advertisement
उत्तर प्रदेश (UP) के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में छात्रा से छेड़खानी (Molestation in IIT BHU) के बाद BHU और IIT कैंपस के बीच दीवार बनाए जाने का फैसला लिया गया है. 3 नवंबर को कैंपस बांटने को लेकर छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा. विश्वविद्यालय में ABVP और NSUI के छात्रों ने अपने-अपने तरीके से बीएचयू को बांटने का विरोध किया. ABVP की बीएचयू शाखा ने केंद्रीय कार्यालय के बाहर जमकर नारेबाजी की. वहीं, NSUI ने छात्रसंघ भवन पर कुलपति का पुतला फूंककर विरोध जताया.
छात्रों का कहना है कि 2 नवंबर को परिसर में IIT BHU की एक छात्रा के साथ छेड़खानी की शर्मनाक घटना हुई थी. पीड़ित छात्रा को न्याय मिले लेकिन आईआईटी बीएचयू और बीएचयू के बीच दीवार खड़ी करने की साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे.
इधर, विद्यार्थी परिषद ने चार सूत्री मांगें रखी हैं...
BHU परिसर में सभी चौराहों पर तत्काल उन्नत श्रेणी के CCTV लगवाए जाएं. वर्तमान में लगे CCTV कैमरों की गुणवत्ता की भी जांच हो.
परिसर में सुरक्षाकर्मियों की संख्या में बढ़ोतरी की जाए
अराजक तत्वों के जमावड़े को प्रतिबंधित करने के लिए परिसर में शाम के बाद बाहरी वाहनों के प्रवेश को रोका जाए
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर में विभाजन करने के प्रस्ताव पर तत्काल रोक लगाई जाए.
विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय मंत्री साक्षी सिंह ने कहा...
साक्षी सिंह ने आगे कहा "विश्वविद्यालय को अखंड बनाए रखना हमारा दायित्व है, हम इसके लिए किसी भी स्तर तक जाएंगे. दीवार खड़ी करके आईआईटी के छात्राओं की सुरक्षा का इंतजाम तो हो जाएगा, लेकिन विश्वविद्यालय परिसर के अंदर जो अन्य संकाय हैं, उनके सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा? बात वही आती है कि बीएचयू प्रशासन और सुरक्षा कर्मी मुस्तैदी से अपना काम करें तो इस तरह की घटना परिसर में दोबारा होगी ही नहीं लेकिन कुछ लोग इस मुद्दे को भटका कर अखंड बीएचयू को खंडित करने में लगे हैं."
ABVP इकाई अध्यक्ष अभय सिंह ने कहा काशी हिंदू विश्वविद्यालय महामना का साक्षात विग्रह है. उसे बांटने की बात करने वाले जिन्नावादी सोच के लोग हैं. छात्र इसे स्वीकार नहीं करेंगे.
वहीं, अन्य छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय का हर एक छात्र इसका विरोध करेगा. आईआईटी की छात्रा के साथ जो घटना हुई है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है. आईआईटी बीएचयू प्रशासन और पुलिस प्रशासन को अपराधियों की तलाश और सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम करना चाहिए लेकिन 'महामना की बगिया' में बंटवारा कौन सा उपाय है. छात्रों ने कहा कि इस निर्णय का हम विरोध करते हैं और आगे भी करेंगे.
एवीबीपी के पुनीत मिश्रा ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी का वह विचार है, जिसने साल 1916 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की नींव रखी थी. जिसमें एक ही परिसर से सम्पूर्ण विषयों की शिक्षा की व्यवस्था बनाई गई थी. छेड़खानी की घटना का समाधान महामना के बनाए परिसर को विभाजित करने से नहीं है बल्कि सुरक्षा के इस लिए और बेहतर व्यवस्था बनाने से है.
वहीं, एनएसयूआई बीएचयू ने छात्रसंघ भवन पर कुलपति का पुतला फूंककर बंटवारे का विरोध जताया. उन्होंने कहा...
छात्रसंघ भवन पर पुतला फूंक कर NSUI ने संकाय रोड जाम कर धरना दिया. लगभग 1 घंटे सड़क जाम रहने के बाद डिप्टी चीफ प्रॉक्टर ने छात्रों का मांगपत्र मांगा और उसके बाद फैसला वापस लेने की चेतावनी देकर छात्र वहां से हटे. NSUI ने बताया कि यह विभाजनकारी फैसला वापस न होने तक चरणबद्ध तरीके से आंदोलन जारी रहेगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)