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हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की राजधानी शिमला में कांग्रेस ने परचम लहराया है. नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने प्रचंड जीत दर्ज की है. इसके साथ ही पांच साल से BJP के कब्जे में रही नगर निगम अब कांग्रेस ने छीन ली है. इस जीत के साथ हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) अपनी पहली परीक्षा में पास हो गए हैं.
कांग्रेस ने शिमला नगर निगम की 34 वार्डों में से 24 पर कब्जा जमाया है. 1985 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी पार्टी को शिमला नगर निगम में इतनी सीटें मिली हैं. वहीं बीजेपी के खाते में मात्र 9 सीटें ही आई हैं.
शिमला चुनाव नगर निगम चुनाव प्रचार के दौरान लगातार कांग्रेस जनता को यह संदेश दे रही थी कि प्रदेश सरकार के बिना शिमला में विकास नहीं हो सकता. ऐसे में जनता ने भी इस बार कांग्रेस पार्टी के साथ ही चलने का मन बनाया है.
चार महीने पहले ही हिमाचल प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ था. विधानसभा चुनाव में शिमला नगर नगम क्षेत्र में आने वाले तीन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी के विधायक चुने गए थे. इसमें भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अहम भूमिका रही है. वहीं सूक्खू खुद भी पार्षद रह चुके हैं, जिसका फायदा भी कांग्रेस को मिला है.
दरअसल अगले साल यानी 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले शिमला नगर निगम चुनाव, CM सुक्खू के लिए बड़ी परीक्षा माना जा रहा था. कांग्रेस ने नगर निगम चुनाव जीत कर ये बता दिया है कि जनता का साथ कांग्रेस के हाथ के साथ है.
देशभर में धुंधली पड़ती कांग्रेस की तस्वीर के लिए हिमाचल में लगातार तीन बार तगड़ी जीत हासिल करना अन्य राज्यों में पार्टी के लिए संजीवनी की तरह काम कर सकता है.
राजनीतिक विश्लेषक केएस तोमर कहते हैं कि, 2022 विधानसभा और 2023 शिमला नगर निगम चुनाव में बीजेपी की हार के दो कारण हैं:
पहली और सबसे बड़ी वजह कर्मचारी वर्ग है. तोमर का कहना है कि BJP प्रदेश के कर्मचारी वर्ग को साध नहीं पाई. वहीं कांग्रेस ने कर्मचारियों को अपने साथ लेकर OPS देकर प्रदेश की जनता का विश्वास जीता.
वहीं बीजेपी की हार का दूसरा कारण बागवानी है. तोमर कहते हैं कि सरकार बदलने से ठीक पहले बागवानों ने अपनी मांगों को लेकर कई प्रदर्शन भी किए, लेकिन सरकार ने उनकी नहीं सुनी. वे लगातार फसलों के उचित मूल्य की मांग कर रहे थे. लिहाजा कांग्रेस ने बागवानों का दर्द समझा और उनकी मांगे पूरी की.
इसके साथ ही कहा जा रहा है कि सुखराम चौधरी को शिमला का चुनाव प्रभारी बनाना भी एक गलत फैसला था. हालांकि, डॉ. राजीव बिंदल को पार्टी अध्यक्ष बनाकर इस गलती को सुधारने की कोशिश की गई थी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
कांग्रेस ने जिन दस गारंटियों की बात की थी, उनमें से एक OPS को छोड़कर बाकी सभी को लेकर BJP शोर मचा रही थी. लेकिन जनता का मूड कुछ और ही था. निगम चुनाव में बीजेपी दहाईं का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई और मात्र 9 सीटों पर सिमट गई. इसे OPS माइनस 10 गारंटियों के रूप में देखा जा रहा है.
शिमला नगर नगम के इन नतीजों के साथ जयराम ठाकुर ने हार की हैट्रिक भी लगा दी है. दरअसल हार का ये सिलसिला 2021 में हुए उपचुनाव से शुरू हुआ था.
2021 में तीन विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे. कांग्रेस ने चारों सीटों पर जीत हासिल की थी.
2022 में विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को बुरी तरह से मुंह की खानी पड़ी थी. इस चुनाव में कांग्रेस को 40 सीटों पर जीत मिली. वहीं, बीजेपी को महज 25 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था.
BJP ने 2023 में शिमला नगर निगम चुनाव हारकर, हार की हैट्रिक लगा ली है. कांग्रेस को 24 और BJP को 9 सीटें और माकपा को एक सीट मिली हैं.
जिस तरह से BJP को करारी हार का सामना करना पड़ा उससे प्रदेश में BJP कमजोर पड़ती दिख रही है. नगर निगम चुनाव हारने पर BJP प्रदेशाध्यक्ष राजीव बिंदल नगर निगम में कांग्रेस सरकार के प्रभाव की बात कर ही चुके हैं. लिहाजा अब उन्हें और जयराम ठाकुर को नए सिरे से लोकसभा के लिए रणनीति बनानी होगी.
ये चुनाव एक तरफ CM सुक्खू के लिए नाक का सवाल बन गई थी. वहीं दूसरी तरफ BJP भी शिमला नगर निगम पर अपना कब्जा कायम रखना चाहती थी. लिहाजा दोनों दलों ने चुनाव में खूब जोर लगाया. प्रचार में खुद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कमान संभाली और हर वार्ड में चुनाव प्रचार किया. वहीं BJP की तरफ से जयराम ठाकुर ने मोर्चा संभाला और पार्टी की जीत के लिए खूब पसीना बहाया.
हिमाचल प्रदेश बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का गृह प्रदेश है. ऐसे में 2024 लोकसभा चुनावों में उनकी साख भी दांव पर रहेगी. विधानसभा और शिमला निगर निगम चुनाव परिणाम से पार्टी सीट नहीं लेते ही है और अपनी रणनीति में बदलाव नहीं करती है तो 2024 में भी उसे नुकसान झेलना पड़ सकता है.
यही नहीं, अगर हमीरपुर संसदीय सीट से केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के खिलाफ अगर कांग्रेस ने किसी मजबूत उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतार दिया तो राहें उनके लिए भी कठिन नजर आ रही हैं. बता दें कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री का हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से ताल्लुक है. ऐसे में इस सीट पर कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है.
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