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स्विटजरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (WEF) की वार्षिक बैठक में बोलते हुए फाइजर (Pfizer) के सीईओ अल्बर्ट बौर्ला का एक एडिटेड वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है.
वायरल वीडियो में बौर्ला को ये कहते सुना जा सकता है, ''मुझे लगता है कि सच में वो सपना पूरा हो रहा है, जिसे लेकर हमने अपनी टीम के साथ 2019 में काम शुरू किया था. जनवरी 2019 के पहले हफ्ते में हम कैलिफोर्निया में अगले 5 सालों के लक्ष्यों को निर्धारित करने के लिए मिले थे. इनमें से एक लक्ष्य था कि हम 2023 तक दुनिया से 50 प्रतिशत जनसंख्या कम कर दें. मुझे लगता है आज ये सपना सच हो रहा है.''
हालांकि, पड़ताल में हमने पाया कि WEF के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन क्लॉज श्वाब और बौर्ला के बीच हुई बातचीत वाली जगह से वीडियो को एडिट किया गया है. ओरिजिनल वीडियो में, फाइजर के सीईओ 2019 में फाइजर का पद भार संभालने के बाद से कंपनी में बिताए गए अपने समय के बारे में बोल रहे थे.
असल में वो वीडियो में इस बारे में बात कर रहे हैं कि कैसे वो और उनकी टीम जनवरी 2019 में मिले और ''अगले 5 सालों'' के लिए लक्ष्य निर्धारित किए. इन लक्ष्यों में से एक लक्ष्य था कि 2023 तक ''ऐसे लोगों की संख्या कम करनी है जो अपनी दवा का खर्च'' नहीं उठा सकते. मतलब ये कि लोगों के लिए मेडिकल सुलभ बनाना है.
वीडियो शेयर कर दावा किया गया कि फाइजर सीईओ अल्बर्ट बौर्ला ने कंपनी के उस मकसद के बारे में बात की, जिसके तहत वो 2023 तक दुनिया की आबादी को आधा करना चाहते हैं.
हमने वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (WEF) में बौर्ला और श्वाब के बीच हुई बातचीत से जुड़ी जानकारी सर्च की. हमें WEF के वेरिफाइड यूट्यूब चैनल पर इसका पूरा वीडियो मिला.
इस वीडियो में वायरल हिस्से को 2 मिनट 33वें सेकंड से देखा जा सकता है.
WEF के एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन क्लॉज श्वाब से बौर्ला फाइजर के उस फैसले के बारे में बात करते नजर आ रहे हैं, जिसमें वो अपनी सभी पेटेंट दवाओं को दुनिया के उन 45 सबसे गरीब देशों को कम कीमत में उपलब्ध करवाएंगे, जहां करीब 120 करोड़ लोग रहते हैं.
दवाओं पर होने वाली रिसर्च में लगने वाली लागत से जुड़े श्वाब के सवालों के जवाब में बौर्ला ने इस बात पर जोर दिया कि ''लागत पर (at cost)'' का मतलब है कि वही कीमत जितने में दवा तैयार हुई है.
उन्होंने कहा, ''हमारा 'लागत पर (at cost)' कहने का मतलब ये है कि इसे बनाने में जितना खर्च होता है वो और दूसरा शिपमेंट का बहुत कम खर्च. हम उस लागत को इसमें नहीं जोड़ते हैं जो दवा बनाने से जुड़ी रिसर्च में खर्च होता है.'' उन्होंने कहा कि कीमतों में किसी भी तरह की एडमिनिस्ट्रेटिव लागतें नहीं जोड़ी जाएंगी.
बौर्ला आगे कहते हैं कि पांच देशों रवांडा, युगांडा, घाना, सेनेगल और मलावी ने सप्लाई चेन में आने वाली उन रुकावटों की पहचान करने के लिए मिलकर काम करने की इच्छा जाहिर की थी, जिनकी वजह से जरूरतमंद लोगों तक दवाएं नहीं पहुंचती थीं.
मतलब साफ है कि फाइजर सीईओ अल्बर्ट बौर्ला का वीडियो एडिट कर इस दावे से शेयर किया गया कि उन्होंने बोला है कि हम 2023 के आखिर तक दुनिया की आबादी 50 प्रतिशत तक कम कर देंगे.
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