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WhatsApp पर एक मैसेज वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच सरकार सभी लोगों को 5000 रुपये का 'फ्री' रिलीफ फंड दे रही है. सरकार ने हालांकि इस तरह की कोई घोषणा नहीं की है और वायरल मैसेज में शेयर किया जा रहा लिंक संदिग्ध लगता है.
वायरस मैसेज में लिखा है: "एफजी (फेडरल गवर्नमेंट) ने मंजूरी दे दी है और सभी नागरिकों को फ्री 5000 रुपये रिलीफ फंड दे रही है. नीचे जानें कैसे दावा करना हगै और अपना क्रेडिट लेना है, जैसे मैंने अभी किया https://bit.ly/free---funds. नोट: आप सिर्फ एक बार दावा कर अपना क्रेडिट ले सकते हैं और ये लिमिटेड है, इसलिए जल्दी करें."
ट्विटर पर कई यूजर्स ने इस मैसेज को शेयर किया.
वायरल मैसेज में एक लिंक दिया हुआ है- https://bit.ly/free---funds, जहां लोग पैसे के लिए दावा कर सकते हैं. लेकिन पहले देखते हैं कि ये लिंक कितना सही है.
यूआरएल http://fund.ramaphosafoundations.com/ का शॉर्ट वर्जन है. हमने पाया कि साउथ अफ्रीका में बेस्ड सिरिल रामाफोसा फाउंडेशन नाम का एक फाउंडेशन है. हालांकि, ये उस फाउंडेशन का ऑफिशियल यूआरएल नहीं है.
दूसरा, लिंक पर क्लिक करने पर तीन सवाल पूछे जाते हैं:
आप सवाल के जवाब में चाहे जो ऑप्शन सलेक्ट करें, लिंक आपको एक कंफर्मेशन पेज पर ले जाएगा, जिसमें लिखा है कि आप फ्री 5000 रुपये के लॉकडाउन फंड का दावा करने के लिए योग्य हैं.
इसके अलावा, यूजर्स से इस लिंक को 7 WhatsApp ग्रुप में शेयर करने के लिए भी कहा जाता है और इसके बाद यूजर्स से उनका अकाउंट नंबर और बैंक का नाम पूछा जाता है.
इस वेबपेज पर फेसबुक कमेंट्स का एक स्क्रीनशॉट भी आता है, जिसमें यूजर्स कह रहे हैं कि उनके अकाउंट में वाकई 5000 रुपये आए. यहां ये बात ध्यान देने वाली है कि आप वेबपेज पर कितनी भी बार जाएं, कमेंट्स में टाइम स्टैंप एक ही रहता है- 'just now', यानी कमेंट्स हाल ही में किए गए हैं.
यहां तक की कुल लाइक्स और कमेंट्स भी एक जैसे ही रहते हैं- 2,04,208 लाइक्स और 1,73,330 कमेंट्स.
इसके अलावा, यूआरएल पर '1,936 free lockdown packages left' जैसा मैसेज देखकर भी संदेह होता है.
हमने देखा कि फेसबुक पर कुछ यूजर्स ने एक दूसरे लिंक के साथ इसी तरह का दावा किया है. ये दावा नाइजीरिया सेंट्रिक है.
इस लिंक में यूजर्स से पूछा गया है कि क्या वो नाइजीरिया के नागरिक हैं और उनके अकाउंट में पैसे नाइजीरियन करंसी में ट्रांसफर होंगे.
इससे साफ होता है कि सोशल मीडिया पर एक संदिग्ध लिंक वायरल हो रहा है. इसके साथ किया जा रहा दावा भी गलत है.
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