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ट्विटर पर एक फोटो शेयर की जा रही है जिसमें पुलिस एक बुजुर्ग महिला को घसीटते हुए नजर आ रही है. दावे में कहा गया है कि ये शर्मनाक है कि चंडीगढ़ पुलिस नागरिकों के साथ अमानवीय व्यवहार कर रही है. साथ ही, इस फोटो को किसानों के उस प्रोटेस्ट (Farmers Protest) से जोड़कर शेयर किया जा रहा है, जो तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में चल रहा है.
हालांकि, क्विंट की वेबकूफ टीम ने पाया कि ये फोटो 2015 की है. पंजाब के पटियाला में पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज किया था. किसान तब पंचायत की जमीन पर कब्जा करने के जिला प्रशासन के कदम के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे.
फोटो शेयर कर इंग्लिश में लिखा गया है, "Chandigarh police are you guys even shamed to treat the civilians who promise to protect in this inhumane way? (sic)" यानी चंडीगढ़ पुलिस से सवाल पूछते हुए लिखा गया है कि क्या आप लोगों को नागरिकों के साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार करने में शर्म नहीं आती.
हमने फोटो को Yandex पर रिवर्स इमेज सर्च करके देखा. हमें 7 अगस्त 2015 का Hindustan Times पर पब्लिश के आर्टिकल मिला. इसमें इसी फोटो का इस्तेमाल किया गया था.
आर्टिकल में बताया गया है कि पटियाला के हरियाउ गांव में पुलिस ने लाठीचार्ज किया. इसमें 12 किसान और तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. ये लाठीचार्ज इसलिए किया गया था, क्योंकि किसानों ने पंचायत की जमीन पर नियंत्रण करने के जिला प्रशासन के कदम का विरोध किया था.
हमें The Tribune का भी एक आर्टिकल मिला जिसमें वायरल फोटो का इस्तेमाल किया गया है. इसके कैप्शन में लिखा है, ''गुरुवार को पाटरन के हरियाउ कलां गांव में एक प्रदर्शनकारी को महिला पुलिसकर्मियों ने हिरासत में लिया.
26 जून को, किसानों ने बड़ी संख्या में कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपने के लिए चंडीगढ़ में राज्यपाल के आवास की ओर मार्च किया था. कई न्यूज रिपोर्ट्स और विजुअल में देखा जा सकता है कि प्रोटेस्टर पंचकूला में बैरिकेड हटाकर आगे बढ़ रहे हैं.
मतलब साफ है कि 2015 की फोटो को हाल में चल रहे किसानों के प्रोटेस्ट का बताकर गलत दावे से शेयर किया जा रहा है.
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