advertisement
एक तरफ जहां यूपी के कई शिक्षक संगठन सैकड़ों शिक्षकों, कर्मचारियों की मौत का दावा कर रहे हैं, लिस्ट जारी कर रहे हैं. वहीं उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग का कहना है कि पंचायत चुनाव के दौरान 3 शिक्षकों ने ही जान गंवाई है. अब इन तीन मृतक शिक्षकों के परिजनों के लिए अनुदान की घोषणा की गई है. इस घोषणा में उन शर्तों को भी बताया गया है जिसके तहत राशि परिजनों को दी जाएगी.
शिक्षा विभाग ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक, मतदान/मतगणना संबंधी प्रशिक्षण और मतदान/मतगणना कार्य के लिए कर्मचारी के निवास स्थान से ड्यूटी स्थल तक पहुंचने और ड्यूटी खत्म होने के बाद निवास स्थान तक पहुंचने के समय को चुनावी ड्यूटी माना गया है. इस दौरान शिक्षक की किसी भी कारण मृत्यु होने पर परिजन अनुदान राशि के लिए योग्य हैं.
शिक्षा विभाग ने बताया कि इन गाइडलाइंस को ध्यान में रखते हुए, राज्य निर्वाचन से उसे केवल 3 शिक्षकों की मौत की जानकारी प्राप्त हुई है, लेकिन उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ का दावा कहता है कि मौत का आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा है. संघ के अध्यक्ष, डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने न्यूज एजेंसी PTI से कहा कि अप्रैल से लेकर 16 मई तक राज्य के 1600 से ज्यादा शिक्षकों और कर्मचारियों की मौत हो चुकी है. संघ के मुताबिक,
संघ अध्यक्ष ने दावा किया कि 8 से 10 शिक्षकों की मौत हार्ट अटैक से हुई, लेकिन ज्यादातर की मौत कोविड के कारण हुई.
संघ ने पीड़ितों की एक लिस्ट मुख्यमंत्री को भेजी है और उनके आश्रितों को एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और नौकरी देने की मांग की है. लिस्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा मौतें आजमगढ़ जिले में हुई हैं.
इससे पहले, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रवक्ता वीरेंद्र मिश्रा ने अप्रैल में क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा कि अलग-अलग जिलों में कुल 136 शिक्षक/शिक्षामित्र/अनुदेशक की मौत चुनाव के दौरान कोरोना संक्रमित हो जाने के वजह से हुई.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)