advertisement
सोशल मीडिया पर ये दावा किया जा रहा है कि कोविड वैक्सीन लेने के बाद पुरुषों की फर्टिलिटी कम हो जाती है. इंग्लिश में वायरल हो रहे कई तरह के मैसेज के साथ ही इस दावे के साथ हिंदी अखबार की एक क्लिप भी शेयर की जा रही है.
यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुरेश भगत ने क्विंट से बातचीत में इस दावे को फेक बताया. अमेरिका में रीप्रोडक्शन को लेकर काम करने वाली रिसर्च संस्थाएं सोसायटी फॉर मेल रीप्रोडक्शन एंड यूरोलॉजी (SMRU) और सोसायटी फॉर द स्टडी ऑफ मेल रीप्रोडक्शन (SSMR) भी वैक्सीन के पुरुषों की फर्टिलिटी पर असर करने वाले दावे को पहले ही खारिज कर चुकी हैं.
कई तरह के मैसेजेस के जरिए वैक्सीन लेने के बाद फर्टिलिटी कम होने के दावे किए जा रहे हैं. अंग्रेजी में शेयर किए गए इस मैसेज में वैक्सीन लेने के बाद पुरुषों और महिलाओं दोनों की फर्टिलिटी कम होने का दावा किया गया है.
वैक्सीन से पुरुषों की फर्टिलिटी पर कोई असर पड़ता है या नहीं, इसकी पुष्टि के लिए हमने वैक्सीन से जुड़ी अलग-अलग रिसर्च रिपोर्ट्स सर्च कीं.
अमेरिका में पुरुषों की फर्टिलिटी और रीप्रोडक्शन के विषय पर शोध करने वाली दो शीर्ष संस्थाओं सोसायटी फॉर मेल रीप्रोडक्शन एंड यूरोलॉजी (SMRU) और सोसायटी फॉर द स्टडी ऑफ मेल रीप्रोडक्शन (SSMR) ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि कोविड वैक्सीन का पुरुषों की फर्टिलिटी पर अब तक किसी तरह का बुरा असर साबित नहीं हुआ है. इसलिए फर्टिलिटी की चाह रखने वाले पुरुषों को भी वैक्सीन दी जा सकती है. ये बयान 9 जनवरी, 2021 तक प्राप्त डेटा के आधार पर जारी किया गया है.
SMRU और SSMR ने अपने संयुक्त बयान में आगे कहा,
यूनाइटेड किंगडम के हेल्थ डिपार्टमेंट ने भी वैक्सीन के बाद होने वाली इनफर्टिलिटी के दावों को पूरी तरह निराधार बताया है.
ऐसी कोई विश्वसनीय स्टडी रिपोर्ट हमेें नहीं मिली, जिससे पुष्टि होती हो कि वैक्सीन लेने से पुरुषों की फर्टिलिटी पर कोई असर पड़ता है.
दावे की पुष्टि के लिए हमने यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुरेश भगत से संपर्क किया. डॉ. सुरेश ने वैक्सीन से पुरुषों की फर्टिलिटी पर पड़ने वाले किसी भी तरह के विपरीत प्रभाव वाले दावे को पूरी तरह निराधार बताया.
दिसंबर 2020 में ये दावा किया जा चुका है कि फाइजर वैक्सीन लेने के बाद महिलाओं में भी इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है. वायरल मैसेज में कहा गया था कि वैक्सीन मेें मौजूद syncytin-1 प्रोटीन महिलाओं की इनफर्टिलिटी का कारण बन सकता है. वेबकूफ की पड़ताल में ये दावा फेक साबित हुआ था.
वैक्सीन का फर्टिलिटी से कोई संबंध नहीं है. इसे पूरी तरह समझने के लिए हमें पहले ये समझना होगा कि वैक्सीन कैसे काम करती है. ज्यादातर वैक्सीनों में डेड या इनेक्टिव (मरे हुए) वायरस होते हैं. ये डेड वायरस हमारे शरीर में एंटी बॉडीज पैदा करते हैं, जो बीमारी से लड़ने में मदद करती हैं .
सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात ये है कि वैक्सीन 3 चरणों के ट्रायल्स से होकर गुजरी है. वैक्सीन के ट्रायल में शामिल हजारों पुरुषों-महिलाओं में अब तक वैक्सीन से होने वाली इनफर्टिलिटी की शिकायत नहीं आई है.
अलग-अलग कीवर्ड सर्च करने पर भी हमें वह सोर्स नहीं मिला, जहां वायरल कटिंग में दिख रहा आर्टिकल पब्लिश हुआ हो. इस वायरल कटिंग की हेडिंग में ये दावा किया गया है कि युवाओं को वैक्सीन की बजाए एंटी-फर्टिलिटी इंजेक्शन लगाया जाएगा.
लेकिन आर्टिकल में अंदर एंटी फर्टिलिटी इंजेक्शन का जिक्र ही नहीं है. आर्टिकल के अंदर कोरोना के अस्तित्व पर सवाल उठाए गए हैं. ये दावे डॉ. विश्वरूप रॉय चौधरी, डॉ. तरुण कोठारी और डॉ विकास जगदले के हवाले से किए गए हैं.
यहां बता दें कि डॉ. विश्वरूप फेक न्यूज की दुनिया में नया नाम नहीं हैं. 2010 से ही वे लगातार लोगों को भ्रमित करने वाले दावे करते रहे हैं. विश्वरूप के भ्रामक दावों की क्विंट की वेबकूफ टीम पहले भी पड़ताल कर चुकी है.
डॉ. विश्वरूप रॉय चौधरी कोरोना के अस्तित्व पर भी सवाल उठाते रहे हैं. बीते दिनों वैक्सीन का विरोध करने वाले कुछ डॉक्टरों ने एक एडवाइजरी जारी कर दावा किया था कि अविवाहित महिलाओं, बच्चों, सांस के मरीज और स्मोकिंग या शराब पीने वालों को कोविड वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए. वेबकूफ की पड़ताल में इस फेक गाइडलाइन में दी गई सभी चेतावनियां भ्रामक साबित हुई थीं. ये फेक गाइडलाइन जारी करने वालों में डॉ. विश्वरूप भी शामिल थे.
मतलब साफ है- सोशल मीडिया पर किया जा रहा ये दावा झूठा है कि कोरोना वैक्सीन लेने से पुरुषों की फर्टिलिटी कम हो जाएगी.
(येे स्टोरी द क्विंट के कोविड-19 वैक्सीन से जुड़े प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए शुरू किया गया है.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)