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Delhi कोर्ट का Vivo इंडिया के 3 कर्मचारियों को रिहा करने का आदेश, मनी लॉन्ड्रिंग के थे आरोप

Vivo IND: ईडी ने आरोप लगाया कि आरोपी ने "पूरे देश में एक विस्तृत चीनी-नियंत्रित नेटवर्क स्थापित करना चाहते हैं.

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दिल्ली (Delhi) की एक जिला अदालत ने शनिवार को चाइनीज स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी वीवो इंडिया के तीन वरिष्ठ कर्मचारियों को रिहा करने का आदेश दे दिया. इन कर्मचारियों को कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था.

इस महीने की शुरुआत में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तार किए गए लोगों में वीवो इंडिया के सीईओ होंग ज़ुक्वान, वीवो इंडिया के मुख्य वित्तीय अधिकारी हरिंदर दहिया और सलाहकार हेमंत मुंजाल शामिल थे. वे एक सप्ताह से अधिक समय से पुलिस हिरासत में हैं.

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दरअसल, आरोपियों को उनकी गिरफ्तारी (21 दिसंबर) के 24 घंटों के भीतर संबंधित अदालत में पेश नहीं किया गया था. जिसे देखते हुए अतिरिक्त जिला न्यायाधीश शिरीष अग्रवाल ने उनकी गिरफ्तारी को "अवैध और शून्य" बताते हुए तीनों को रिहा करने का आदेश दिया. अभियुक्तों को 2 लाख रुपये के निजी बांड भरने का निर्देश देते हुए, अदालत ने उन पर कुछ शर्तें भी लगाईं जैसे कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करना, ट्रायल कोर्ट की अनुमति के बिना भारत नहीं छोड़ना और अदालत में अपने पासपोर्ट जमा करना.

ED ने इस कंपनी के बारे में क्या कहा?

इससे पहले अक्टूबर में ईडी ने मामले के सिलसिले में एक चीनी नागरिक और लावा इंटरनेशनल मोबाइल कंपनी के एमडी सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया था.

अपने रिमांड आवेदन में, ईडी ने आरोप लगाया कि आरोपी ने "पूरे देश में एक विस्तृत चीनी-नियंत्रित नेटवर्क स्थापित करना चाहते हैं. ये भारत की आर्थिक संप्रभुता के लिए हानिकारक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए" गलत और धोखाधड़ी तरीके से भारत में प्रवेश करके सरकार को धोखा दिया.

ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि वीवो के कर्मचारी उचित वीजा के बिना काम कर रहे थे.

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