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22 मई को गुजरात हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने कोरोना वायरस से जुड़े मुद्दों पर दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अहमदाबाद सिविल अस्पताल को कालकोठरी बताया था. इसके बाद इस बेंच में बदलाव की खबर आई और चीफ जस्टिस विक्रम नाथ इस बेंच में आ गए. अब न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि सिर्फ सरकार की आलोचना करने से मरीज ठीक नहीं हो जाएंगे.
जस्टिस जेबी परदीवाला और चीफ जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने कहा, "कोरोना वायरस महामारी एक मानवीय संकट है, राजनीतिक नहीं. सिर्फ सरकार की आलोचना करने से लोग ठीक नहीं हो जाएंगे या मारे गए लोग दोबारा जिंदा नहीं हो जाएंगे."
लाइव लॉ के मुताबिक, बेंच ने अहमदाबाद सिविल अस्पताल को कई निर्देश दिए और साथ ही कहा कि कोरोना वायरस के लिए टेस्टिंग जल्दी की जानी चाहिए, और इसके लिए सरकारी अधिकारियों की मंजूरी का इंतजार नहीं करना चाहिए.
हाई कोर्ट ने अपने पिछले आदेशों का जिक्र करते हुए कहा कि इन पर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है. कोर्ट ने कहा, "ये आदेश सार्वजानिक हित में दिए गए थे, लेकिन कुछ लोग इसे अपने मकसद पूरा करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं."
जस्टिस जेबी परदीवाला और चीफ जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने कहा कि सिर्फ आलोचना की जगह रचनात्मक आलोचना की जानी चाहिए.
22 मई को जस्टिस जेबी परदीवाला और जस्टिस आईजे वोरा की बेंच ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए अहमदाबाद सिविल अस्पताल की स्थिति पर टिप्पणी की थी. बेंच ने कहा था कि अस्पताल की दशा 'दयनीय है और एक कालकोठरी से भी बदतर है. इसके बाद 25 मई को बेंच ने कहा था कि वो एक दिन अस्पताल का दौरा करने जाएगी. 22 और 25 मई की सुनवाई के बाद इस बेंच में बदलाव कर दिया गया.
बेंच में जस्टिस आईजे वोरा की जगह चीफ जस्टिस विक्रम नाथ आ गए थे. चीफ जस्टिस के आने से जस्टिस परदीवाला बेंच में जूनियर जज हो गए हैं.
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