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सिक्किम (Sikkim) में 2 जून, रविवार को विधानसभा चुनाव के नतीजे आए. प्रेम सिंह तमांग की नेतृत्व वाली सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) ने 32 विधानसभा सीटों में से 31 सीट जीत कर इतिहास रच दिया. इस बड़ी जीत के साथ ही पार्टी ने सत्ता हासिल की. सिक्किम के मुख्यमंत्री और एसकेएम अध्यक्ष प्रेम सिंह तमांग (Prem Singh Tamang) ने दो सीटों - रेनॉक और सोरेंग-चाकुंग - पर भारी अंतर से जीत हासिल की है. सिक्किम को इतनी प्रचंड बहुमत दिलाने वाले तमांग है कौन? आइये जानते हैं...
56 वर्षीय प्रेम सिंह तमांग को एक कुशल संगठनकर्ता, प्रशासक और तेजतर्रार राजनीतिज्ञ माना जाता है. उनका जन्म 5 फरवरी, 1968 को कालू सिंह तमांग और धन माया तमांग के घर हुआ था. पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग के एक कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वे 1990 में एक सरकारी स्कूल में शिक्षक बन गए. तीन साल बाद, तमांग ने अपनी नौकरी छोड़ दी. 1994 में, उन्होंने सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) की सह-स्थापना की.
2014 में पार्टी ने अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा जिसकी शुरुआत अच्छी हुई. SKM ने 10 सीटें जीती थीं. लेकिन अमूमन सभी नेताओं के तरह तमांग के पोशाक पर भी भ्रष्टाचार की छींटे हैं. इन्हीं सालों में भ्रष्टाचार के एक मामले में तमांग दोषी करार दिए गया. उन्हें एक साल की जेल की सजा काटनी पड़ी. दोषी ठहराए जाने के बाद, उन्हें सिक्किम विधानसभा से अपर बर्टुक सीट से विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया. तमांग 2017 में जेल से रिहा हुए और फिर राजनीति में अपनी बढ़त को लगातार बरकरार रखा.
2019 विधानसभा चुनाव में पार्टी ने फिर से अपना दांव खेला और 17 सीटें जीतकर राज्य में पहली दफा अपनी सरकार बना ली. तमांग ने इस जीत के साथ SDF प्रमुख पवन कुमार चामलिंग को सत्ता से बाहर कर दिया. हालांकि एसडीएफ ने 15 सीटें जीती थीं, लेकिन पार्टी के दो विधायकों ने दो-दो सीटें जीती थीं और उन्हें एक-एक सीट छोड़नी पड़ी, जिससे विधानसभा में पार्टी की संख्या प्रभावी रूप से 13 हो गई.
चामलिंग को अपने विधायकों के बड़े पैमाने पर दलबदल का सामना भी करना पड़ा, क्योंकि 10 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए, जबकि शेष दो विधायक SKM में शामिल हो गए , जिससे वे विधानसभा में अपनी पार्टी के एकमात्र प्रतिनिधि रह गए.
हालांकि, एसकेएम प्रमुख ने मतदाताओं के समक्ष अपनी इच्छा भी व्यक्त की है कि वह मुख्यमंत्री के रूप में दो कार्यकाल पूरा करने के बाद सार्वजनिक जीवन में नहीं रहेंगे और पार्टी की बागडोर अगली पंक्ति के नेतृत्व को सौंप देंगे.
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