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फेसबुक पर दो पोस्ट वायरल हो रहीं है. इनमें दावा किया जा रहा है कि जब नेहरु-गांधी परिवार एक चार्टड प्लेन में बर्थडे सेलिब्रेट कर रहा था, तब इसरो रॉकेट और सैटेलाइट को ले जाने में मुश्किलों का सामना कर रहा था.
इन दो पोस्ट में दो अलग-अलग फोटोग्राफ हैं, लेकिन इनमें एक फोटो कॉमन है- प्लेन में बर्थडे सेलिब्रेट करता एक परिवार.
साइकिल वाली पोस्ट का दावा है कि जब इसरो रॉकेट का पार्ट एक साइकिल पर ले जा रहा था, तब नेहरू-गांधी परिवार चार्टड प्लेन में बर्थडे सेलिब्रेट कर रहा था. इसे फेसबुक के पोस्ट कार्ड फैंस पेज ने शेयर किया है, जिसपर अब तक 4.7 हजार रिएक्शन्स और 6.8 हजार शेयर मिल चुके हैं.
दूसरी पोस्ट, जिसे पीएमओ इंडिया: रिपोर्ट कार्ड नाम के फेसबुक पेज ने शेयर किया है, उसमें भी एक ऐसी ही फोटो लगी है. इस फोटो का दावा है कि जब इसरो सैटेलाइट को बैलगाड़ी पर ले जा रहा था, तब गांधी परिवार प्लेन में राहुल गांधी का जन्मदिन मना रहे थे. इस पोस्ट को 5 हजार से ज्यादा लोग शेयर कर चुके हैं
ये पोस्ट बुधवार, 27 मार्च को पीएम मोदी की घोषणा के बाद सामने आई है. पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को देश को अपने संबोधन में बताया था कि भारत ने भी ऐसी मिसाइल तैयार कर ली है जो अंतरिक्ष में घूमती हुई किसी भी सैटेलाइट को निशाना बना सकती है. इस घोषणा के बाद से बीजेपी और कांग्रेस के बीच विवाद खड़ा हो गया था. कांग्रेस का दावा था कि इसका श्रेय मनमोहन सिंह की सरकार को जाना चाहिए, क्योंकि उन्हीं की सरकार में A-SAT मिशन शुरू हुआ था.
रिवर्स इमेज सर्च करने पर क्विंट को पता चला कि साइकिल पर रॉकेट का हिस्सा ले जा रहे लोगों की फोटो 1966 की है. लाइवमिंट के इस आर्टिकल के मुताबिक फोटो केरल के एक छोटे से गांव थुंबा की है, जहां 1963 की शुरुआत में देश का पहला साउंडिंग रॉकेट लॉन्च किया गया था. इस गांव में रॉकेट के हिस्सों को साइंटिस्ट अक्सर साइकिल पर ले जाते थे.
राहुल गांधी के बर्थडे सेलिब्रेशन का दावा करने वाली फोटो की जांच में सामने आया कि ये फोटो वाकई उनके जन्मदिन की है. इंदिरा गांधी ने सोनिया गांधी, प्रियंका और बाकी परिवार के साथ एयरप्लेन में राहुल गांधी का बर्थडे सेलिब्रेट किया था. हालांकि, टाइम्स नाउ के आर्टिकल के मुताबिक, इस बर्थडे सेलिब्रेशन का साल 1977 था, यानी कि ये फोटो 'साइकिल पर रॉकेट' की फोटो के 11 सालों बाद खींची गई थी.
राहुल गांधी का जन्म 19 जून, 1970 को हुआ था, जिसका मतलब है कि जब इसरो की फोटो खींची गई, तब उनका जन्म भी नहीं हुआ था.
लाइवमिंट के इस आर्टिकल के मुताबिक, बैलगाड़ी वाली फोटो साल 1981 की है. बैलगाड़ी पर रखा सामान APPLE सैटेलाइट (Ariane Passenger PayLoad Experiment) है, जिसे बैलगाड़ी से ले जाया जा रहा है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, ऐसा पैसों की कमी की वजह से नहीं, बल्कि जानबूझकर किया गया था. भारत के वैज्ञानिक ट्रांसपोर्ट के लिए मेटल-फ्री प्लेटफॉर्म की तलाश में थे, इसलिए ही बैलगाड़ी का इस्तेमाल किया गया.
इस दावे को इसरो के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ आरएम वसगम का लिखा आर्टिकल कंफर्म करता है. वो APPLE के प्रोजेक्ट डायरेक्ट थे. उनके आर्टिकल के मुताबिक, 'APPLE को एक गैर-मैगनेटिक वातावरण प्रदान करने और खुले क्षेत्र में एंटीना परीक्षण करने के लिए एक बैलगाड़ी पर रखा गया था.'
राहुल गांधी की 'बर्थडे' फोटो और 'बैलगाड़ी' वाली फोटो भी आपस में मैच नहीं करती है. लिहाजा, क्विंट की पड़ताल में ये तस्वीरों में किया जा रहा दावा झूठा साबित होता है.
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