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5 राज्यों असम, पश्चिम बंगाल, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में इन राज्यों से संबंधित 'फेक न्यूज' भी सोशल मीडिया पर शेयर हो रही हैं. क्विंट की वेबकूफ टीम ऐसी खबरों की पड़ताल कर रही है और सच सामने ला रही है. ऐसे में नजर डालते हैं ऐसी कुछ खबरों पर एक जगह एक साथ.
सबसे पहले नजर डालते हैं पश्चिम बंगाल की उन फेक खबरों पर जिनकी पड़ताल क्विंट ने की
सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में कुछ बीजेपी नेताओं ने पथराव किया. वीडियो में कुछ लोग एक घर पर पत्थर बरसाते भी दिख रहे हैं. बेवकूफ की पड़ताल में सामने आया कि वीडियो पश्चिम बंगाल का नहीं बल्कि तेलंगाना का है. जहां तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेता और विधायक चल्ला धर्मा रेड्डी के वारंगल स्थित घर पर कुछ बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पथराव किया था.
वीडियो में पथराव कर रहे लोग बीजेपी का गमछा पहने देखे जा सकते हैं, इससे क्लू लेकर हमने अलग-अलग कीवर्ड्स सर्च कर वारंगल से जुड़ी ऐसी मीडिया रिपोर्ट्स सर्च करनी शुरू की, जिनसे बीजेपी नेताओं द्वारा घर पर पथराव किए जाने की पुष्टि होती हो. इंडियन एक्सप्रेस पर इस मामले से जुड़ी रिपोर्ट है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में भी यही विजुअल देखे जा सकते हैं.
पश्चिम बंगाल का बताया जा रहा वीडियो असल में तेलंगाना के वारंगल का है. ये सच है कि वायरल वीडियो में बीजेपी के कार्यकर्ता ही हैं, लेकिन घटना को किसी अन्य राज्य का बताकर भ्रामक दावा किया जा रहा है.
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अमित शाह के स्टेज से गिरने का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो को सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि कोलकाता में किसानों की रैली के दौरान अमित शाह स्टेज से गिरे. हमने जब इस वीडियो की जांच की तो पाया कि ये वीडियो साल 2018 का है और ये कोलकाता का नहीं बल्कि मध्य प्रदेश का है.
हमने ‘Amit Shah stage broke rally’ कीवर्ड डालकर कीवर्ड सर्च करके देखा. हमें The Times of India की एक रिपोर्ट मिली जिसमें इस वीडियो को दिखाया गया था. इसे नवंबर 2018 में पब्लिश किया गया था.
हमें NDTV की भी एक रिपोर्ट मिली जिसमें इस घटना के बारे में लिखा गया है और कहा गया है कि ये घटना अशोकनगर के तुलसी पार्क की है.
पश्चिम बंगाल में चुनाव होने वाले हैं और ऐसे समय में अमित शाह के गिरने के एक पुराने वीडियो को कोलकाता का बताकर गलत दावे से शेयर किया जा रहा है. पड़ताल में हमने पाया कि ये वीडियो कोलकाता का नहीं बल्कि मध्य प्रदेश का है और करीब ढाई साल पुराना है.
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सोशल मीडिया में 2019 के लोकसभा चुनावों की तारीखों वाली एक तस्वीर इस झूठे दावे के साथ वायरल हो रही है कि ये तारीखें पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनावों की हैं.
पड़ताल में हमने पाया कि वायरल तस्वीर में दिख रही तारीखें और निर्वाचन क्षेत्र, 2019 के आम चुनावों के थे. इस लिस्ट को हमने चुनाव आयोग की वेबसाइट में भी देखा.
पश्चिम बंगाल में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे. हालांकि, चुनाव आयोग ने अभी तारीखों की घोषणा नहीं की है. हमें पश्चिम बंगाल में चुनावों की तारीख से जुड़ी कोई भी घोषणा चुनाव आयोगा (ECI) की वेबसाइट में नहीं मिली.
पड़ताल में हमने पाया कि सोशल मीडिया में वायरल हो रही है तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा गलत है. पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनावों की घोषणा नहीं हुई है.
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अब नजर डालते हैं केरल से जुड़ी फेक न्यूज पर
साल 2015 में मनाए गए बीजेपी के 35वें स्थापना दिवस समारोह की एक फोटो को केरल में योगी के स्वागत का बताकर शेयर किया जा रहा है. फोटो में बीजेपी के चुनाव चिह्न कमल का ह्यूमन फ्लैग दिख रहा है. 21 फरवरी को योगी आदित्यनाथ केरल में एक रैली में शामिल हुए थे. सभा को संबोधित किया था, फोटो को इसी दिन का बताया जा रहा है.
वायरल फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें लाइव मिंट वेबसाइट पर 2015 का एक आर्टिकल मिला. इस आर्टिकल में वायरल फोटो से मिलती-जुलती एक फोटो है. इसमें कमल के आकार का विशाल ह्यूमन फ्लैग भी दिख रहा है.
द क्विंट की एक रिपोर्ट में भी यही विजुअल्स हैं. इसमें बताया गया है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पार्टी के 35वें स्थापना दिवस पर कमल के फूल के आकार का ह्यूमन फ्लैग बनाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अप्रैल 2015 में यही फोटो ट्वीट की थी.
साल 2015 में बीजेपी स्थापना दिवस पर गुजरात में कार्यकर्ताओं द्वारा बनाए गए कमल के आकार के ह्यमून फ्लैग की फोटो गलत दावे से शेयर की जा रही है. ये फोटो केरल की नहीं बल्कि गुजरात की है और करीब 6 साल पुरानी है.
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सोशल मीडिया पर केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें इस परेड में शामिल लोग RSS की ड्रेस पहने हुए दो लोगों के हाथों को बांधकर सड़क पर घुमा रहे हैं और नारे लगाते हुए दिख रहे हैं.
इस वीडियो को सोशल मीडिया में इस गलत जानकारी के साथ शेयर किया जा रहा है कि ISIS के स्टाइल में इन युवकों को बांधकर सड़क पर इनका जुलूस निकाला जा रहा है.
इस वीडियो में दिख रही बिल्डिंग का जब हमने गूगल मैप में सर्च किया तो पता चला कि वीडियो केरल के चेलारी का ही है, लेकिन इस वीडियो को शेयर करते हुए गलत जानकारी फैलाई जा रही है.
हमने जब कीवर्ड सर्च करके देखा तो Times of India की एक वीडियो रिपोर्ट मिली जिसमें इस वीडियो के बारे में बताया गया था. इसके डिस्क्रिप्शन में लिखा था केरल के मलप्पुरम में आरएसएस कार्यकर्ताओं के तौर पर पीएफआई के लोगों ने हथकड़ी पहन रखी है.
वीडियो को सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी के साथ शेयर किया जा रहा है. इस वीडियो में रस्सी में बंधे युवक RSS कार्यकर्ता नहीं हैं बल्कि PFI के ही कार्यकर्ता हैं जिन्हें सांकेतिक रूप से RSS कार्यकर्ताओं के तौर पर पेश किया जा रहा है.
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