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रामचरितमानस जलाने वालों पर से नहीं हटेगा NSA, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ठुकराई याचिका

आरोपियों ने हिरासत आदेश को रद्द करने का निर्देश देने की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी.

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<div class="paragraphs"><p>इलाहाबाद HC का फैसला, रामचरितमानस के पन्ने जलाने के 2 आरोपी पर NSA रखा बरकरार</p></div>
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इलाहाबाद HC का फैसला, रामचरितमानस के पन्ने जलाने के 2 आरोपी पर NSA रखा बरकरार

(फोटो- आई स्टॉक)

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UP: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad) की लखनऊ बेंच ने राजधानी में रामचरितमानस की प्रतियां जलाने और हिंदू धर्मग्रंथ का अपमान करने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में लिए गए दो लोगों की याचिका 6 जनवरी को खारिज कर दी.

हिरासत आदेश को रद्द करने का निर्देश देने की मांग करते हुए देवेंद्र और सुरेश की ओर से अलग-अलग याचिकाएं दायर की गईं थी, जिसे जस्टिस नरेंद्र कुमार जौहरी और संगीता जौहरी की खंडपीठ ने खारिज कर दिया.

अपने आदेश में, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर, सार्वजनिक रूप से दिन में धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस का अपमान किया. भगवान राम के जीवन की घटनाओं से संबंधित है, जिनपर समाज के अधिकांश लोगों की विश्वास और आस्था है. कोर्ट ने कहा, इससे समाज में उत्पन्न गुस्सा स्वाभाविक है.

कोर्ट ने कहा कि इसलिए, ऐसी स्थिति में आनेवाले खतरे को देखते हुए 8 फरवरी 2023 को प्रशासन द्वारा आरोपियों को हिरासत में लिया जाना, याचिकाकर्ता की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को लेकर इसे अनुचित और अवैध नहीं माना जा सकता है. जिसके बाद, अपने अलग-अलग आदेशों में कोर्ट ने दोनों याचिका खारिज कर दी.

क्या है मामला?

29 जनवरी को, अखिल भारतीय ओबीसी महासभा नामक संगठन से जुड़े लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर वृन्दावन क्षेत्र में रामचरितमानस के पन्ने जला दिए. पुलिस ने समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

बीजेपी नेता ने करवाई थी FIR दर्ज

ये FIR बीजेपी नेता सतनाम सिंह लवी की शिकायत पर दर्ज की गई थी. मामला IPC की धारा 295 (धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल को अपवित्र करना), 153-ए (शत्रुता को बढ़ावा देना), 295-ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दर्ज किया गया था. नौ आरोपियों पर इन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया, वहीं एमएलसी मौर्य पर आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया.

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विरोध प्रदर्शन कथित तौर पर स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ समर्थन में आयोजित किया गया था, जिन्होंने 22 जनवरी को एक बयान में कहा था कि हिंदू महाकाव्य रामचरितमानस में ऐसे अंश हैं, जो दलितों, आदिवासियों, पिछड़े समुदाय के लोगों और महिलाओं के साथ भेदभावपूर्ण हैं.

पुलिस ने आरोपी देवेन्द्र यादव, यशपाल सिंह लोधी, सत्येन्द्र कुशवाह, मोहम्मद सलीम और सुरेश यादव के खिलाफ एनएसए लगाया. नामों को एक सलाहकार बोर्ड द्वारा अनुमोदित किया गया था.

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