हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh Chief Minister) के नए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) होंगे. उनके साथ मुकेश अग्निहोत्री डिप्टी सीएम पद की शपथ लेंगे. भूपेश बघेल ने दोनों नामों की घोषणा करते हुए कहा, हाईकमान ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को कांग्रेस विधायक दल के नेता यानी मुख्यमंत्री के रूप में चयन किया और उपमुख्यमंत्री के रूप में मुकेश अग्निहोत्री को चयन किया है. 11 दिसंबर को सुबह 11 बजे शपथ लेंगे. ऐसे में समझना जरूरी हो जाता है कि प्रतिभा सिंह का क्या हुआ? उनकी दावेदारी कहां कमजोर पड़ गई और सुक्खू ने बाजी मार ली.
पहले समझते हैं कि नाम के ऐलान के बाद सुक्खू ने क्या कहा?
हिमाचल प्रदेश के नाम का ऐलान होने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, मैं सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और प्रदेश की जनता का शुक्रगुजार हूं. हमने हिमाचल प्रदेश की जनता से जो वादे किए हैं, उन्हें पूरा करना मेरी जिम्मेदारी है. राज्य के विकास के लिए हमें काम करना है. राजनीति की जो सीढ़ियां मैंने चढ़ी है जिसमें गांधी परिवार का बहुत योगदान रहा है.
प्रतिभा सिंह ने कहा- हमें आलाकमान का फैसला मंजूर है
सुखविंदर सिंह सुक्खू को सीएम बनाए जाने पर हिमाचल प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा वीरभद्र सिंह ने कहा, फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है. हमें आलाकमान का फैसला मान्य है. प्रतिभा सिंह का बयान इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने प्रतिभा सिंह का नाम था. हिमाचल प्रदेश की राजनीति में वीरभद्र सिंह का परिवार और सुखविंदर सिंह एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं. ऐसे में समझते हैं कि वह कैसे आगे निकल गए?
सुखविंदर सिंह सुक्खू एनएसयूआई से निकले नेता हैं. वह 1988 से 1995 तक एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहे. शिमला नगर निगम पार्षद भी रहे. 1998 से 2008 तक यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहने के अलावा 2003, 2007 और 2017 में नादौन से विधायक रहे. अब बात आती है सुक्खू पर कांग्रेस के भरोसे की.
कांग्रेस के 3 फैसले जो बताते हैं कि सुक्खू पर कांग्रेस का कैसा भरोसा?
हिमाचल प्रदेश में पहली बार नहीं है कि वीरभद्र सिंह के परिवार और सुक्खू के बीच मतभेद पहली बार सामने आया और कांग्रेस के सामने किसी एक को चुनने का विकल्प हो. जब सुक्खू को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की बात आई थी तब भी वीरभद्र सिंह का विरोध देखा गया था. लेकिन कांग्रेस ने नाराजगी की फिक्र न करते हुए सुखविंदर सिंह सुक्खू को प्रदेश अध्यक्ष बनाया. इसके अलावा सुक्खू को दूसरी बड़ी जिम्मेदारी चुनाव के दौरान दी गई. जब उन्हें उम्मीदवार चयन समिति में शामिल किया गया. अब सीएम बनाने की बात आई तो प्रतिभा सिंह को प्राथमिकता नहीं देकर सुक्खू को आगे बढ़ा दिया गया.
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