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(ये वीडियो देखने से पहले आपसे एक अपील है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और असम में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के बीच कोरोना वैक्सीन को लेकर फैल रही अफवाहों को रोकने के लिए हम एक विशेष प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. इस प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर संसाधनों का इस्तेमाल होता है. हम ये काम जारी रख सकें इसके लिए जरूरी है कि आप इस प्रोजेक्ट को सपोर्ट करें. आपके सपोर्ट से ही हम वो जानकारी आप तक पहुंचा पाएंगे जो बेहद जरूरी हैं.
धन्यवाद - टीम वेबकूफ)
कोरोना (Corona) अभी गया नहीं है. कुछ बच्चों में कोविड के चलते मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) देखा गया है. MIS-C क्या होता है और इससे किस तरह से छुटकारा पा सकते हैं? इसका कोरोना से क्या संबंध है? ऐसे सवालों के जवाब के लिए हमने डॉ. संजय वज़ीर से बात की. इस वीडियो में उन्होंने बच्चों में कोरोना संक्रमण और उसके बाद होने वाली MIS-C जैसी परेशानियों के कारण और समाधान के बारे में बताया है.
जैसे कि इसका नाम है मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम, डॉ. वज़ीर बताते हैं कि नाम से ही इसका मतलब समझ आता है
डॉ. वज़ीर ने आगे बताया कि, इन केमिकल्स की वजह से इम्यून सिस्टम ठीक से काम नहीं कर पाता और शरीर की इम्यून सिस्टम अपनी ही बॉडी के खिलाफ काम करने लग जाता है. इसे ही MIS-C कहते हैं.
ऐसा नहीं है कि हर बच्चे को जिसे कोविड हुआ है उसे ये सिंड्रोम हो ही. लेकिन फिर भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं जब बच्चों को कोविड ठीक होने के कुछ हफ्तों बाद बुखार, लूज मोशन्स और आंखों में इनफेक्शन जैसी समस्याएं देखी गई हैं. डॉ. के मुताबिक, जब कई बार इसका असर दिल पर पड़ता है तो इसकी वजह से पूरी बॉडी में ब्लड की सप्लाई कम हो जाती है, जिसका असर दिमाग, किडनी जैसी जगहों पर देखने को मिलता है.
अगर आपके बच्चे को कोविड हुआ है और ठीक होने के 4 से 6 हफ्ते के बाद दोबारा से बुखार आता है और 2 से 3 दिन तक रह रहा है. आंखों में रैशेज या फिर आंखें लाल हो रही हैं तो ऐसे में आपको तुरंत डॉ. को दिखाना चाहिए.
डॉ. वज़ीर ने बताया कि कोविड नॉर्मल होने के बाद, खसरे जैसी गंभीर बीमारियां सामने आ सकती हैं, जो कोविड से कहीं ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि इससे ग्रसित 10 में से 1 बच्चे की मृत्यु हो जाती है. इसलिए, कोविड की वजह से बहुत से लोग बच्चों के दूसरे वैक्सीनेशन कराना भूल गए हैं, जिससे दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ा है.
उन्होंने बताया कोविड की वजह से लाइफस्टाइल चेंज हुआ है. जैसे कि बड़े लोग छोटे बच्चों को टीवी लगा के बिठा देते हैं. ऐसे में वो समाज से कट जाता है और वही सुनता है जो टीवी में दिख रहा है इससे बच्चों में बोलने में या कम्यूनिकेशन में समस्या आती है. और बच्चों में एंग्जायटी बढ़ सकती है.
ऐसी कोई मेडिकल स्टडी नहीं है जिससे साबित होता है कि वैक्सीनेशन से MIS-C से बचा जा सकता है. लेकिन हां वैक्सीनेशन जरूरी है क्योंकि इससे कोविड से होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है.
इस सवाल के जवाब में कि जिन्हें कोविड नहीं हुआ था क्या उन्हें भी MIS-C हो सकता है? डॉ. वज़ीर ने बताया कि MIS-C पोस्ट कोविड ही होता है. इसलिए, ये नॉन कोविड पेशेंट को नहीं होता. इसके अलावा, अगर किसी मां को कोविड है तो उसके हाल में ही पैदा हुए बच्चे को भी इन परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
(ये वीडियो द क्विंट के कोविड-19 और वैक्सीन पर आधारित फैक्ट चेक प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए शुरू किया गया है.)
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