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मधुलिका अपने पति के निधन के बाद से गत पांच साल से करौली में कपड़ों की दुकान चला रही हैं. रामनवमी के दिन जब यात्रा निकली तो अचानक उन्हें लोगों की चीख-पुकार सुनाई दी. इस इलाके में मुस्लिमों की तादाद अधिक है.
मधुलिका ने कहा,लोग भाग रहे थे. दुकानों के शटर गिराये जा रहे थे. सबने कहा कि दंगे भड़क गये. मैंने शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का दरवाजा बंद कर दिया और जो लोग वहां छुपने के लिए आये थे उन्हें नहीं घबराने के लिए कहा. मैंने उन्हें बचाया क्योंकि मानवता सबसे बड़ा धर्म है.
करीब 15 लोगों ने मधुलिका सिंह से कहा कि वे डरे हुये हैं और उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वे वहां से भागें या रूकें. मधुलिका के अनुसार, भीड़ ने गेट तोड़ने की कोशिश की लेकिन उन्होंने ऐसा करने से रोका.
मधुलिका के इस साहस के कारण अपनी जान बचाने वाले मोहम्मद तालिब और दानिश ने कहा कि मधुलिका दीदी ने ही उनकी जान बचाई और उन्हें परेशान नहीं होने के लिये कहा.
उसी शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में सैलून चलाने वाले मिथिलेश सोनी ने कहा कि उन्होंने तथा अन्य तीन महिलाओं ने बाल्टी में पानी भरकर आग की लपटें बुझाने की कोशिश की.
पुलिस के मुताबिक यात्रा के दौरान लाउडस्पीकर पर संवेदनशील नारे लगाये जा रहे थे और जल्द ही पथराव शुरू हो गया फिर हिंसा भड़क गयी.
--आईएएनएस
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