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अरविंद केजरीवाल पर 1987 में रेप के आरोप का झूठा दावा वायरल

Telegraph में ऐसी कोई खबर नहीं छपी थी, न्यूजपेपर की यह कटिंग फर्जी है.

टीम वेबकूफ
वेबकूफ
Published:
<div class="paragraphs"><p>अरविंद केजरीवाल पर 1987 में रेप का आरोप बताने वाली यह रिपोर्ट फर्जी है</p></div>
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अरविंद केजरीवाल पर 1987 में रेप का आरोप बताने वाली यह रिपोर्ट फर्जी है

(Altered by Quint Hindi)

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से जुड़ी एक अखबार की कटिंग वायरल हो रही है.

दावा: कटिंग के साथ शेयर हो रहा कैप्शन है, "अरविंद केजरीवाल 1985 से 1989 तक IIT खड़गपुर में इंजीनियरिंग कर रहे थे. जब वह दूसरे वर्ष की शुरुआत में जून 1987 में थे, तो उन्होंने स्थानीय लड़की के साथ रेप किया.मामला दर्ज किया गया और उन्हें जेल में डाल दिया गया. इसलिए, उसके लिए जेल कोई नई बात नहीं है. वह एक बड़ा झूठा और अंति हिन्दू है. वह एक क्रिप्टो ईसाई और नेत्रहीन विचारधारा वाला व्यक्ति है. ऊपर दिए गए अखबार को देखें."

इस पोस्ट का अर्काइव यहां देखें

(Altered by Quint Hindi)

(ऐसे ही दावे करने वाले अन्य पोस्ट के अर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.)

क्या यह दावा सही है? : नहीं, ये दावा सच नहीं है. इससे पहले भी यही दावा कई बार इंटरनेट पर वायरल हो चुका है.

  • वायरल फोटो में दिख रहा अखबार का लोगो किसी भारतीय अखबार का नहीं बल्कि UK के The Daily Telegraph का है.

  • 2013 में पहली बार चुनाव लड़ते वक्त अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग को जो शपथ पत्र दिया था, उसमें ऐसे किसी भी आपराधिक मामले का जिक्र नहीं है. चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी के लिए ये अनिवार्य होता है कि वो उसपर दर्ज हर मामले का ब्यौरा चुनाव आयोग को दे.

  • वायरल हो रही फोटो को अखबारों की फेक कटिंग तैयार करने वाले टूल Fodey.com के जरिए बनाया गया है.

हमनें सच का पता कैसे लगाया?: अब हमने आगे The Telegraph के भारतीय संस्करण के असली अखबार से वायरल क्लिप को मिलाकर देखा. दोनों में हमें साफ अंतर दिखा.

द टेलीग्राफ के असली संस्करण और वायरल फोटो के बीच का अंतर

सोर्स : स्क्रीनशॉट/Twitter/The Telegraph/Altered by Quint Hindi

अब हमने वायरल फोटो को टेलीग्राफ के यूके के संस्करण से मिलाकर देखा तो पाया कि इसमें यूके के अखबार का लोगो है.

वायरल फोटो में विदेशी अखबार The Daily Telegraph का लोगो जोड़ा गया है

सोर्स : स्क्रीनशॉट/Twitter/ The Daily Telegraph/ Altered by Quint Hindi

जाहिर है कि एक विदेशी अखबार में भारतीय संस्थान या भारतीय नेता से जुड़ी खबर का फ्रंट पेज पर होना बिल्कुल अस्वभाविक है. वायरल फोटो एडिटेड है.
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ये फेक कटिंग कैसे बनाई गई ? 

इस फोटो की पड़ताल करते वक्त हमें एक ऐसा टूल मिला जिससे अखबारों की कटिंग जैसी दिखने वाली कोई भी फोटो बनाई जा सकती है. इस टूल का नाम Fodey.com है.

इस टूल की मदद से कोई भी यूजर टेक्स्ट, टाइटल, न्यूज पेपर का नाम, तारीख और दिन को बदल सकता है. यह टूल फ्री है और यह आपको न्यूज पेपर के आर्टिकल की असली जैसी फोटो तैयार करके देता है.

इस टूल की मदद से कोई व्यक्ति टेक्स्ट, टाइटल, न्यूज पेपर का नाम, तारीख और दिन को बदल सकता है.

हमने भी इस टूल के जरिए एक अखबार की फेक कटिंग तैयार करके देखी, एक ऐसी कटिंग तैयार हो गई जो बिल्कुल असली जैसी दिख रही है.

यह वायरल फोटो ऑनलाइन पोस्ट की जा रही है.

(फोटो: Altered by The Quint)

लेकिन इसमें एक कमी है: न्यूज रिपोर्ट के पहले दो कॉलम यूजर्स के इनपुट के मुताबिक बदल जाते हैं, लेकिन तीसरा छिपा हुआ कॉलम केवल आंशिक रूप से दिखाई देता है और उस कॉलम का टेक्स्ट कभी नहीं बदलता है.

केजरीवाल का चुनाव आयोग को दिया गया हलफनामा: अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग को साल 2013 में जो हलफनामा जमा किया है. उसमें इस केस का जिक्र नहीं है. जबकि चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों के मुताबिक चुनावी हलफनामा दायर करते समय सभी आपराधिक मुकदमों का ब्यौरा देना जरुरी है. ऐसा नहीं करने पर प्रत्याशी का नामांकन रद्द भी किया जा सकता है.

अरविंद केजरीवाल के द्वारा जारी किया गया हलफनामा

(ECI/Affidavit) 

अगर केजरीवाल रेप के मामले में दोषी या आरोपी होते, तो चुनाव आयोग की वेबसाइट पर इस जानकारी को अपलोड कर दिया गया होता. लेकिन 2013 के बाद के किसी भी चुनावों के नामांकन में अरविंद केजरीवाल पर लगे ऐसे किसी आपराधिक केस का जिक्र नहीं है.

निष्कर्ष: वायरल पोस्ट में किए गए दावे गलत है और इनके साथ इस्तेमाल की जाने वाली न्यूज पेपर की कटिंग फर्जी है.

(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9540511818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं.)

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