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दुनिया के कई देश हैं जो अपने पड़ोसी देशों से सीमा विवादों में उलझे हैं. लेकिन देश के अंदर भी कई ऐसे सीमा विवाद खड़े हो जाते हैं जो कई बार तो हिंसा की वजह बन जाते हैं. भारत के अंदर भी कई राज्यों के बीच सीमा विवाद है. हाल ही में असम और मेघालय के बीच चल रहा 50 साल पुराना सीमा विवाद चर्चा में हैं जिसे लगभग केंद्रे सरकार के हस्तक्षेप के बाद सुलझा लिया गया है.
29 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा, आज असम और मेघालय के बीच 50 साल पुराना लंबित सीमा विवाद सुलझ गया है. विवाद के 12 में से 6 बिंदुओं को सुलझा लिया गया है, जिसमें लगभग 70% सीमा शामिल है. शेष 6 बिंदुओं का जल्द से जल्द समाधान किया जाएगा.
इस समाधान के लिए असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के सीएम कोनराड संगमा ने अपने राज्यों के बीच 50 साल पुराने लंबित सीमा विवाद को हल करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए.
लेकिन ये पूरा मसला क्या है जो 50 साल पुराना है और कई झड़पों की वजह भी बन चुका है...इसे समझते हैं.
असम और मेघालय के बीच कुल 884.9 किलोमीटर का बॉर्डर है जिसमें 12 विवादित क्षेत्र हैं. जिसमें अपर ताराबारी, गजांग रिजर्व फॉरेस्ट, हाहिम, लंगपीह, बोरदुआर, बोकलापारा, नोंगवाह, मातमूर, खानापारा-पिलंगकाटा, देशदेमोराह ब्लॉक 1 और ब्लॉक 2, खंडुली और रेटचेरा के क्षेत्र शामिल हैं.
उत्तर-पूर्व क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम 1971 के आधार पर साल 1972 में मेघालय को असम से अलग कर दिया गया और पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया. 53वें संविधान संशोधन अधिनियम 1986 के जरिए अनुच्छेद 371(छ) जोड़कर असम को राज्य का दर्जा दिया गया.
असम और मेघालय के बीच तो सीमा विवाद रहा ही है लेकिन साथ ही पूर्वोत्तर के राज्य बड़े पैमाने पर असम से जुड़े हुए हैं, जिसका दूसरे राज्यों के साथ भी सीमा विवाद चल रहा है. अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड के साथ असम के सीमा विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं. इसके अलावा मिजोरम के साथ भी असम के सीमा विवाद फिलहाल बातचीत के जरिए समाधान के चरण में हैं.
बता दें कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में बताया था कि देश में इस वक्त 7 ऐसे बॉर्डर हैं, जिनको लेकर राज्यों में आपसी तकरार है. नित्यानंद राय ने ये भी बताया की इन विवादित सीमावर्ती क्षेत्रों से कभी-कभार विरोध प्रदर्शन और हिंसा की घटनाएं हो जाती हैं.
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