Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019States Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019हिमाचल में बारिश के 51 दिन: 73 लोगों की मौत, 8 हजार करोड़ का नुकसान, तबाही क्यों?

हिमाचल में बारिश के 51 दिन: 73 लोगों की मौत, 8 हजार करोड़ का नुकसान, तबाही क्यों?

IMD के अनुसार, अभी हिमाचल प्रदेश को भारी बारिश से राहत नहीं मिलने वाली है.

क्विंट हिंदी
राज्य
Published:
<div class="paragraphs"><p>हिमाचल में बारिश के 51 दिन: 73 लोगों की मौत, 8 हजार करोड़ का नुकसान, तबाही क्यों?</p></div>
i

हिमाचल में बारिश के 51 दिन: 73 लोगों की मौत, 8 हजार करोड़ का नुकसान, तबाही क्यों?

(फोटो: PTI)

advertisement

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में 24 जून से शुरू हुए मॉनसून सीजन से प्रदेश पिछले 51 दिनों से बुरी तरह प्रभावित है. इस दौरान राज्य को भारी बारिश के साथ भूस्खलन और बाढ़ की समस्या से जूझना पड़ रहा है. कई इमारतें ढह गईं, लोगों को बेघर होना पड़ा, वाहन कागज की तरह पानी के रफ्तार में बह गये, सड़के बंद कर दी गईं, सैलानी फंसे हुए हैं, आपदा के कारण कई लोगों की जानें गई और राज्य को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ा है.

73 लोगों की मौत, 8 हजार करोड़ का नुकसान

बारिश के कारण आई आपदा से प्रदेश में अब तक 73 लोगों की मौत हुई है. जबकि दुर्घटनावश डूबने के कारण 21 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, आपदा की वजह से राज्य को अब तक आठ हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है.

बाढ़ की वजह से ब्यास नदी में 23 लोगों के शव बहते हुए मिले हैं. जबकि पांच शवों का पता नहीं हैं.

मौसम विभाग की मानें तो, अभी हिमाचल प्रदेश को भारी बारिश से राहत नहीं मिलने वाली है.
पिछले 75 साल में राज्य में आई ये सबसे बड़ी तबाही है. इस आपदा में 720 घर पूरी तरह से टूट चुके हैं, 7 हजार 161 घरों को थोड़ा बहुत नुकसान हुआ है, जबकी बाढ़ में 241 दुकानें बह गईं हैं. वहीं कई नेता-मंत्री प्रदेश पर आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर रहे हैं.
सुखविंदर सिंह 'सुक्खू', मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंदिर के ढहने के बाद घटनास्थल का दौरा किया.

(फोटो: PTI)

कुल्लू-शिमला में सबसे अधिक मौत

जानकारी के अनुसार, सबसे ज्यादा मौत राजधानी शिमला और कुल्लू में हुई है. ठियोग में हुए भूस्खलन के बाद दो शव बरामद हुए हैं, जबकि सिरमौर में मलबे के नीचे दबे शवों को निकाल लिया गया है.

(फोटो: PTI)

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

किस जिले में हुई कितनी मौंत?

  • कुल्लू में बाढ़ से 15 लोगों और भूस्खलन से 8 लोगों की मौत हुई.

  • शिमला में भूस्खलन के कारण 31 लोगों की जान गई.

  • चंबा में भूस्खलन की वजह से दो और बाढ़ की वजह से एक को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.

  • किन्नौर में तीन, मंडी में तीन, सिरमौर में एक, सोलन में चार लोगों की मौत हुई.

  • बादल फटने से चंबा में एक और सिरमौर में पांच लोगों की मौत हुई है.

  • सोलन में रविवार (13 अगस्त) को एक ही परिवार के सात लोगों की मौत हुई है.

  • पानी में डूबने से बिलासपुर, चंबा और ऊना में एक-एक की मौत हुई है.

  • हमीरपुर, कुल्लू, मंडी और सिरमौर जिले में दो-दो मौत हुई है.

  • कांगड़ा में तीन और शिमला में सात लोगों की मौत बाढ़ के पानी में डूबने से हुई है.

शिमला में समर हिल के पास भारी भूस्खलन के बाद एक मंदिर के ढहने के बाद पुलिस, जिला प्रशासन और स्थानीय लोग बचाव अभियान चला रहे हैं. इसमें कम से कम 9 लोग मारे गए हैं.

(फोटो: PTI)

क्यों हो रही तबाही?

प्रकृति से छेड़छाड़ को इस कुदरती तबाही का नतीजा बताया जा रहा है. पर्यावरण प्रेमी गुलाब सिंह ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा, "ड्रेनेज प्रणाली व्यवस्थित न होने के कारण यह सब हो रहा है."

उन्होंने कहा," फोरलेन और हाईवे के निर्माण के अलावा सड़कों और सुरगों के निर्माण के लिए हरे-भरे पेड़ों को काट दिया जाता है, लेकिन नए पेड़ नहीं लगाए जाते. ऐसे में पेड़ न होने से भूमि कटाव अधिक होता है. इसके अलावा ड्रेनेज प्रणाली भी व्यवस्थित न होने के कारण सारा पानी सड़कों पर खड़ा हो जाता है और रिसाव के कारण भूस्खलन होते हैं."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT