Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Webqoof Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019UP, MP और बिहार के 42% लोगों ने कहा नहीं लगवाएंगे वैक्सीन- सर्वे

UP, MP और बिहार के 42% लोगों ने कहा नहीं लगवाएंगे वैक्सीन- सर्वे

सर्वे में शामिल करीब 26 प्रतिशत लोग कोविड बीमारी को एक सरकारी साजिश के तौर पर मानते हैं

अभिलाष मलिक
वेबकूफ
Published:
<div class="paragraphs"><p>सर्वे में शामिल करीब 26 प्रतिशत लोग कोविड को सरकारी साजिश  मानते हैं</p></div>
i

सर्वे में शामिल करीब 26 प्रतिशत लोग कोविड को सरकारी साजिश मानते हैं

(फोटो: Altered by The Quint)

advertisement

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों के करीब 42 प्रतिशत लोगों ने सर्वे में साफ तौर पर कहा कि वो कोविड 19 वैक्सीन नहीं लगवाएंगे, क्योंकि इससे मौत का खतरा है.

ये आंकड़े क्विंट के लिए वीडियो वॉलंटियर की ओर से किए गए सर्वे के रिजल्ट के आधार पर हैं. ये सर्वे कोविड 19 और वैक्सीन से जुड़ी भ्रामक जानकारी की पड़ताल करने के लिए किया गया है. ये सर्वे पूर्वी यूपी और सेंट्रल यूपी के 20 गांवों और बिहार और मध्य प्रदेश के 12-12 गांवों में किया गया है.

ये सर्वे 28 अप्रैल से 12 मई के बीच किया गया है. इसमें 1761 लोगों ने हिस्सा लिया है.

निष्कर्षों के अनुसार, कुल मिलाकर 26 प्रतिशत लोग मानते हैं कि कोविड बीमारी एक सरकारी साजिश है. जिन लोगों ने वैक्सीन लगवाने से इनकार किया, उनमें से 45 प्रतिशत भी इसे एक सरकारी साजिश के तौर पर देखते हैं.

इसी तरह, जो लोग वैक्सीन लेने से इनकार करते हैं, उनमें से करीब 68 प्रतिशत का मानना है कि वैक्सीन उनकी कोविड से सुरक्षा नहीं करेगी. हमने ये भी पाया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में टीके को लेकर संदेह ज्यादा है.

ये ध्यान देना जरूरी है कि सर्वे करते समय 85 प्रतिशत उत्तरदाताओं को टीका नहीं लगा था, जिसका मतलब है कि उन्होंने कोविड वैक्सीन की एक भी डोज नहीं ली थी.

56% लोग WhatsApp में आई जानकारी पर करते हैं भरोसा

सर्वे का हिस्सा बने 1761 लोगों में से 56 प्रतिशत लोगों ने WhatsApp को जानकारी का एक विश्वसनीय सोर्स माना. करीब 11 प्रतिशत ने इसे कोविड 19 के बारे में जानकारी का अपना प्राथमिक सोर्स माना.

वहीं दूसरी ओर, 55 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें फेसबुक पोस्ट पर भरोसा है. और 9 प्रतिशत इसे जानकारी का प्राथमिक सोर्स मानते हैं.

हालांकि, ज्यादातर लोगों ने माना कि लोगों से मिली जानकारी पर भरोसा करते हैं. करीब 48 प्रतिशत लोगों ने कहा कि दोस्त और परिवार उनकी जानकारी का सोर्स हैं.

सर्वे में ये भी पाया गया कि 27 प्रतिशत उत्तरदाताओं का सोचना है कि कोविड 19 वैक्सीन से मौत होने का खतरा है. 8 प्रतिशत का मानना है कि वैक्सीन की वजह से नपुंसकता होती है. वहीं 4 प्रतिशत ने कहा कि वैक्सीन लगवाने से मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं.

रिपोर्टों से पता चलता है कि इस तरह की अफवाहों ने उन ग्रामीण क्षेत्रों में भय और दहशत पैदा कर दी है, जो महामारी की दूसरी लहर में बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.

अमेरिका और ब्रिटेन में किए गए सर्वे के मुताबिक गलत सूचनाओं की वजह से लोगों में वैक्सीन को लेकर भ्रम फैला है और उन्होंने उसकी स्वीकृति कम कर दी है. क्विंट के फैक्ट चेकिंग इनीशिएटिव वेबकूफ ने ऐसी कई गलत और भ्रामक जानकारी की पड़ताल करके उन्हें खारिज किया है, जो WhatsApp पर वायरल हुई थीं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

भारत के ग्रामीण इलाकों में विश्वास की कमी और संदेह

सर्वे में हिस्सा लेने वाले लोगों ने सरकार और हेल्थ एथॉरिटी के प्रति विश्वास की कमी को भी टीका न लगवाने के पीछे की वजहों में से एक बताया.

शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले उत्तरदाताओं में से 26 प्रतिशत का मानना है कि कोविड 19 बीमारी एक सरकारी साजिश है. सरकार की ओर से वैक्सीन लगवाने और मास्क पहनने के लिए कहने को उन्होंने सिर्फ एक प्रचार के तौर पर माना.

वैक्सीन के प्रभावी होने के बारे में गलत जानकारी या उचित जानकारी की कमी की वजह से भी लोग वैक्सीन को संदेह की नजर से देखते हैं. 55 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे वैक्सीन लगवाने से डरते हैं.

वैक्सीन लगवाने से डरने वालों में से 60 प्रतिशत का मानना है कि वैक्सीन से मौत हो सकती है, जबकि 15 फीसदी का मानना है कि वैक्सीन से कोविड 19 हो सकता है.

अलग-अलग लिंग, धर्म और वर्ग में वैक्सीन के प्रति डर

सर्वे में पाया गया कि परंपरागत रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदाय जैसे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों में अन्य की तुलना में ज्यादा खराब और भ्रामक जानकारी है.

सर्वे के मुताबिक, अनुसूचित जाति के 65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति में 59 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के 49 प्रतिशत लोग वैक्सीन लगवाने से डरते हैं.

धार्मिक अल्पसंख्यकों की भी ऐसी ही स्थिति थी, जिसमें 68 प्रतिशत मुस्लिम उत्तरदाताओं के जवाबों से पता चला कि वे वैक्सीन से डरते हैं.

सर्वे में शामिल मुसलमानों में से आधे ने कहा कि वे वैक्सीन नहीं लगवाएंगे, जबकि हिंदुओं में 42 प्रतिशत ने ऐसा कहा था.

इस सर्वे में शामिल लोगों में 90 प्रतिशत हिंदू और 7 प्रतिशत मुस्लिम उत्तरदाता थे.

महिला उत्तरदाताओं में निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाली प्रमुख वजह के तौर पर विश्वसनीय जानकारी की कमी पाई गई. जहां पुरुषों में 49 प्रतिशत में वैक्सीन का डर देखा गया तो वहीं इनकी तुलना में महिलाओं में 61 प्रतिशत ने वैक्सीन के प्रति अपना डर बताया. यानी महिलाओं को वैक्सीन के प्रति ज्यादा संदेह पाया गया.

सर्वे में शामिल महिलाओं में से 46 प्रतिशत का कहना था कि उन्हें वैक्सीन नहीं मिलेगी, जो औसत से 4 प्रतिशत ज्यादा है.

सर्वे से पता चलता है कि गलत जानकारी के प्रसार, विश्वसनीय समाचार स्रोतों की कमी के साथ-साथ सरकारी स्वास्थ्य और सूचना नेटवर्क के प्रति विश्वास की कमी ने सबसे कमजोर समुदायों में वैक्सीन के प्रति संदेह और डर पैदा किया है.

(डिस्क्लेमर: क्विंट 'वीडियो वॉलिंटियर्स' के साथ काम कर रहा है, एक ऐसा मीडिया संस्थान जो हाशिए पर खड़े समुदायों और ग्रामीण इलाकों में कोविड वैक्सीन को लेकर फैलाई जा रही भ्रामक सूचनाओं का सच उन तक पहुंचाता है . हमारा मुख्य उद्देश्य देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रह रही महिलाओं को जागरूक करना है. ये स्टोरी इसी प्रोजेक्ट के तहत पब्लिश की गई है)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT