाह रही है कि 5 साल तक उन्हें कर्ज ना चुकाना पड़े.
मान ने पत्र में लिखा कि, पंजाब के हित को ध्यान में रखते हुए, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप प्रधानमंत्री से बात करें और उन्हें कर्ज चुकाने पर पांच साल का मोराटोरियम दें ताकी सरकार को ग्रोथ और राजस्व कमाने का अवसर मिल सके.
पिछले वित्त वर्ष के आखिरी में पंजाब का कुल कर्ज 3.12 लाख करोड़ रुपये था.
पिछले वित्त वर्ष सरकार ने मूल धन का 15,946 करोड़ रुपये और ब्याज के रूप में 20,100 करोड़ रुपये चुकाए.
बजट अनुमान के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार को मूलधन के रूप में 16,626 करोड़ रुपये और ब्याज के रूप में 22,000 करोड़ रुपये चुकाने होंगे.
सीएम मान राज्यपाल को लिखे पत्र में बताया कि, सरकार ने 27,106 करोड़ रुपये पहले ही चुका दिए हैं. बजट के मुताबिक, सालाना बजट का 20 फीसदी हिस्सा कर्ज चुकाने में खर्च हो रहा है.
सरकार को मौजूदा कर्ज चुकाने के लिए हर साल और कर्ज लेना पड़ रहा है. अगर हालात नहीं बदले तो पंजाब का कर्ज दो साल में 4 लाख करोड़ रुपये के पार जा सकता है.
'रेवड़ी' - अर्थशास्त्री बढ़ते कर्ज का सबसे बड़ा कारण फ्रीबीज यानी मुफ्त में दी जा रही सेवाओं को मान रहे हैं. पंजाब में मुफ्त की सेवाओं के लिए केवल आम आदमी पार्टी ही जिम्मेदार नहीं है. पंजाब में दशकों से मुफ्त सेवाएं चली आ रही है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वित्त वर्ष 1997-98 में सब्सिडी बिल 604.57 करोड़ रुपये से शुरू हुआ, जो पिछले वित्त वर्ष के अंत तक 20,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है.
चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में बिजली सब्सिडी के लिए 20243.76 करोड़ रुपये और महिलाओं को मुफ्त परिवहन के लिए 547 करोड़ रुपये अलग रखे जाने से राज्य के खजाने पर सब्सिडी का बोझ जारी रहेगा.
डेटा की माने तो पंजाब में कर्ज का 50% हिस्सा बिजली का है.
साल 2002 में जब पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने पहली बार सत्ता संभाली थी तब बकाया कर्ज 36,854 करोड़ रुपये था.
फिर 2017 में कांग्रेस की सरकार आई तब पहले की शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपये का कर्ज विरासत में दिया.
2017 के बाद कांग्रेस सरकार ने इस कर्ज में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये बढ़ा दिए.
2022 में आम आदमी पार्टी की सरकार ने 47000 करोड़ रुपये का और कर्ज ले लिया.
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