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झारखंड: ''मेरे पति तो दिहाड़ी मजदूर, विधायक कहां से खरीदेंगे''

झारखंड पुलिस का आरोप- हेमंत सरकार गिराने की कोशिश जबकि घरवालों ने कहा-राजनीति से नहीं है कोई संबंध,फंसाने की कोशिश

मोहम्मद सरताज आलम
राज्य
Updated:
<div class="paragraphs"><p>झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन &nbsp;</p></div>
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झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन  

(फोटो: PTI)

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झारखंड (Jharkhand) की सोरेन सरकार को कथित तौर पर गिराने के मामले में तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई. पुलिस की माने तो तीनों की गिरफ्तारी रांची कोतवाली थाना क्षेत्र के होटल ली-लैक से की गई है. गिरफ्तार लोगों में एक शख्स अभिषेक दुबे, पलामू का रहने वाला है, तो वहीं आरोपी अमित सिंह और निवारण प्रसाद महतों बोकारों के रहने वाले हैं. इन पर आरोप है कि ये झारखंड की हेमंत सरकार को अस्थिर करने के लिए सत्ताधारी विधायकों की खरीद-फरोख्त कर रहे थे.

इस मामले में 22 जुलाई को रांची में विधायक अनुप सिंह ने लिखित शिकायत दी थी,जिसके बाद विभिन्न होटलो में छापेमारी कर इनकी गिरफ्तारी की गई. लेकिन आरोपियों के परिजनों की माने तो मामला पुलिस के दावों से बिलकुल उलट है. आरोपी अमित सिंह और निवारण प्रसाद महतों के परिजनों के अनुसार दोनों की गिरफ्तारी गुरुवार की रात बोकारों में उनके घरों से की गई है. गिरफ्तार करने आई पुलिस सादे लिबास में थी.

परिजनों की माने तो अमित सिंह 320 रूपये की दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. वहीं निवारण प्रसाद महतों छोटे फल विक्रेता हैं. इस पूरे मामले को समझने के लिए क्विंट हिन्दी ने दोनों परिवार से बात की.

अमित सिंह की पत्नी सीकू देवी ने क्विंट से बात करने हुए बताया कि 23 जुलाई की सुबह तीन बजे पिताजी के होटल का एक स्टाफ घर पर पहुंचा. रात होने की वजह से परिजनों ने अंदाजा लगाया कि होटल में चोरी हुई होगी. जिसके बाद मेरी मां ने गेट खोला तो 15 लोग जबरन घर में घुस आए.

"घर में घुसकर मेरी मां से पूछने लगे कि अमित सिंह कहां है. इसके बाद दो लोगों ने मेरे कमरे का दरवाज़ा खटखटाया. मेरे पति ने दरवाज़ा खोला तो सामने दो लोग खड़े थे. उन्होंने मेरे पति अमित सिंह से कहा कि कपड़ा पहनो और हमारे साथ बोकारो सिटी थाना चलो, तुम से पूछताछ करनी है."
सीकू देवी, आरोपी अमित सिंह की पत्नी

सीकू देवी की माने तो उस वक्त अमित सिंह हाफ पैंट और टी शर्ट में थे. पुलिस ने उन्हें जींस पहनकर अपना पर्स साथ रखने को कहा और फिर उन्हें एक स्कॉर्पियों में बैठाकर ले गयी. सुबह होने पर सीकू के भाई रिंकू 6 बजे थाना पहुंचे. यहां से अमित सिंह के साथ एक और शख्स को कहीं और ले जाया जा रहा था. बहुत पूछने पर भी किसी ने कुछ नहीं बताया. मेरा भाई थाना और DSP के कार्यालय के चक्कर लगाता रहा लेकिन कहीं से कोई जानकारी नहीं मिली कि मेरे पति को पुलिस कहां ले गई. 36 घंटे बाद शनिवार को थाना की तरफ से जानकारी दी गई कि अमित सिंह रांची पुलिस की हिरासत में हैं.

"मेरे पति पर आरोप है कि वह सरकार गिराने के लिए रांची के होटल में विधायक खरीद रहे थे. यह सब झूठ है क्योंकि मेरे पति को घर से पुलिस खुद लेकर गई है, तो वह रांची के होटल कैसे पहुंचे. मेरे पति बोकारो स्थित एक प्लांट में मज़दूरी करते थे. इस पैसे से किसी तरह मेरा घर चलता था. बताइए इस परिस्थिति में मेरे पति कैसे विधायक खरीदेंगे, वह कैसे किसी सरकार को गिरा सकते हैं. जबकि मेरे पति का किसी राजनीतिक दल से कोई लेना देना नहीं है. या तो मेरे निर्दोष पति को छोड़ दिया जाए या मुझे और मेरे दोनों बच्चों को भी पति के साथ जेल में रखा जाए."
सीकू देवी, आरोपी अमित सिंह की पत्नी

वहीं निवारण प्रसाद महतो के भाई अरुण कुमार ने क्विंट से बताया कि रात एक से डेढ़ बजे के करीब सिटी थाना, सेक्टर 12 थाना और सिटी डीएसपी मेरे घर पहुंचे. उस वक्त मेरी भतीजी पढ़ाई कर रही थी. उसने जब दरवाज़ा नॉक करने की आवाज़ सुनी तो उसने अपनी दादी और मुझे उठाया. भाई निवारण प्रसाद महतो ने खिड़की से देखा तो पहचान लिया कि कुछ स्टाफ सिटी थाना के हैं. यह देख कर भाई ने दरवाज़ा खोल दिया.

"सादे लिबास में मौजूद पुलिस ने कहा कि निवारण महतो थाना चलना है, साहब बुला रहे हैं. भाई पैजामा टीशर्ट पहने हुए थे. इसी लेबास में वह साथ जाने लगे तो उन लोगों ने कहा कि कपड़ा पहन लीजिए. भाई ने कपड़े चेंज किए और जाने लगे. उन लोगों ने फिर रोकते हुए कहा कि जूता पहन लीजिए ताकि आपको दिक्कत न हो. फिर भाई ने जूता पहना और वह लोग उनको ले कर चले गए."

अरुण कुमार ने आगे कहा कि "भाई के जाने के बाद हमने उनके मोबाइल नम्बर पर कॉल किया, रिंग होती थी लेकिन भाई ने कॉल नहीं उठाई. कुछ देर बाद उनका मोबाइल स्विच ऑफ हो गया. हम फिर भी मोबाइल पर कॉल करने की कोशिश करते रहे. सुबह भाई की कॉल पिक हो गई. उन्होंने कहा कि सिटी थाना में हूं और अब कॉल मत करना. यह सुनकर हम लोग सिटी थाना पहुंचे."

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"थाने में कोई कुछ बताने को तैयार नहीं था. कुछ देर बाद दो अलग गाड़ियों में निवारण प्रसाद और अमित सिंह मौजूद थे. जब हम गाड़ी के निकट पहुंच कर भाई से बात करनी चाही तो पुलिस ने रोक दिया. फिर दोनो लोगों को पुलिस ले कर चली गई. उसके बाद मैंने डीएसपी साहब से बात की तो कहने लगे कि शाम तक बता पाएंगे कि क्या मामला है. अगले दिन कोतवाली थाना से कॉल आया कि आपके भाई को अरेस्ट किया गया है. फिर मीडिया के माध्यम से खबर मिली कि मेरे भाई पर विधायक के खरीद-फरोख्त का आरोप है. जबकि यह सरासर गलत आरोप है."
अरुण कुमार, आरोपी निवारण प्रसाद महतो के भाई

अरुण ने कहा कि अगर निवारण के मोबाइल लोकेशन को देखा जाए तो साबित हो जाएगा कि मेरे भाई मेरे घर से सिटी थाना ले जाए गए थे. यहां से रांची ले जाया गया. साथ ही बोकारो सिटी थाना और कोतवाली थाना के सीसीटीवी की जांच होनी चाहिए. मेरे भाई फल बेच कर बहुत मुश्किल से दस से पंद्रह हज़ार रुपए कमा लेते थे.

"रही बात राजनीति से जुड़ाव की तो उनका वैसे सक्रीय राजनीति से कोई जुड़ाव नहीं था. लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में 'हिंदुस्तान अवाम मोर्चा' से उन्होंने अपनी किस्मत आज़माई थी. तब उन्हें 1000 वोट मिले थे."

निवारण प्रसाद महतो के परिजनों की माने तो हिरासत में लेने पहुंची पुलिस टीम में सिटी डीएसपी ज्ञान रंजन भी मौजूद थे. जब क्विंट हिन्दी ने डीएसपी ज्ञान रंजन से संपर्क कर आरोपी के परिजनों के आरोपों पर सवाल किया गया तो कोई साफ जवाब नहीं मिल. डीएसपी ज्ञान रंजन ने कहा मुझे कुछ पता नहीं.

"कोई सूचना नहीं है कि किस मैटर में ले जाया गया. ये रांची का मैटर है, FIR रांची में हूई तो आप रांची में बात कीजिए."
ज्ञान रंजन, डीएसपी, बोकारो सिटी

रांची पुलिस का पक्ष जानने के लिए क्विंट हिन्दी ने रांची एसपी को फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुई. जिसके बाद डीआईजी रांची पंकज कमबोज से संपर्क किया गया. उन्होंने क्विंट से कहा कि

"मुझे मामले की जानकारी मीडिया से चली है. जानकारी होने के बाद जब जिम्मेदार कर्मियों से बात हुई तो बताया गया कि इनकी गिरफ्तारी रांची लाने के बाद पुलिस थाने से की गई है. आरोपियों से पूछताछ के लिए बोकारो पुलिस अपनी सुरक्षा में लेकर आई थी. दरअसल यहां जो लोग होटलों में पकड़े गए वह जो नाम ले रहे हैं वह सही ले रहे हैं कि नहीं यह वेरीफाई किया गया, जिसके बाद इन लोगों की संलिप्ता पाई गई.इस लिए इनको गिरफ्तार किया गया. लेकिन आप SSP साहब को मैसेज कीजिए वह रिस्पांस देंगे, वह ही प्रथम व्यक्ति हैं जो इस मामले पर ऑफिशियली रिस्पांस देंगे."
पंकज कमबोज, डीआईजी रांची

DIG रांची के कहने के बाद क्विंट ने SSP रांची को मैसेज कर उनका पक्ष जानना चाहा लेकिन रांची SSP का कोई रिस्पांस नहीं मिला.

आपको बता दें कि रांची पुलिस की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, 22 जुलाई को कोतवाली थाना में विधायक अनुप सिंह ने लिखित शिकायत दी थी. शिकायत पर IPC की धारा 419/420/124A/120B/34 और 171B आर.पी.एक्ट तथा 8/9 पीसी. एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ है.

जिसके तहत प्राप्त सूचना के आलोक में रांची शहर के विभिन्‍न होटलों में छापामारी की गई. जांच के क्रम में अप्राथमिकी अभियुक्त अभिषेक दुबे, अमित सिंह, निवारण प्रसाद महतो को गिरफ्तार किया गया. पकड़े गए लोगों ने पूछताछ के क्रम में ये बात स्वीकार की कि ये लोग राजनीतिक लोगों से सम्पर्क कर नगद राशि उपलब्ध कराने की कोशिश में थे.

वहीं दूसरी तरफ कोलेबिरा से कांग्रेस विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी का दावा है कि उन्हें मंत्री पद के अलावा मोटी रकम का प्रस्ताव मिला था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था. विक्सल कोंगाड़ी का कहना है कि इस बात की जानकारी उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावा कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव और विधायक दल के नेता आलमगीर आलम को भी दे दी है.

साथ ही आरोपी अमित सिंह के साथ अपनी फोटो पर कहा कि कार्यकर्ता साथ में फोटो खिंचवा रहे थे, उसी में यह व्यक्ति भी शामिल था. अमित सिंह से मेरा कोई व्यक्तिगत परिचय नहीं है.

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Published: 26 Jul 2021,11:06 PM IST

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