Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Webqoof Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बंगाली मुस्लिमों के वोटों से अंबेडकर को मिला संविधान लिखने का मौका? ये सच नहीं

बंगाली मुस्लिमों के वोटों से अंबेडकर को मिला संविधान लिखने का मौका? ये सच नहीं

वायरल मैसेज में दावा है कि अगर बंगाली मुस्लिमों के 48% वोट न मिलते, तो डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान नहीं लिख पाते

Siddharth Sarathe
वेबकूफ
Updated:
<div class="paragraphs"><p>डॉ. भीमराव अंबेडकर को लेकर किया जा रहा ये दावा भ्रामक है</p></div>
i

डॉ. भीमराव अंबेडकर को लेकर किया जा रहा ये दावा भ्रामक है

फोटो : A;tered by Quint

advertisement

सोशल मीडिया पर वायरल एक मैसेज में ये दावा किया जाता है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर (Bhimrao Ambedkar) को संविधान (Constitution) लिखने का मौका बंगाल के 48% मुस्लिमों के वोटों की वजह से मिला था. मैसेज में कहा गया है कि अगर बंगाल के मुस्लिमों के वोट अंबेडकर को नहीं मिलते, तो वो संविधान नहीं लिख पाते.

क्विंट की वेबकूफ टीम ने जब इस दावे की पड़ताल की तो सामने आया कि डॉ. अंबेडकर संविधान सभा के गठन के वक्त जरूर बंगाल से सभा के सदस्य चुने गए थे. लेकिन, जिस क्षेत्र से चुने गए थे, वो विभाजन के बाद पाकिस्तान के हिस्से में चला गया था. इसके बाद कांग्रेस ने डॉ. भीमराव अंबेडकर को बॉम्बे निर्वाचन क्षेत्र से सदस्यता स्पॉन्सर की थी. यानी जिस वक्त संविधान बनकर तैयार हुआ, अंबेडकर संविधान सभा में बॉम्बे का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, न की बंगाल का.

दावा

वायरल होने वाला मैसेज है - बाबा साहब को संविधान लिखने के लिए #संविधान_सभा में नहीं जाने दिया जा रहा था, तब बंगाल के 48% मुसलमान भाइयों ने ही बाबा साहब को चुनकर संविधान में भेजा था। खुद हमारे अपने लोगो ने वोट नही दिया था बाबा साहब को।.

सोशल मीडिया पर शेयर होने वाले कई लंबे मैसेजेस में इस दावे का जिक्र है.

पोस्ट का अर्काइव यहां देखें

सोर्स : फेसबुक

बंगाल से चुनकर संविधान सभा में पहुंचे थे डॉ. अंबेडकर?

लंबे समय से इस मुद्दे पर बहस होती रही है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान सभा में बंगाल राज्य की तरफ से चुनकर गए थे या फिर बॉम्बे.

सिलसिलेवार ढंग से समझते हैं.

राज्यसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान सभा में बॉम्बे निर्वाचन क्षेत्र की तरफ से शामिल हुए थे. पश्चिम बंगाल निर्वाचन क्षेत्र से गए सदस्यों की लिस्ट में अंबेडकर का नाम यहां नहीं है.

बॉम्बे संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित भीमराव अंबेडकर

सोर्स : स्क्रीनशॉट/Rajyasabha.nic

लोकसभा में हुई बंगाल और बॉम्बे को लेकर ये बहस भी देखिए

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक,

नवंबर 2015 को बाबासाहब भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती पर लोकसभा में भाषण देते हुए त्रृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा था कि

''जब संविधान सभा का गठन हुआ, तब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने सभा में पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व किया था जबकि उनका जन्म मध्यप्रदेश में हुआ था. महात्मा गांधी चाहते थे कि अंबेडकर संविधान सभा में हों, लेकिन महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की तरफ से उनका नाम प्रस्तावित नहीं किया गया''
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

बीजेपी सांसद एसएस अहलूवालिया ने उस वक्त सुदीप बंदोपाध्याय के दावे पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि अंबेडकर ने संविधान सभा में बंगाल का नेतृत्व नहीं किया. अहलूवालिया की आपत्ति के बाद इतिहासकार और टीएमसी सदस्य सुगाता बोस ने मामले को संभालते हुए स्पष्टीकरण दिया और कहा-

''डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान सभा के गठन के वक्त बंगाल का ही प्रतिनिधित्व कर रहे थे. वे अविभाजित बंगाल के जेस्सोर और खुलना निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व संविधान सभा में कर रहे थे. लेकिन, विभाजन के बाद ये दोनों निर्वाचन क्षेत्र पाकिस्तान में चले गए. चूंकि अंबेडकर का संविधान सभा में शामिल होना जरूरी था, इसलिए उन्हें बाद में बॉम्बे निर्वाचन क्षेत्र से चुना गया.''

सरकारी दस्तावेजों में बॉम्बे और बंगाल दोनों का जिक्र 

हमने लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर 17 दिसंबर, 1946 की संविधान सभा में हुई डिबेट का दस्तावेज देखा. यहां डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम के आगे ''बंगाल'' देखा जा सकता है. यानी ये दावा तो सच है कि अंबेडकर पहले बंगाल की तरफ से ही संविधान सभा में शामिल हुए थे.

हालांकि, सरकारी वेबसाइट पर ही, संविधान सभा के सदस्यों की लिस्ट में अंबेडकर का नाम बॉम्बे के सदस्यों में है. ऐसा इसलिए क्योंकि, ये लिस्ट नवंबर 1949 की है. 11 अक्टूबर, 1949 को संविधान के ड्राफ्ट पर हुई बहस के दस्तावेज में भी अंबेडकर के नाम के आगे बॉम्बे ही लिखा है.

कांग्रेस की स्पॉन्सरशिप पर दोबारा चुने गए थे डॉ. अंबेडकर

अब ये कन्फ्यूजन क्यों है? अंबेडकर बंगाल से संविधान सभा में गए या बॉम्बे से? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने संविधान के जानकार और छत्तीसगढ़ के पूर्व एडवोकेट जनरल कनक तिवारी से संपर्क किया. क्विंट से बातचीत में उन्होंने बताया कि डॉ. अंबेडकर को कांग्रेस की स्पॉन्सरशिप से संविधान सभा में शामिल किया गया था.

शुरुआत में डॉ. भीमराव अंबेडकर बंगाल से चुनकर ही संविधान सभा में गए थे, लेकिन जब उनकी सीट पाकिस्तान में चली गई, तब कांग्रेस पार्टी की स्पॉन्सरशिप पर उन्हें बॉम्बे निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर भेजा गया. अंबेडकर के अलावा श्यामाप्रसाद मुखर्जी समेत कई दूसरे दल के नेताओं को कांग्रेस की तरफ से संविधान सभा में शामिल किया गया था.
कनक तिवारी, पूर्व एडवोकेट जनरल छत्तीसगढ़, संविधान विशेषज्ञ
मतलब साफ है - डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान सभा के गठन के वक्त बंगाल के निर्वाचन क्षेत्रों से चुने गए थे, लेकिन जिस वक्त उन्हें संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी का चेयरमैन नियुक्त किया गया, वे बॉम्बे निर्वाचन क्षेत्र की तरफ से चुनकर संविधान सभा में शामिल हुए थे, बंगाल नहीं.

ये दावा सही नहीं है कि बंगाली मुस्लिमों के वोटों की वजह से अंबेडकर को संविधान लिखने का मौका मिला.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 25 Nov 2021,11:59 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT