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Lulu Mall में लखनऊ पुलिस ने हिंदुओं की गिरफ्तारी नमाज पढ़ने के आरोप में नहीं की

Lulu Mall में बिना परमिशन हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले तीन हिंदुओं को गिरफ्तार किया गया है.

अभिलाष मलिक
वेबकूफ
Published:
<div class="paragraphs"><p>Lulu Mall में बिना परमिशन हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले तीन हिंदुओं को गिरफ्तार किया गया है.</p></div>
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Lulu Mall में बिना परमिशन हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले तीन हिंदुओं को गिरफ्तार किया गया है.

(फोटो: Altered by the Quint)

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लखनऊ (Lucknow) पुलिस ने शुक्रवार, 15 जुलाई को एक प्रेस नोट जारी किया, जिसमें बताया गया कि शहर के लुलु मॉल (Lulu Mall) में धार्मिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश करने वाले 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है.

प्रेस नोट के मुताबिक, इन 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है:

  • सरोज नाथ योगी

  • कृष्ण कुमार पाठक

  • गौरव गोस्वामी

  • अरशद अली

इस प्रेस नोट को सोशल मीडिया पर इस दावे से शेयर किया गया कि लुलु मॉल में 12 जुलाई को नमाज अदा करने वाले लोग असल में हिंदू थे, जो मुस्लिम बनने का नाटक कर रहे थे.

सोमवार, 18 जुलाई को लखनऊ पुलिस ने ट्विटर पर एक दूसरा प्रेस नोट जारी कर स्पष्ट किया कि 15 जुलाई को गिरफ्तार किए गए लोगों को किसी अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था. इसके अलावा, इस प्रेस नोट में ये भी बताया गया कि जिन हिंदुओं को गिरफ्तार किया गया, उन्हें बिना परमिशन के मॉल में हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए गिरफ्तार किया गया था.

स्टोरी लिखते समय तक उपलब्ध आखिरी अपडेट के मुताबिक, लखनऊ पुलिस ने 12 जुलाई को नमाज अदा करने के लिए 4 लोगों को गिरफ्तार किया था. जिन्हें गिरफ्तार किया गया उनके नाम रेहान, आतिफ खान, मोहम्मद लोकमन और मोहम्मद नोमान हैं. ये सभी लखनऊ के निवासी हैं.

लखनऊ पुलिस की पहली प्रेस रिलीज

15 जुलाई को जारी प्रेस नोट के मुताबिक, अलग-अलग धर्मों के 4 लोगों ने बिना परमिशन के लुलु मॉल में धार्मिक गतिविधि करने की कोशिश की. इस गतविधि का मकसद सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना था.

प्रेस नोट में आगे ये भी बताया गया है कि पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 144 लागू की थी और चारों लोगों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)

दावा किया गया कि हिंदुओं ने पढ़ी नमाज

प्रेस नोट के हवाले से कई सोशल मीडिया यूजर्स ने ये दावा किया कि मॉल में नमाज (12 जुलाई को) पढ़ने वाले लोग हिंदू थे और पुलिस ने इनकी पहचान कर ली है.

कुछ यूजर्स ने प्रेस नोट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा, ''इन (हिंदू) लोगों ने मुस्लिम बनकर नमाज अदा की.''

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

वहीं कुछ लोगों ने 12 जुलाई की घटना से जोड़कर सिर्फ प्रेस रिलीज में दिए गए नाम शेयर किए.

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

जिन्होंने दावे को शेयर किया उनमें से RJ सायमा, सीनियर जर्नलिस्ट अरफा खानम शेरवानी और कांग्रेस नेता सलमान निजामी जैसे लोग शामिल हैं. हालांकि, निजामी ने बाद में अपना पोस्ट डिलीट कर लिया.

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(सोर्स: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)

इस दावे को फेसबुक और ट्विटर पर कई यूजर्स ने शेयर किया है. इनमें से कुछ के आर्काइव आप यहां और यहां देख सकते हैं.

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लखनऊ पुलिस ने जारी किया स्पष्टीकरण

इसके बाद, लखनऊ पुलिस ने सोमवार 18 जुलाई को वायरल पोस्ट में किए गए दावों का खंडन करते हुए कहा कि 12 जुलाई की घटना में शामिल लोगों की पहचान नहीं हुई है.

पुलिस कमिश्नरेट की ओर से जांच के बारे में प्रेस नोट में कहा गया, ''12-07-2022 को लुलु मॉल परिसर में नमाज अदा करने को लेकर एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. इस संबंध में मॉल के मैनेजमेंट की ओर से 14-07-2022 को सुशांत गोल्फ सिटी थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है. ये मामला धारा 153ए(1)/295ए/341/505 के तहत दर्ज किया गया है. दर्ज मामले में शामिल किसी भी आरोपी की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है.

स्टेटमेंट में ये भी बताया गया है, ''इसके बाद, सरोज नाथ योगी, कृष्ण कुमार पाठक, गौरव गोस्वामी ने हनुमान चालीसा पढ़ने की और अरशद अली ने नमाज पढ़ने की कोशिश की. इन चारों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 151,107,116 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.

स्टेटमेंट के मुताबिक, मॉल की पश्चिमी बाउंड्री के पास सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के उद्देश्य से नारेबाजी करने वाले अन्य लोगों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 151,107, 116 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

पुलिस ने लोगों से अपील भी की कि घटना से जुड़ी भ्रामक खबरें न फैलाएं.

इंडियन नेशनल कांग्रेस के मुखपत्र National Herald पर पब्लिश एक आर्टिकल में दावा किया गया कि वायरल वीडियो में दिख रहे लोगों को नमाज अदा करने का तरीका नहीं पता था. इसके अलावा, ये दावा भी किया गया कि वीडियो में दिख रहे लोग नमाज पूरी करने की जल्दी में थे.

पोर्टल में बताया गया है कि एडिशनल पुलिस कमिश्नर (साउथ) राजेश कुमार श्रीवास्तव ने 'स्वीकारा है कि फुटेज देखकर ये साफ होता है कि वीडियो में दिख रहे लोगों को इस बारे मे कोई जानकारी नहीं थी कि नमाज कैसे पढ़ी जाती है.''

श्रीवास्तव ने 18 जून को The Hindu से बातचीत में उन सभी मीडिया रिपोर्ट को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि 12 जुलाई को नमाज पढ़ने वाले लोग गैर मुस्लिम थे.

The Hindu को उन्होंने बताया, ''मैं मीडिया पर आने वाली न्यूज रिपोर्ट्स को लेकर कोई कमेंट नहीं कर सकता. जांच जारी है और हम जल्द ही परिसर में नमाज अदा करने वाले लोगों से जुड़ी जानकारी पेश करेंगे.''

लखनऊ पुलिस के शुरुआती प्रेस नोट से भ्रम की स्थिति पैदा हुई थी, लेकिन पुलिस ने दूसरे प्रेस नोट के जरिए स्पष्ट कर दिया है कि गिरफ्तारियां 12 जुलाई की घटना से जुड़ी नहीं हैं.

हमने एडिशनल डीसीपी श्रीवास्तव से संपर्क किया है. उनकी तरफ से जवाब आते ही आर्टिकल को अपडेट किया जाएगा.

(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं)

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