Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Webqoof Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Maharashtra: MVA सरकार ने मुस्लिमों को खुश करने के लिए नहीं शुरू की कोई बस सेवा

Maharashtra: MVA सरकार ने मुस्लिमों को खुश करने के लिए नहीं शुरू की कोई बस सेवा

उस्मानाबाद ASP के मुताबिक उर्स के मौके पर हर साल बस सजाई जाती है. महाराष्ट्र सरकार ने ऐसी कोई सेवा नहीं शुरू की.

ऐश्वर्या वर्मा
वेबकूफ
Published:
<div class="paragraphs"><p>महाराष्ट्र सरकार ने मुस्लिमों के लिए ऐसी कोई बस सेवा नहीं शुरू की.</p></div>
i

महाराष्ट्र सरकार ने मुस्लिमों के लिए ऐसी कोई बस सेवा नहीं शुरू की.

(फोटो: Altered by The Quint)

advertisement

महाराष्ट्र (Maharashtra) में उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार को लेकर एक दावा वायरल हो रहा है कि सरकार ने उस्मानाबाद में एक नई बस सेवा शुरू की है. दावे के साथ एक वीडियो भी शेयर किया जा रहा है, जिसमें फूलों, लाइटों और हरे झंडे से सजी बस दिख रही है.

दावे में महाराष्ट्र सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि बस को नबी (पैगंबर) के नाम से सजाया गया है और इसमें पाकिस्तानी झंडा लगा हुआ है.

हालांकि, वेबकूफ टीम की पड़ताल में ये दावा झूठा निकला.

  • बस को उर्स के दौरान सजाया गया था. उर्स किसी सूफी संत की दरगाह में मनाया जाने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम होता है, जो उनकी पुण्यतिथि में मनाया जाता है.

  • बस में जो झंडा लगा है वो एक इस्लामिक झंडा है, न कि पाकिस्तानी झंडा

  • क्विंट से उस्मानाबाद के एडिशनल एसपी नवनीत कावत ने बताया कि ये कार्यक्रम कई सालों से किया जा रहा है और इसका किसी राजनीतिक दल या नेता से कोई लेना-देना नहीं है.

  • हमें इस कार्यक्रम की पुरानी तस्वीरें भी मिलीं, जिनसे साबित होता है कि ये मौजूदा महाराष्ट्र सरकार की ओर से शुरू की गई कोई हालिया सेवा नहीं है.

दावा

वीडियो शेयर कर मैसेज में लिखा गया है कि महाराष्ट्र सरकार ने 'उस्मानाबाद की मुस्लिम आबादी को खुश करने' के लिए ये नई बस सेवा शुरू की है.

साथ ही, ये भी कहा गया है कि बस को 'पाकिस्तान के झंडे से सजाया गया है और लोग अल्लाह की इबादत कर रहे हैं'.

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

क्विंट की WhatsApp टिपलाइन पर भी इस दावे से जुड़ी क्वेरी आई है. ऐसे ही और पोस्ट के आर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.

पड़ताल में हमने क्या पाया

हमने वीडियो को ध्यान से देखने पर पाया कि बस में ‘Gazi Express’ और ‘उस्मानाबाद डिविजन’ लिखा हुआ है.

(नोट: फोटो देखने के लिए दाई ओर स्वाइप करें)

यहां, हमने यह भी देखा कि जिस झंडे को दावे में 'पाकिस्तान का झंडा' कहा जा रहा है, वो एक इस्लामिक झंडा है.

बाईं ओर दिख रहा झंडा पाकिस्तानी झंडा नहीं है.

(सोर्स: WhatsApp/Wikimedia/Altered by the Quint)

पुराने विजुअल से पता चलता है कि ये नहीं है MVA की कोई नई 'पहल'

इसके बाद, हमने कार्यक्रम से जुड़ी जानकारी देखने के लिए, सोशल मीडिया पर जरूरी कीवर्ड डाल कर सर्च किया. हमें 'Nagesh Sutar' नाम के एक फेसबुक यूजर का 2017 का एक पोस्ट मिला.

इस पोस्ट में बिल्कुल ऐसी ही सजी हुई बस की फोटो का इस्तेमाल किया गया था. पोस्ट में लोकेशन की पहचान 'उस्मानाबाद' के तौर पर की गई थी.

2017 का एक पोस्ट जिसमें बिल्कुल वैसी ही सजी बस देखी जा सकती है

(फोटो: फेसबुक/Altered by The Quint)

कमेंट में यूजर Sutar ने एक अन्य यूजर को बताया कि बस को उन्होंने उर्स के मौके पर सजाया है.

2017 की पोस्ट में किया गया कमेंट

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
उर्स, इस्लाम में किसी सूफी संत की पुण्यतिथि के मौके पर काफी धूमधाम से मनाया जाने वाला कार्यक्रम है. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि संत के निधन को एक खुशी की घटना माना जाता है. ऐसा इसलिए माना जाता है क्योंकि निधन के बाद अल्लाह से मिलने की उनकी इच्छा पूरी होती है.

हमने स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिटी के मेंबर एमए खान से संपर्क किया, जो इसके पहले इस आयोजन में शामिल होते रहे हैं. उन्होंने हमें बताया कि ये 53 सालों से चल रहा है.

हम इस आयोजन के लिए हर साल सबसे नई बस बुक करते हैं और उसे सजाते हैं. हम बहुत सारे लोगों के लिए खाना भी बनाते हैं और मौजूद लोगों में बांटते हैं. ये कार्यक्रम सिर्फ मुस्लिमों तक ही सीमित नहीं है. इसमे हर कई शामिल होता है.
एमए खान

खान ने उर्स के लिए सजाई जा रही बस की कुछ तस्वीरें भी शेयर कीं.

खान ने हमारे साथ कुछ तस्वीरें भी शेयर कीं.

(सोर्स: Accessed by the Quint)

ये फोटो 2012 में खींची गई थी

(सोर्स: Accessed by the Quint)

ये फोटो 2017 में खींची गई थी

(सोर्स: Accessed by the Quint)

खान ने हमें यह भी बताया कि अंबेडकर जयंती और शिवाजी जयंती जैसे अन्य मौकों पर भी इसी तरह कार्यक्रम मनाया जाता है.

पुलिस और लोकल रिपोर्टर के मुताबिक ये एक वार्षिक कार्यक्रम है

हमने स्थानीय रिपोर्टर बालाजी विट्ठल निर्फल से संपर्क किया, जिन्होंने हमें बताया कि बस उर्स के लिए सजाई गई थी. उन्होंने बताया कि 30 सालों से ज्यादा समय से हर साल बसों को सजाया जाता है, लेकिन महामारी शुरू होने के बाद से अब ऐसा नहीं किया जाता.

क्विंट से बात करते हुए, उस्मानाबाद एएसपी नवनीत कावत ने भी इसकी पुष्टि की. उन्होंने कहा कि राज्य परिवहन (ST) विभाग के लोग अपनी मर्जी से इस मौके पर सम्मान दिखाने के लिए ऐसा करते हैं.

ये एक पुरानी परंपरा है. राज्य परिवहन विभाग के लोग उर्स के मौके पर हर साल इसे सजाते हैं, लेकिन कोविड की वजह से 2019 से ऐसा नहीं हो पाया है. इसमें हिंदू और मुस्लिम कमिटी दोनों ही साथ मिलकर काम करती हैं. इसके पीछे कोई धार्मिक या राजनीतिक कारण नहीं है और न ही किसी विशेष मंत्री ने इसकी शुरुआत की है.
नवनीत कावत, उस्मानाबाद एएसपी

मतलब साफ है कि ये दावा गलत है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार महाराष्ट्र के उस्मानाबाद में मुस्लिम समुदाय को खुश करने के लिए नई पहल शुरू की है.

दशकों से ये आयोजन होता आ रहा है, जब उर्स के मौके पर बस को सजाया जाता है.

(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं )

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT