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विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने आज 05 फरवरी को एक ट्वीट में कहा कि, "हम सूमी-यूक्रेन (Sumi-Ukraine) में भारतीय छात्रों को लेकर बहुत चिंतित हैं. हमारे छात्रों के लिए एक सुरक्षित कॉरिडोर बनाने के लिए तत्काल युद्धविराम के लिए कई चैनलों के माध्यम से रूसी और यूक्रेनी सरकारों पर जोरदार दबाव डाला है."
उन्होंने आगे कहा कि, "अपने छात्रों को सुरक्षा सावधानी बरतने, शेल्टर्स के अंदर रहने और अनावश्यक रिस्क से बचने की सलाह दी है. मंत्रालय और हमारे दूतावास छात्रों के नियमित संपर्क में हैं."
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के हमलों के बीच अभी भी सैकड़ों भारतीय छात्र यूक्रेन के अलग-अलग शहरों और कस्बों में फंसे हुए हैं.
सुमी स्टेट यूनिवर्सिटी में मेडिसिन की पढ़ाई करने वाली श्वेता यादव ने द क्विंट से बात की. उन्होंने जमीनी हालात के बारे में बात करते हुए कहा कि स्थिति बेहद गंभीर है.
अन्य छात्र फुरकान ने सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि "हमने पानी जमा किया है, लेकिन मुझे नहीं पता कि यह कितने समय तक चलेगा. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ सुपरमार्केट खुले हैं, लेकिन एटीएम में कैश नहीं है. इसके सिवा सुपरमार्केट की सप्लाई तेजी से घट रही है, और "कुछ दिनों में, सब कुछ खत्म हो जाएगा फिर हम क्या करेंगे? "
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि खारकीव और सुमी दोनों क्षेत्रों में लगभग 1,000 भारतीय फंसे हुए हैं, जबकि पांच बसें नागरिकों के एक सेक्शन को बाहर निकालने के लिए इंतजार कर रही हैं.
बागची ने कहा कि, "फरवरी के बीच में विदेश मंत्रालय की शुरूआती एडवाइजरी के बाद से 20,000 से ज्यादा भारतीय यूक्रेन से बाहर चले गए थे. 48 उड़ानों से सरकार के निकासी मिशन- ऑपरेशन गंगा के तहत 10,300 नागरिकों को वापस लाया गया है."
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